मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषाचार्य, चंडीगढ़ : ब्रहमांड में गुरु को एक बड़ा ग्रह माना गया है जिसका रंग पीला है। यह ग्रह ज्ञान, शिक्षा, विस्तार व विद्वानों का प्रतीक है। इस मास 14 जुलाई , द्वितीया आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी मंगलवार को देव गुरु मघा नक्षत्र के अधीन 6 बजकर 23 मिनट पर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे और यहां 11 अगस्त ,2016 तक विराजमान रहेंगे। स्थान हानि करो जीवा अर्थात गुरु जिस भाव में होता है, उस भाव से संबंधित बातों की हानि करता है परंतु पांचवीं ,सप्तम और नवम दृष्टि जहां डाले उस भाव को लाभ देता है।
गुरु धनु व मीन राशि का स्वामी है तथा कर्क में उच्च कहलाता है जबकि मकर राशि में यह नीच का हो जाता है। धनु राशि में यह शुभ फल कारक है। सूर्य , चंद्र व मंगल , इसके मित्र ग्रह है। परंतु बुध ,शुक्र एवं शनि इसके शत्रु हैं। यह लग्न, पंचम, नवम व दशम भावों का कारक ग्रह है। गुरु 6,8,12 भाव में हो या नीच राशि में हो या इन भावों के स्वामियों से संबंध हो तो अशुभ परिणाम होते हैं।
गुरु एक नजर में
सूर्य से दूरी -778 मिलियन किलोमीटर
सूर्य की परिक्रमा -लगभग एक साल
रंग -पीला
अंक -3
राशि -धनु व मीन
कर्क में -उच्च
मकर में -नीच
मंत्र -ओम् ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:-19000
रत्न -पुखराज
दान: -पीले चावल,चने की दाल,हल्दी,पीला वस्त्र,आम केला पपीता,पीला घी,सोना,पीली मिठाई,कांस्य पात्र ,धार्मिक पुस्तकें आदि
गुरु सिंहस्थ होने पर शंका निवारण:
कई विद्वान यह भ्रम फैला रहे हैं और सामान्य जन के लिए असमंजस उत्पन्न कर रहे हैं कि सिंहस्थ गुरु में विवाह नहीं होगे। ऐसा नहीं है। तेरह महीने मांगलिक कार्य
आधुनिक युग में रुक जाएं ,ऐसा असंभव है।
दूसरा भ्रम, दिन के समय ,विवाह को लेकर है कि विवाह केवल रात्रि को ही संपन्न होने चाहिए। वास्तव में पुरातन काल में श्रृंगार से सुसज्जित कन्याओं का अपहरण कर लिया जाता था
इसलिए रात्रि समय को एकांत में विवाह कार्य संपन्न करने को अधिमान दिया गया। आज रात्रि कालीन विवाह, रोशनी , पटाकों, साज सज्जा, अतिथियों के समय की उपलब्धता के कारण
अधिक मान्य व लोकप्रिय हो गए हैं जबकि वेद या शास्त्रों में कहीं भी दिन के विवाह को निषेधात्मक नहीं कहा गया है। सिक्ख व ईसाई समाज में विवाह कार्य दिन में ही संपन्न होते हैं।
राशिफल
यहां हम चंद्र राशि के अनुसार , गुरु के राशि परिवर्तन के 12 राशियों पर पडऩे वाले प्रभावों की विवेचना कर रहे हैं। कुंडली में जिस राशि या संख्या में चंद्र लिखा है उसी को चंद्र राशि कहते हैं अत: आप अपना
राशि फल उसी के अनुसार देखें सन साईन से नहीं। फलादेश में आपकी अच्छी या खराब दशा, कालसर्प योग, शनि का ढैया या साढ़ेसाती की भी विशेष भूमिका रहती है परंतु गुरु का राशि परिवर्तन जीवन में विशेष विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह 12 साल बाद ही उसी राशि दोबारा आता है।
