कमल खोलिया , उतर प्रदेश : दोस्तों जब एक आम आदमी सुबह जागने के बाद सबसे पहले फ्रेश होता है, एवं कपड़े पहनकर तैयार होता है, अखबार पढता है, नाश्ता करता है, घर से काम के लिए निकल जाता है…..
और बाहर निकलकर रिक्शा करता है या फिर लोकल बस या ट्रेन पकड़कर ऑफिस पहुँचता है, वहाँ पूरा दिन काम करता है, साथियों के साथ चाय पीता है, शाम को वापिस घर के लिए निकलता है. घर के रास्ते में एक सिगरेटे फूँकता है (सिगरेटे पीना सेहत के लिए हानिकारक हे), बच्चों के लिए टॉफी, बीवी के लिए गिफ्ट लेता है, कई बार मोबाइल में रिचार्ज करवाता है, और अनेक छोटे मोटे काम निपटाते हुए घर पहुँचता है….
भाइयो अब आप बताओ कि उसे दिन भर में कहीं कोई दलित (अनुसूचित जाती) का मिला.?? क्या उसने दिन भर में किसी दलित पर कोई अत्याचार किया.?? उसको जो दिन भर में मिले, वो थे अख़बार वाला भैया, दूध वाला भैया, रिक्शा वाला भैया, बस कंडक्टर, ऑफिस के मित्र, आंगतुक, पान वाला भैया, चाय वाला भैया, टॉफी की दुकान वाला भैया, मिठाई की दूकान वाला भैया…….
जब ये सब लोग भैया और मित्र हैं तो इनमें दलित कहाँ है ? क्या दिन भर में उसने किसी से पूछा कि भाई, तू दलित है या अन्य जाती और समुदाय से हैं ? अगर तू दलित है तो मैं तेरी बस में सफ़र नहीं करूँगा, तुझसे सिगरेट नहीं खरीदूंगा, तेरे हाथ की चाय नहीं पियूँगा, तेरी दुकान से टॉफी नहीं खरीदूंगा…..
क्या उसने साबुन, दूध, आटा, नमक, कपड़े, जूते, अखबार, टॉफी, गिफ्ट खरीदते समय किसी से ये सवाल किया था कि ये सब बनाने और उगाने वाले दलित (अनुसूचित जाती) हैं या अन्य ? आम तौर पर हम सबके साथ ऐसा ही है, शायद कोई बिरला ही आजकल के युग में किसी की जाति या समुदाय पूछकर तय करता है कि फलां आदमी से कैसा व्यवहार करना है….
हम सबकी फ्रेंडलिस्ट में न जाने कितने दलित होंगे….क्या आजतक किसी ने कभी भी उनकी पोस्ट लाइक करने से पहले, या उसपर कमेन्ट करने से पहले उनकी जाति पूछी….क्या किसी से कभी कहा कि तुम दलित (अनुसूचित जाती) से हो इसलिए मेरी पोस्ट पर कमेन्ट मत करो ? जब रोजमर्रा की जिंदगी में हमसे मिलने वाले दलित नहीं होते, तो उनमें से कोई मरते ही दलित कैसे हो जाता है ?? है कोई जवाब ? हो तो, दो ना…?
दोस्तों मेरे बहुत से मित्र अनुसूचित जाती से हैं जिनको आज के राजनेताओ ने दलित बना दिया, वह मेरे सबसे खास मित्र हैं और सुख दुःख में हमेशा साथ देते हैं, और मुझे गर्व है कि अनुसूचित जाती के मित्र मेरे घर उसी अधिकार से आते हैं जेसे एक मित्र को आना चाहिए , मेरे लिए यह सब दोस्त हैं न कि अनुसूचित जाती (दलित)….