संकलन : मनमोहन साबू : पाश्चात्य जीवनशैली का अंधानुकरण करने के फलस्वरूप होने वाली कुछ प्रमुख शारीरिक व्याधियां (रोग) –
– मधुमेह
– कोलेस्टरॉल
– रक्तचाप
– हृदयाघात
– अनिद्रा
– स्थूलता (मोटापा)
– कैंसर
कारण :-
* प्राकृतिक अनुशासन का पालन न करना ,
* प्राकृतिक आहार प्रणाली का त्याग ,
* दिखावटी और व्यावसायिक प्रचार के प्रभाव में हानिकारक और अखाद्य सामग्री का सेवन ,
* शारीरिक श्रम से दूरी ,
* एलोपैथिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग ,
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निवारण और उपचार :-
+ सदियों से परखी भारतीय जीवन पद्धति को अपना कर हम प्रकृति के साथ चलना आरम्भ करें ।
+ नियमित व्यायाम , पैदल चलना व शारीरिक श्रम को आदर्श मानें ।
+ अनुशासित दिनचर्या – संयमित जीवन , समयबद्ध खान-पान , निद्रा-जागरण को अभ्यास में लाएं ।
+ समस्त परिष्कृत (रिफाइंड) सामग्री – घी , तेल , दूध (थैली) चीनी , नमक जैसी वस्तुओं को , रसोई से निकाल बाहर करें ।
* देशी गाय का दूध – घी अपनाएं । पथमेड़ा गौशाला के उत्पाद – मध्य , उत्तरी और पश्चिमी भारत में उपलब्ध हैं ।
+ तेल को अत्यधिक विषाक्त (जहरीले) केमिकल के माध्यम से परिष्कृत (रिफाइंड) किया जाता है । घानी के अपरिष्कृत (नॉन रिफाइंड) तेल , स्वास्थ्यवर्धक एवं कोलेस्टरॉल रहित होते हैं । ((जयपुर में उपलब्ध हैं – तिल, सरसों , नारियल , मूंगफली के तेल । इनके उत्पादक ने अन्य नगरों के लिए आदेशपूर्ती की व्यवस्था भी कर रखी है)) ।
+ चीनी के स्थान पर बूरा , खांड , या डली वाली मिश्री का प्रयोग करें ।
+ थैली के ब्रांडेड नमक के स्थान पर सेंधा (सेंधवा) या काला नमक प्रयोग करें ।
+ अल्यूमिनियम के बरतन और कुकर , तथा नॉन स्टिक उपकरणों को पहले अवसर पर घर से बाहर निकाल दें । मिट्टी , लोहा , पीतल , तांबा के बरतन काम में लें ।
+ कच्ची सब्जियां , फल का सेवन अधिक करें ।
+ पानी पीने के नियमों का पालन करें ।
+ भोजन बनाते समय ही नमक मिला लें , बाद में यदि कम हो , तो भी दुबारा न मिलाएं ।
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भारत विश्वगुरु तभी तक था , जब तक वह “भारतीय” था ।