मदन गुप्ता सपाटू,ज्योतिशविद्, चंडीगढ़ : भारत में दीपावली क्यों मनाते हैं, यह लगभग सभी को ज्ञात है परंतु कई बातें गहनता से नहीं मालूम। मुख्य रुप से भगवान राम ,रावण का वध करके जिस रात्रि अयोध्या पहुंचे , उस रात अमावस के कारण अंधकार था। दीपावली संस्कृत का षब्द है जिसका अर्थ है – दीपों की पंक्ति यानी आवली। मार्ग प्रषस्त करने के उदे्ष्य से अयोध्या वासियों ने सारे मार्ग पर मिटट्ी के छोटे छोटे दिये जला दिये ताकि रास्ता दिखता रहे। दीपों की इस पंक्ति को दीपावली कहा गया जो बाद में दीवाली बन गया। अर्थात दीपोत्सव । फिर हर वर्श कार्तिक की अमावस्या पर राम का आगमन मनाया जाने लगा और यह उत्सव बन गया दीवाली और पूरा देष प्रकाषमय होने लगा। खुषी प्रकट करने के लिये, कालान्तर में बारुद के आविश्कार होने पर ,पटाखों का भी चलन भी आरंभ हो गया। और आज का इसका स्वरुप प्रकाषोत्सव, पटाखे चलाने, मिठाइयां बांटने, एक दूसरे को उपहार देने का रिवाज बन गया।
इसके अलावा इस दिन लक्ष्मी जी को लाल कमल का फूल अर्पित करना , पूजन करना, दक्षिणावर्ती षंख पूजन भी परिवार व व्यवसाय वृद्धि ,सुख समृद्धि व धनागमन व धन संचय के लिए षुभ माना जाने लगा।
पुराणों के अनुसार, भगवान कृश्ण ने आज के ही दिन नरकासुर का वध किया था जिसने महिलाओं का अपहरण कर रखा था। विश्णु भगवान ने नरसिंह का रुप धारण कर , आज ही हिरण्यकष्यप का वध किया था। इसी दिन समुद्रमंथन के दौरान, लक्ष्मी जी व धन्वंतरि प्रकट हुए थे।
वर्तमान इतिहास में , 1577 में इसी दिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का षिलान्यास हुआ था। यही नहीं , 1619 में इसी कार्तिक अमावस्या पर छठे गुरु हरगोबिन्द सिंह जी कारावास मुक्त हुए थे। यही कारण है आज के दिन अमृतसर की दीवाली और विषेश हो गई है।
जैन धर्म में यह निर्वाण दिवस कहलाता है।
महर्शि दयानंद जी ने आज के ही दिन अवसान लिया था।
अकबर के समय दौलत खाने के सामने दीवाली पर एक लंबे बांस पर बड़ा दीप जलाया जाता था। षाह आलम द्वितीय के षासनकाल में , षाही महल में दीपमाला की जाती थी।
मोहनजोदड़ा़े सभ्यता के दौरान खुदाई मंे निकली एक मूर्ति के दोनों हाथों में दीप जलते दिख रहे हैं जो दर्षाता है कि ईसा से 500 साल पहले भी दीवाली पर दिये जलाने की प्रथा थी।
कुछ षरारती तत्वों द्वारा दीवाली से पहले, इतिहास को बदलने और राम तथा अयोध्या के अस्तित्व पर ही प्रषन खड़े किए जा रहें हैं, जिसका विरोध करना पूरे देष का विशय बन सकता है।