विजय तिवारी, भवाली , नैनीताल : मील का पत्थर। जिसकी एक समय में बहुत उपयोगिता थी। यह आज भी बग्वाली पोखर जिला अल्मोडा उत्तराखणड में लगा है। उत्तराखणड में ऐसे मील के पत्थर कई जगह मे लगे हुये आज भी दिखाई देते है। इसी के पास एक पुरानी धर्म शाला है। जिसे पडाव कहा जाता था। धर्मशाला का निर्माण भी उन स्थानों पर किया जाता था। जहाँ पर पोखर या जल स्रोत या पानी की उचित व्यवस्था रहती थी। और नजदीक पर गाँव का होना भी आवश्यक रहता होगा। ताकि कुछ हद तक यात्रियों की आवश्यकता की पूर्ति हो जाये। इसी कारण बग्वाली पोखर पर धर्म शाला का निर्माण किया गया होगा। यह स्थान नौ गाँवो को जोडता है। और भौगोलिक दृष्टिकोण से भी यह स्थान उचित है। पास में ही गगास नदी का जल प्रवाह है। क्योकि जल ही जीवन है।
इन मार्ग में यात्री अपने साथ कुछ हद तक धन दौलत लेकर भी चलते थे। सुरक्षा की दृष्टिकोण से वह कुछ धन दौलत इन मार्ग में छिपा देते थे। किसी दुर्घटना वश यात्री अपनी छिपाई धन दौलत को वापस नही पा पाये । यह कहा जाता है ,जब मोटर मार्ग बना तब कई लोगों को यह धन दौलत मिली। क्योकि इतिहास के गर्त में बहुत कुछ छिपा हुआ है। जिसका आकलन हम सहजता से नही लगा सकते है।
जहाँ पर ज्यात्रि ( यात्री) ऱूका करते थे। आज मात्र कुछ भवनाशेष ही रह गये है। जो हमें इतिहास की याद दिलाते है। और सोचने पर मजबूर कर देता है। हमारा इतिहास क्या रहा होगा। यह बदरीनाथ को जाने का पुराना मार्ग रहा था। ज्यात्रि इन्ही पडाव में ऱूका करते थे। तदउपरान्त आगे की यात्रा करते थे।
परिवर्तन ही संसार का नियम है शैने शैने: समय के साथ परिवर्तन हुआ यातायात के साधनों का विस्तार हुआ। सुख सुविधा बढ़ी 1960 से पहले इस मार्ग मे यातायात के साधन नही थे। यात्री उत्तराखणड के चार धामों की यात्रा इन्ही पडावो से होकर गुजरते थे। उस समय यह मील का पत्थर उन यात्रा करने वालो के लिए उपयोगी था। एक मील जो है 1.609344 किलोमीटर के बराबर होता था।
इस मील के पत्थर से ही आगे की दूरी का पता चलता था। वर्तमान में MKS. मीटर, किलोग्राम, सेकण्ड पद्धतियों की प्रचलन है। मील में वर्तमान में दूरी को नही नापा जाता है। अब यह इतिहास की बात हो गयी। वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे देखे तो सड़को का जाल उत्तराखणड में बन गया है। हर जगह सुख सुविधा के साधनों मे वृद्धि हुई है। अगर हम देखे तो पायेगे सही मानो में धार्मिक यात्रा उस समय में ही लोग करते थे। क्योकि यात्रा में वह कष्ट भी उठाते थे।
Very useful post .
Now proper maintenance of these historical path,s is should be in priority.