रविंदर पडलिया : भारतवर्ष के अनेकों दुश्मन और वांछित अपराधी वर्तमान में पाकिस्तान में छुपे हुवे हैं. छुपे हुवे ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के इसारे पर भारत के विरुद्ध अनेक अपराधिक कारवाही भी कर रहे हैं. पाकिस्तान सरकार या पाकिस्तानी व्यवस्था का कोई अंग उनको छुपता फिर रहा है. यह कोई नयी बात नहीं है. ऐसा तो वह अपने पैदाइस के समय से ही कर रहा है. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अपने भले के लिए हमेशा से ही पाकिस्तान का उपयोग करता आया है, या यूं कहें कि दुरुपयोग करता आया है. अमेरिका ने रूस को नियंत्रित करने के लिए, रूस के मित्र देशों को, जिसमें भारत भी शामिल है, नुकसान पहुँचाने के लिए पाकिस्तान का दुरुपयोग हमेशा किया. ठीक उसी प्रकार चीन भी पाकिस्तान का दुरुपयोग करता आया है ताकि वह अपने दुश्मन देशों को दबा सके.
रही बात पाकिस्तान की, उसके हुक्मरान तो अपने इन आकाओं के हाथ कठपुतली की भांति नाचते रहे हैं. इस प्रकार इस देश के हुक्मरानों ने तो पाकिस्तान को रसातल में इतनी गहराई तक डुबा दिया है जहाँ से सायद ही वह ऊबर पाये, या उबरने में बहुत मेहनत और वक्त लगेगा, मेरे साथ एक UN मिसन में पाकिस्तानी भी थे. उनसे जब बात होती थी तो पता चला कि एक आम पाकिस्तानी नागरिक पाकिस्तान के हुक्मरानों के इन नापाक हरकतों को बिलकुल भी पसंद नहीं करता है. इसलिए उसको दोष देना उचित नहीं होगा. पाकिस्तान ने हिटलर की तर्ज पर ही अपनी नयी पीढ़ी को पैदायशी भारत विरोधी बनाने का काम सुरु किया हुवा है. उसने प्रारंभिक पुस्तकों में ही अलिफ = अल्लाह, बे = बेईमान, जहाँ पर चित्र है पूजा करते एक पंडितजी का. उसीप्रकार काफिर की जगह एक सिख पुरुष का चित्र है. कहने का मतलब यह है कि वह अपने लोगों के खून में जहर घोल रहा है.
समय के साथ साथ सभी देश और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अपने कायदे और कानून बदली करते रहे हैं पर पाकिस्तान आज भी आज से 1400 वर्ष पहले के युग में जी रहा है. यही कारण है कि पाकिस्तान का विकास नहीं हो पाया. इतना ही नहीं, पाकिस्तानी हुक्मरानों ने आज एक गलतफहमी भी पाल रखी है. उनके अनुसार भारत के लोग असभ्य थे और इस्लाम जब भारत आया तो उसने ही भारतवासियों को सभ्यता सिखाई. उन मूर्खों को कौन समझाए कि दुनियां की सबसे पहली यूनिवर्सिटी भारत में ही थी. मनुष्य सभ्यता का विकास भारत में ही सर्वप्रथम हुवा. जो भी हो, यदि पाकिस्तान अपने पावों में कुल्हाड़ी मार रहा है तो मारने दो. कोई क्या कर सकता है?
अब हम बात करते हैं भारत के दुश्मनों को पाकिस्तान द्वारा अपनी धरती पर छुपाने की. अमेरिका में ट्विन-टावर पर आतंकी हमला हुवा तो उसका अपराधी भी पाकिस्तान में ही छुप गया था. क्या अमेरिका चुप बैठ गया था? चीन के एक पश्चिमी प्रान्त में जब आतंकवाद फैला तो गहन अध्ययन के बाद चीन के हुक्मरानों को पता चला कि कट्ठऱ इस्लाम धर्म के लोग ही वहां आतंकवादी हरकत कर रहे हैं. उसने समय पर कारवाही की और वहां रहने वाले इस्लामी लोगों की कट्ठरता समाप्त करने का कार्यक्रम बना कर उसको सख्ती से लागू करवाया. उदहारण के लिए चीन ने रोजे रखने पर पाबन्दी लगा दी और यदि कोई रोज़ा रखता था तो उसको जबरन खाना खिला दिया जाता था. यह नहीं कह रहा हूँ कि यह सही था, पर देश हित में उसने ऐसा किया.
यह सब देखते हुवे हम या हमारी सरकार पाकिस्तान के विरुद्ध कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती है? ये ठोस कदम क्या हो सकते हैं? बहुत साधारण सी बात है. पाकिस्तान में आतंकवाद इस कदर अपनी जड़ें जमा चुका है कि अब यह वहां एक रोजगार बन चुका है. धन खर्च करने पर पाकिस्तान में आतंकवादी आसानी से मिल जाते हैं. यहाँ तक कि, दो या तीन लाख रुपये खर्च करने पर फिदायीन भी मिल जाते हैं. रही बात उनके कार्यक्षेत्र की, उसकी उनको कोई भी चिंता नहीं है. यह भारत हो सकता है या अफगानिस्तान. या फिर पाकिस्तान भी हो सकता है. ऐसी परिस्थिति में पाकिस्तान का जूता पाकिस्तान के सर पर मारना बहुत ही आसान हो जाता है. दाऊद या मेमन को भारत लाने की जरुरत ही क्या है? उनको उनके अंजाम तक वहीँ आसानी से पहुँचाया जा सकता है. इसलिए, पाकिस्तान के आगे हाथ जोड़ने के स्थान पर कोई इसी प्रकार का कार्यक्रम बना कर कार्यान्वित करवाया जा सकता है. और हाँ, हमारी संस्थाएं ये काम करवा सकती हैं. सिर्फ सरकार के एक इसारे की जरुरत है.
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