मेष- पंचम भाव में गुरु के आने से ,शिक्षा ,संतान , रोमांस, प्रेम संबध, मनोरंजन, लाटरी ,शेयर ,मंत्र साधना, आध्यात्मिक उन्नति की वृद्घि संभावित है। विवाह योग्य हैं तो शादी की संभावना प्रबल ।मान सम्मान बढ़ेगा । पुत्र पु़त्री ,पत्नी से चिंता। परिश्रम से ही सफलता।पार्टनरशिप तथा किसी भी तरह के कांंंट्र्ैक्ट में लाभ।कहीं से सहायता मिलेगी।यदि नोैकरी की तलाश है तो सर्विस मिल सकती है।किसी महिला की सहायता से कई काम बनेंगे।
बृष – आपकी राशि से सुख स्थान पर आने से व्यापार बढ़ेगा। अनावश्यक व्यय से बचें। मेडीकल पर खर्चा हो सकता है। संतान से परेशानी के समाचार, सरकार से विरोध आदि इंगित होते हैं।परिवार के सदस्यों में उपयुक्त सामंजस्य रहेगा। मां बाप से संपत्ति के विवाहद हल होंगे। आवास की समस्या समाप्त हो सकती है ।एक बंगला बने न्यारा या एक फलैट मिले प्यारा का सपना पूरा होगा। या वर्तमान घर का पुनर्निमाण, साज-सज्जा में खर्च हो सकता है। चतुर्थ भाव वाहन का भी है और गुरु शुक्र के नक्षत्र में होने से, इसकी प्राप्ति या वाहन का अपर माडल आ सकता है।
मिथुन- तीसरे खाने यानी पराक्रम,भाई -बहन, वाक् पटुता, संचार ,संप्रेषण वाले भाव में गुरु का संचार भाई – बहनों में प्यार बढ़ाने के अलावा पिछला वैमन्स्य भी समाप्त करेगा। वाक कुशलता , बातचीत या सलाहकार आदि का कार्य करने वालों की बल्ले बल्ले रहेगी। गुरु इस भाव में बैठ कर , सप्तम, नवम व एकादश भावों पर दृष्टिपात करेगा और रुका धन, लौटाने के अलावा आय में निरंतर वृद्घि करेगा। गृहस्थ जीवन सुखी रखेगा। नई मित्रता , संबंधों में वृद्घि करेगा।
कर्क-बारह साल बाद धन भाव में लौटे गुरु कर देंगे मालामाल परंतु बचत का भी रखना होगा ख्याल वरना हो जाएंगे ठन ठन गोपाल। इस राशि के लिए गुरु मिश्रित फलदायक, पैतृक संपत्ति विवाद कारक, उदर रोग,चर्म रोग, गुप्त शत्रु वृद्घिकारक हो सकता है। दूसरों की सहायता के लिए भाग दौड़ करेंगे जबकि दूसरी ओर से कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। इस अवधि में जो धन आए , समय रहते ,उसे सही जगह निवेश कर दें ताकि मांगने वाले आपकी पूंजी ठिकाने न लगा देंं। दान पुण्य, वृद्घों की सेवा, धर्म कर्म में रुचि रखेंगे तो दुष्प्रभावों से बचे रहेंगे।
सिंह – गुरु सिंह राशि में यानी आपकी लग्न में आए हैं तो आपको कोई पराजित नहीं कर सकता। आपका मन उल्लासमय रहेगा। यहां गुरु दिग्बली होने से संतान, जीवन साथी और भाग्य को देखेगा और इस क्षेत्र में उन्नति एवं भाग्य वृद्घि करेंगा । लग्न में आकर आपका वजन बढ़ा देगा । व्रत रखने के बावजूद हवा भी खाएंगे तो भी मोटे हो जाएंगे। इसलिए खान पान का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा। जनहित के कार्यों से जुडऩे का विशेष अवसर होगा।
कन्या- हस्पताल,मोक्ष एवं व्यय भाव में गुरु आर्थिक चिंताएं बढ़ा सकते हैं। धन हानि, व्यापार में धोखा, रोग व शत्रुओं में वृद्घि आदि कुछ संकेत हैं जिनके प्रति सावधान रहने की आवशयकता रहेगी।संयम,धैर्य,जीवन साथी से अच्छे संबंध बनाए रखने में ही भलाई रहेगी। कभी कभी निराशा ,मोक्ष प्राप्ति की इच्छा भी प्रबल कर सकती है। सत्य का प्रकाश भी इसी अवधि में आपके जीवन को आलोकित कर सकता है।
