नैनीताल , रविंदर पडलिया : मेरा जिंदगी का आजतक का अनुभव कहता है कि पंजाब में कल जो आतंकवादी हमला हुवा वह तो होना ही था. और यह भी सही है कि आतंकवादी हमले लगातार होते ही रहेंगे. इतिहास गवाह है कि मोहम्मद गौरी हमारे देश को लगातार 17 बार लूट कर ले गया. हम कुछ नहीं कर पाये. कुछ कर पाये तो सिर्फ इतना कि उसके अगलीबार लुटाने के लिए धन जमा करते रहे.
आज विदेशी हमलावरों का सफाया करने के लिए हमारे पास सक्षम सेना तो है पर कभी कभी लगता है कि सेना के हाथ बंधे हुवे हैं. इसलिए अनायास ही सन 1965 का भारत-पाक युद्ध याद आ जाता है. पश्चिमी सीमा पर तैनात सेना के उच्च कमांडर ने कश्मीर को बचाने के लिए तत्कालीन थलसेनाध्यक्ष जनरल चौधरी से इजाजत मांगी कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार कर लाहोर पर हमला कर दिया जाय . थलसेनाध्यक्ष ने सायद हमारे राजनेताओं की आदत को ध्यान में रखते हुवे ऐसा करने के लिए इजाजत नहीं दी. लेकिन धन्य हों तात्कालिक राजनेता आदरणीय लाल बहादुर शास्त्री जी, जिन्होंने सेना को ऐसा करने का आदेश दे दिया और हमारी सेना जल्दी ही लगभग लाहौर पहुँच ही गयी जिसका नतीजा अच्छा ही निकला.
लेकिन आज तो एक आतंकवादी, जिसको फांसी की सजा होनी है, उसको बचाने के लिए लगभग वे सभी संकुचित मानसिकता वाले भारतीय नागरिक पूरी ताकत लगाये जा रहे हैं जिनका अपना कोई भी आतंकवादी हमले में मारा न गया. तभी तो कह रहा हूँ कि आतंकवादी हमले होते रहेंगे.
भगवान भला करे दसम गुरु गोविन्द सिंह महाराज जी का जिन्होंने अत्याचार के खिलाफ हथियार उठाने की शिक्षा दी. आज उनके श्लोक “देह शिवा वर मोहे अहे ….. ” को याद करने और अमल करने की जरुरत है.