मुंबई में रहने वाले विजय ठाकुर सन् 1982 से अपनी टैक्सी सर्विस के ज़रिए ग़रीब और बेसहारा लोगों की मदद कर रहे हैं और परेशानी में फंसे लोगों को फ्री में टैक्सी उपलब्ध करा रहे हैं
अगर आप गर्मी धूल और घुटन भरे मौसम में या किसी मुसीबत में टैक्सी खोज रहें हैं तो आपकी मुसीबत और भी बढ़ जाती है, अगर टैक्सी का ड्राइवर आपको ले जाने से मना कर दे लेकिन मुंबई में काले और पीले रंग की वैगन-आर चलाने वाले विजय ठाकुर एक ऐसे निराले ड्राइवर हैं जो कभी किसी यात्री को उसकी मंज़िल तक पहुंचाने से मना नहीं करते।
ये हैं विजय ठाकुर जो सन् 1982 से अपनी टैक्सी सर्विस के ज़रिए ग़रीब और बेसहारा लोगों की मदद कर रहे हैं. ये परेशानी में फंसे लोगों को फ्री में टैक्सी उपलब्ध कराते हैं। इसके पीछे की कहानी दिल को छू लेने वाली है। विजय ठाकुर एक मकेनिकल इंजीनियर हैं।
ये लम्बे वक्त तक लारसन एंड टर्बो नामक कम्पनी में कार्यरत थे. सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था पर अचानक हुए एक हादसे ने उनकी जीवन धारा बदल दी। बात 1982 की है , विजय ठाकुर की पत्नी तीन माह की गर्भवती थीं, और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाना था।
काफी देर सड़क पर इंतज़ार करने के बावजूद उन्हें कोई टैक्सी या ऑटो नहीं मिल सका, और समय पर चिकित्सीय सहायता के अभाव में उनका बच्चा नहीं बच सका। विजय को इस घटना से ज़बरदस्त आघात लगा और उन्होंने निर्णय लिया कि वो ड्राइविंग को ही अपना व्यवसाय बनाएंगे और ऐसे लोगों की हमेशा मदद करेंगे जो यात्रा करने में असमर्थ हैं।
विजय ठाकुर कभी किसी यात्री को ना नहीं कहते, वे हमेशा दूसरों की सेवा के लिया तत्पर रहते हैं। लेकिन उनका ये निर्णय इतना आसान नहीं था क्यूंकि सिर्फ एक सामजिक कार्य के लिए उन्हें अपनी अच्छी भली नौकरी छोड़नी पड़ रही थी पर आज आज उन्हें अपने इस फैसले पर गर्व है।
विजय ने अपनी टैक्सी के पीछे उजले स्टीकर पर लिखा है कि इस टैक्सी द्वारा मरीजों को मुफ्त में अस्पताल में भर्ती किया जाता है. यही वजह है कि विजय ठाकुर को दिन रात मरीज़ों या अन्य शारीरिक चोट से प्रभावित लोगों का बुलावा आता रहता है।
विजय अपने अन्य साथी टैक्सी चालकों को भी ये शिक्षा देते हैं कि वे मुसीबत के वक़्त में यात्रियों को मुफ्त में सेवा प्रदान करें. आज विजय ठाकुर अनेकों लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन गए हैं।