सुरेश भट्ट , राष्ट्रीय अध्यक्ष हरित क्रांति भारतीय सेना(राजीव दिक्सित ) : सुनने में बड़ा अजीव लगता है की हम आजाद भारत की आजाद संतान है क्योंकि ये सच्चाई नहीं है अगर ये सच्चाई नहीं है ये कहीं न कहीं हम भी इस परिश्थिति के जिम्मेदार है ! क्योंकि हम विदेशी कंपनीज़ पर आश्रित है ,विदेशी कंपनीज़ हमारे ऊपर राज कर रही है ,और हम विदेशी तकनीक के ही अधीन है आज हमारे देश का कोई विद्यार्थी अगर अव्वल आता है वह इंजीनियर या डॉक्टर बनता है तो उसको विदेशी कंपनीज़ अच्छा पैकेज देकर विदेश ले जातीु है लेकिन भारत देश में ऐसी कोई व्यवश्था नहीं है उसी तरह का पैकेज देकर उस विद्यार्थी को अपने देश की सेवा में लिय1 जाये ! ,दुनिया भर के विदेशी कानून अभी भी हमारे सर पर तलवार की तरह लटके हुआ है जो हमारे देश के नागरिक के ही विरुद्ध जाते है ! आज हिंदुस्तान में रहकर हिन्दू ही सुरक्षित नहीं है क्योंकि जो कानून बने हुए है वो उसी के खिलाफ है !आज भारत के रूपये की दुर्दशा देख कर हमें समझ जाना चाहिए की दैनिक जीवन में काम आने वाले उत्पाद जो हम प्रयोग करते है वो अपने देश के ही होने चाहिए ,अगर ये बात हम हलके में लेने लगे तो हमारी अर्थ व्य्वश्था इससे भी बदतर हो सकती है ! सून १९७० में एक डॉलर की कीमत ४ रूपये थी औरआज हमारे रूपये की कीमत लग भग ६४ रह गयी है एक जमाना था की भारत की अर्थ व्यव्श्था सभी देशों से अच्छी थी ,लेकिन अफ़सोस हमारे देश में लगभग इतना उत्पाद होता है भारतीय लोग इतनी मेहनत करते है फिर भी हम गरीब है ,जानते हो क्यों ???—-क्योंकि हम अपने भारतीय उत्पादन छोड़ कर विदेशी उत्पादन खरीदते है ,हमारा रुपया बहार जा रहा है ,और उस रूपये के बदले कई बार तो हम केवल जहरीली वास्तु ही खरीदते है जिसमे केमिकल्स ही होते है जो हमारी सेहत के लिए हानिकारक है ! हमें अपने दिनचर्या में प्रयोग होने वाली वस्तु सोच विचार कर ही खरीदनी चाहिए कहीं हम विदेशी कंपनीज़ को तो अमीर बना कर अपनमे आपको गरीब तो नहीं बना रहे है ,अगर ऐसा है तो हम खुद अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे है ! अगर आप एक जिमेदार भारतीय है ,और भारतीय होने पर आपको गर्व है तो कृपया बिना मज़बूरी के कोई ऐसा कार्य न करे की हमारा रुपया बहार विदेश में जाये जिससे हमारे रूपये की कीमत कम हो जाये ! ७० पैसा कोल्ड ड्रिंक्स पड़ती है जिसमे पेस्टीसाईड प्रयोग किया जाता है जो लग भाग टॉयलेट क्लीनर ही समझो जिसमे सोढा बायीं करब होता है जो हड्डियों को भी बहुत नुकशान करता है शरीर में होने वाले कैल्सियम को नुकशान पहुंचता है !अपने खेतों में प्रयोग होने वाले हाइब्रिड बीजो और रशयनिक खाद और रशयनिक खाद को छोड़ कर अपने स्वदेशी बीज और गौ गोबर और गौ मूतर् द्वारा बनायीं गयी खाद का प्रयोग अपने खेतों में करना चाहिए !पिने वाले पेय पदार्थ में पेप्सी कोला ,कोका कोला सॉफ्ट ड्रिंक इत्यादि से हमें बचना चाहिए !इसकी जगह पर हमें लस्सी ,दूध ,लेमन जूस इत्यादि का इस्तेमाल करना चाहिए ! टूथ ब्रश में होने वाला पेस्ट पेप्सोडेंट ,कोलगेट ,और शिबका की बजाये हमें नीम और बबूल की दातुन या ,बबूल टूथ पेस्ट ,विक्को वजरदन्ती स्वदेशी प्रयोग करना चाहिए ! सेविंग क्रीम में गोदरेज इमामी प्रयोग करना चाहिए संतूर , गोकुल ,सिंथोल , बोरोप्लस का प्रयोग होना चाहिए ! चप्पल और जुते में हमें पैरागन , चावड़ा ,लखानी का प्रयोग हो इसी तरह स्वदेशी कपडे पहनने वाले हमें प्रयोग में लेन चाहिए इसी तरह खाने पिने की वशतुएँ भी हमारी स्वदेशी तकनीक वाली और अपने ही देश में बनी हुयी प्रयोग में लानी चाहिए ! अपने स्वदेशी पैथी जैसे योग एवं नेचर क्योर ,आयुर्वेद ,अपनी जड़ी बूटियों द्वारा ही अपना इलाज करवाना चाहिए एलोपैथी तकनीक हमारे देश के लिए नफ़िट है क्योंकि ये टेक्निक यूरोपियन देशो से बानी हुयी है उन्ही देशों के वातावरण अनुसार बनी हुयी है और. जय्दातार हमारा रुपया भी विदेशों में जाता है जिससे रूपये की कीमत लगातार घाट जाती है ! हमें इससे बचना चाहिए जिसके साइड इफ़ेक्ट बहुत ज्यादा है और साथ ही हमारे नाजुक अंगो को बहुत नुकशान पहुंचते है!! हम उम्मीद करते है की आप इस पोस्ट को पढ़ कर जरूर अपने देश के बारे में सोचेंगे की किस पर्कार हम अपने देश की भलाई कर सकते है — सुरेश भट्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष हरित क्रांति भारतीय सेना(राजीव दिक्सित )