तुला- लाभ स्थान पर बृहस्पति महाराज का आगमन, यह परिवर्तन ,उत्तम समय का सूचक है। या यूं कहें तुला राशि के अच्छे दिन शुरु होते हैं अब! विद्याार्थियों को प्रतियोगिताओं में सफलता के पूर्ण अवसर मिलेंगे। यदि प्रशासनिक सेवा में प्रवेश पाना चाहते हैं तो इस स्वर्णिम अवसर को हाथ से न फिसलने दें। यश , मान -प्रतिष्ठा, जीवन साथी से भरपूर सहयोग की अपेक्षा करने वालों को निराशा नहीं मिलेगी। मित्रता का दायरा बढ़ेगा। विपरीत लिंग से लगाव व आकर्षण संभावित है।
बृश्चिक – कर्म भाव पर आने से आपका मान सम्मान कर्म से बढ़ेगा। कम मेहनत का अधिक फल मिलेगा। पदोन्नति, चुनावों में विजय, राजनीति में पद प्राप्ति, कारोबार में वृद्घि की पूर्ण संभावना है। रुके कार्य होने लगेंगे। डूबी रकम के तैरने का समय आ गया है। विदेश यात्रा सफल एवं भाग्यशाली सिद्घ होगी। शनि महाराज भी सुख सुविघा बढ़ाएंगे। पुराने शत्रुओं से सावधान भी रहना होगा। किसी परिवार जन के उपचार पर अनावश्यक व्यय हो सकता है।
धनु- आपके भाग्य स्थान पर लोहे के पाये से गुरु प्रवेश कर रहे हैं। समझें कि बस 12 साल बाद, भाग्य की पूंछ सीधी हाने वाली है और कुंभ का मेला लगने वाला है। संतान प्राप्ति , संतान से प्रसन्नता, व्यापार विस्तार, तरक्की, सेवा में प्रोमोशन, उद्ेश्य पूर्ति अर्थात जो मांगोगे वही मिलेगा वाले अच्छे दिन कम से कम ,एक साल के लिए तो आ ही गए हैं जिनका आपको बरसों से था इंतजार।
अब आपका यह शिकवा दूर हो जाएगा जब आप यह कहते नहीं थकते थे कि हम इतनी मेहनत करते हैं फिर भी वहीं के वहीं है।, सामने वाला देखते देखते कहां का कहां पहुंच गया?
मकर- अष्टम भाव पैतृक संपत्ति, गड़ा घन, पड़ा धन , दड़ा धन, आयु , तंत्र , मंत्र, ज्योतिष ,परामनोविज्ञान , गुप्त विद्यााओं ,जमीन का निचला भाग , अनुसंधान, आदि का दु:स्थान माना गया है। यहां गुरु अहित नहीं करेगा अपितु मिले जुले फल ही देगा। सेहत का खास ध्यान रखें अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण रखें । कोई नया कार्य, जमीन, मकान आदि में निवेश से बचें। पैतृक संपतित के विवाद समाप्त होंगे।छात्रों के लिए समय उन्नतिकारक रहेगा। विरासत में कुछ मिल सकता है। बैंक से ऋण में आसानी।साझेदारी में बड़े प्रोजैक्ट मिल सकते हैं।म्युचल फंड, जीवन बीमा, शेयर, लाटरी, से अचानक धन लाभ के संयोग।
कुंभ- इस राशि के लिए गुरु लाया है धमाकेदार बोनान्जा । सप्तम भाव में यह ग्रह, विवाह योग्य जातकों को घोड़ी चढ़ाएगा या डोली में बैठाएगा। जिन परिवारों में संबंध विच्छेद के कोर्ट केस चल रहे हैं, वहां परिवार बिखरने से बच सकता है। विदेश यात्रा होगी। दूकानदारों की सेल 4 गुणा बढ़ सकती है। आर्थिक प्रगति, धन धान्य, नए व्यापारिक संबंध, ऐश्वर्य, मान प्रतिष्ठा में वृद्घि के योग हैं। भूमि , वाहन, विलासिता पर उपयोगी व्यय होगा।
