मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद्, चंडीगढ़ : आकाश मंडल में इस समय 9 में से 6 ग्रह वक्री चाल में हो गए हैं। इस समय ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है। मंगल, शनि, गुरु, बुध, राहू तथा केतु वक्री हैं। मंगल और शनि वक्री होने के अलावा वृश्चिक राशि में ही हैं। इसके अलावा गुरु और राहू के मेल से चांडाल योग बना हुआ है।
आज आधे विश्व पर भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। केवल अप्रैल महीने के अंदर अंदर ही , हाल ही में इक्वोडोर, जापान, म्यामांर , बांग्ला देश , चीन, पाकिस्तान और भारत इसकी चपेट में आ ही चुके हैं। अगला भूकंप कब आएगा , कहां आएगा , अभी तक विज्ञान इसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाता। हालांकि वैदिक ज्योतिष में , इसकी काफी अच्छी जानकारी दी गई है जो यह तो बता सकता है कि इस अवधि में भूकंप या दैवीय आपदा आएगी और कौन सा भू भाग प्रभावित होगा परंतु किस दिन या समय या देश में होगा इसमें अभी विज्ञान की तरह ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत रिसर्च की आवश्यकता है।
इस वर्ष के आरंभ में हमने इन्हीं बिंदुओं पर कि ‘कैसा रहेगा 2016 ?’ पर अनेक भविष्यवाणियां की थी जो बिल्कुल सही निकली। उनका आधार ग्रहों की चाल रही ळें
हमारे जनवरी 2016 में प्रकाशित लेख का एक अंश
इस साल ,एक करेला ऊपर से नीम चढ़ा वाली कहावत चरितार्थ होने जा रही है। एक तो सिंह राशि में गुरु – राहु का चांडाल योग , उसके ऊपर शनि की दृष्टि। मेदिनी ज्योतिष के अनुसार धार्मिक असहिष्णुता का उन्माद बढ़ना, आतंकी घटनाओं में वृद्धि, अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार, देश द्रोह, धोखाधड़ी, फ्राॅड, साईबर क्राईम जैसे विषय मीडिया में छाए रहेंगे। केतु के कुंभ राशि में आने से जल संबंधी डूबने या अधिक वर्षा के कारण बाढ़ आना और कुछ स्थानों पर कश्मीर, चेन्नई और बद्रीनाथ केदार नाथ की याद दिलाना हो सकता है। गंगा तटों पर बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है।
केतु के कंुभ में होने से जल संबंधी रोग या नए वायरल रोग पनप सकते हैं। दवा उद्योग के क्रांति आ सकती है। कंप्यूटर में भी नए वायरस का आगमन हो सकता है। इंग्लैड , जर्मनी , ग्रीस जैसे कुछ यूरोपीय देशों में आर्थिक हालात बिगड़ सकते हैं। पाकिस्तान ,अफगानिस्तान, लीबिया व सीरिया में तालिबान व आई एस आई एस समस्या बढ़ेगी। पाकिस्तान में भी आतंकवाद जोर पकड़ेगा तथा हिंसक घटनाएं बढ़ेगी। फिलीपाइन्स में एक बड़े भूकंप और सुनामी से इंकार नहीं किया जा सकता। जबकि नेपाल, रुस और चीन में प्राकृतिक आपदाएं एक के बाद एक आने की संभावना रहेगी।
अभी वर्ष के 4 महीने भी नहीं गुजरे हैं कि भारत में जनवरी के आरंभ में पठानकोट की आतंकवादी घटना, दिल्ली में देश विरोधी घटनाएं, कश्मीर में आतंकवादी हमले, दो प्रमुख नगरों में फलाई ओवर गिरने, केरल में मंदिर के पास पटाखों के कारण आगजनी होना आदि आदि हो चुके हैं।
आइये देखें ग्रह चाल कैसी है?
वर्ष 2016 का योग 9 बनता है। नए साल 2016 के पहले दिन शुक्रवार था और नव संवत 8 अप्रैल को भी शुक्रवार पड़ा । यही नहीं , पंचागानुसार , नव संवत 2073 का राजा शुक्र है ओर मंत्री बुध ।इस वर्ष 9 मार्च को सूर्य ग्रहण लगा और अब पहली सिंतंबर को भी लगेगा।
इस समय ग्रहों की स्थिति इस प्रकार है। नौ में से 6 ग्रह वक्री चाल में हैं। मंगल, शनि, गुरु, बुध, राहू तथा केतु वक्री हैं। एक दूसरे के परम शत्रु ग्रह -मंगल और शनि वक्री होने के अलावा वृश्चिक राशि में फरवरी से सितंबर तक 211 दिन रहेंगे । इसके अलावा गुरु और राहू के मेल से फरवरी से लेकर जुलाई तक चांडाल योग बना हुआ है ।
ज्योतिषीय नियमों के अनुसार जब भी मुख्य ग्रह वक्री होते हैं या शनि व मंगल एक दूसरे के साथ हों या आमने सामने हों तो सूर्य या चंद्र ग्रहण के 41 दिनों के भीतर धरती पर भूकंप, प्राकृतिक आपदा जलीय आपदा , सुनामी, अग्निकांड, मानवीय दुर्घटनाएं, युद्ध , खंड प्रलय आदि होने की पूर्ण संभावनाएं रहती हैं।
अब इन्हीं ज्योतिषीय नियमों के अनुसार दृष्टांत दुर्योगों के कारण 20 अपै्रल से 26 जून के मध्य कुछ अशुभ खगोलीय घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। आधा विश्व , प्राकृतिक व मानव निर्मित आपदा, भूकंप, भूस्खलन,सुनामी, वायु एवं रेल दुर्घटना जेैसी दुर्घटनाओं की आशंका से घिरा रह सकता है यह समय।
इस वर्ष गर्मी का प्रकोप अधिक रहेगा। अप्रैल के मध्य में ही पारा 44 डिग्री तक पहुंच गया है। कई शहरों में गर्मी का पिछले 100 सालों का रिकार्ड टूटेगा और पशु घन के अलावा जान माल का भी नुक्सान हो सकता है। यही नहीं इस वर्ष वर्षा भी अप्रत्याशित रुप से अधिक होगी। अर्थात मौसम बड़ा बेईमान रहेगा। गर्मी और बरसात दोनों ही प्रचंड हो सकती है। गुरु चांडाल योग से धार्मिक उन्माद बढ़ेगा। आपने नेताओं और धर्मगुरुओं के विवादित बयान सुन ही लिए हैं। संवत का राजा शुक्र, नए संवत और नए साल का पहला दिन शुक्रवार होने से महिला सशक्तिकरण बढ़ेगा। इसका असर आप शिंगणापुर के शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर देख ही चुके हैं ।
इस वर्ष सबसे बड़ा खतरा एक बड़े भूकंप का रहेगा । इसलिए आपदा प्रबंधन को अधिक सतर्क रहना पड़ेगा। वैज्ञानिकों को इस दिशा में और अनुसंधान करना होगा ताकि धरती के किस क्षेत्र में भूकंप या अन्य आपदाएं किस समय आएंगी इसका पूर्वानुमान लगाया जा सके।खगोल में ऐसे योग , हजारों सालों में कई बार दोहराए जाते हैं और दुर्घटनाएं इतिहास का हिस्सा बन जाती हैं।
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