खाकी में भी इंसान है !
पुलिस हमारी रक्षक है – भक्षक कहकर ना अपमान करो
खाकी से सम्मान चाहिए तो – खाकी का भी सम्मान करो
कभी नेताओं के अहम् तो कभी समाज के आक्रोश को झेलने वाले वो खाकी धारी भी हम में से ही एक है। भारत में सबसे कठिन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के बाद ही किसी व्यक्ति को खाकी पहनने का गौरव प्राप्त होता है। सिर पर गांधी जी की टोपी कोई भी सड़क छाप गुंडा लगा कर नेता बन सकता है परंतु अशोक लगी खाकी टोपी कई वर्षो की कठोर तपस्या और अथक परीश्रम के बाद ही पहनने का सौभाग्य किसी देश भक्त को मिलता है।
जिन देश भक्त खाकीधारियो को समाज “ठुल्ला ” कहता है उन्ही के कारण ही रात को चैन से सो पाता है। विडम्बना देखिये की सरहद पर तैनात सैनिक को तो हम पूरा सम्मान देते है पर दिन-रात हमारे घरों और परिवारों की सुरक्षा करने वाले खाकीधारियो का अपमान करते है।
अपने जीवन का हर क्षण और परिवार की आहुति देने के बाद भी पुलिसकर्मियों को केवल तिरस्कार और अपमान ही मिलता है। आज समाज को चाहिए कि अपने गिरेबां में झाँके और देश-समाज के रक्षक पुलिस कर्मियो के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे।
ऊपर दिए गए आंकड़े तो एक टीवी चैनल के है परंतु यह पोस्ट लिखने का दर्द एक “ठुल्ले” के पुत्र का है। मुझे गर्व है कि मैं एक पुलिसकर्मी की संतान हूँ और मेरे पिता जी ने 40 वर्ष खाकी पहन कर इस देश और समाज के रक्षा की।
आभार