मीन- यदि कोई विपरीत दशा नहीं चल रही है तो रोग स्थान पर गुरु का गोचर काफी कुछ देकर जाएगा। शरीर में दातों, बालों, आखों, श्वास संबंधी अंगों का विशेष ध्यान रखें। विरोधी से परेशानी ,स्थानान्तरण या नौकरी में परिवर्तन के योग हैं। नए कार्य में निवेश कर हाथ न जलाएं। पारिवारिक संबंध संवेदनशील हो सकते हैं अत: दिनचर्या में वाद विवाद के समय बहुत सावधानी बरतें। आपके लिए गुरु के उपाय करना संजीवनी जैसे होंगे।
उपाय
यदि गुरु अनिष्ट फल दे रहा है तो ये उपाय कष्ट कम करेंगे।
1- किसी से दान या गीफट न लें।।
2- घर के सामने गड्ढा भरेंंंं ।पीली चीजें दान करें । केसर का तिलक लगाए ! 27 वीरवार केसर का तिलक लगाएं और जरा सा केसर पीले कपड्ेे या प्लास्टिक के छोटे पैकेट में बांध कर जेब में रखें ।
3-कंजकें खिलाएं-यह मन्त्र पढ़ें- ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: । गुरू यन्त्र ताम्रपत्र पर धारण करें।-
4-बनियान पर लाल धागे से अपना नाम लिखवा लें। पीपल पर जल चढ़ाएं चलते पानी में 8 बादाम और एक नारियल पीले कपड़े में बांध कर नौ वीरवार प्रवाहित करें । वीरवार के दिन पीपल लगाएं /
जल चढएंं।
5-कुत्ता पालें । गणेश पूजन करें पीपल का पेड़ लगााएं ।,फ्री कुछ न लें ।तांबे का पैसा या वस्तु दान न दें ।मंदिर/गुरुद्वारे झाड़ू लगाएं।
6- वीरवार को इन में से कोई एक चीज मंदिर या गुरुद्वारे दें / चढ़ाएं। पीले फूल, पीले फल, पीले चावल, चने की दाल, हल्दी, शक्कर, पीला घी,बेसन या बूंदी के लड्र्र्डू ,पीली बर्फी, कांसे का बर्तन,
साबुत पीला नमक, सोना, धार्मिक पुस्तकें, पीले पटके, पीली पगड्ी, पीला दुशाला, पीली चादर रुमाले आदि।
6-बच्चों के साथ काम करें । 6 दिन 600 ग्राम दाल मंदिर दें या बहाएं । पक्षियों / मुर्गों को मक्की दें-
7-पीले कपड़े पहने साधुओं से दूर रहेंं ,वस्त्र दान न दें ।लाकर में जेवरों के साथ 7 बादाम रख दे । कच्चे सूत को हल्दी से रंग कर पीपल को सात बार बांधें। $सात रतके लाल कपड़े में बांध कर
धनस्थान पर रखें। –
8-भिखारी को दर से खाली न जाने दें ,दान जरुर दें। 800 ग्राम चने की दाल धर्म स्थान में दें । पीपल का पेड़ लगाएं
9-धार्मिक स्थानों /ं तीर्थ दर्शन करें
10- 43 दिन तक चलते पानी में तांबे का सिक्का बहाएं। या 43 दिन तक ये सिक्के पीतल के बर्तन में गंगाजल भर कर डालते रहें और – 43वें दिन चलते पानी में बहा दें ,मंदिर बनवाने में दान न दें ।
10 बादाम या नारियल बहाएं
11- पीले शेड के कपड़े पहनें/ रुमाल रखें । पिता के बैड का उपयोग करें- घर में पीले फूल लगाएं। –
12-केसर का तिलक लगाएं । बड़ के पेड़ में जल चढ़ाएं । सिर पर कैप रखें या ढक के रखें –
13- सुयोग्य ज्योतिषी की सलाह से वीरवार को या पुष्य नक्षत्र में पुखराज , सुनहला, पीताम्बरी , सोने की अंगूठी में दाएं हाथ की ,तर्जनी उंगली – अंगूठे के साथ वाली, में तांबे के बर्तन में कच्चा दूध
या गंगा जल, पीले पुष्पों से एवं
’’ओम ऐं क्लीं बृहस्पतये नम:’’ मन्त्र द्वारा अभिमंत्रित करके बिना कुछ खाए पिए सूर्योदय से लेकर 11 बजे के मध्य पहना जा सकता है।