कुमार गिरीश , जयपुर : दोस्तों हमारे देश के बहुत से दम्पतिय संतान न होने के कारण बहुत परेशां रहते हे और कुछ तो लाखो रूपये लगा देते है क्या आप को पता हे हमरे आयुर्वेद में बाँझपन का भी इलाज छुपा हुआ हे आज मै आपको कुछ आसानी से प्राप्त होने वाली आयुर्वेदिक दवाइयों का विस्तार से बता रहा हूँ आशा हे आप इसे पढ़ कर अवश ही संतान प्राप्ति करोगे ।
1 सेमर की जड़ पीसकर ढाई सौ ग्राम पानी मेंपकाएं और फिर इसे छान लें। मासिक धर्म के बाद चार दिन तक इसका सेवन करें।
2 50 ग्राम गुलकंद में 20 ग्राम सौंफ मिलाकरचबाकर खाएं और ऊपर से एक ग्लास दूध नियमित रूप सेपिएं। इससे आपको बांझपन से मुक्ति मिल सकती है।
3 गुप्तांगों की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें।खाने में जौ, मूंग, घी, करेला, शालि चावल, परवल,मूली, तिल का तेल, सहिजन आदि जरूर शामिल करें।
4 पलाश का एक पत्ता गाय के दूध में औटाएं और उसेछानकर पिएं। मासिक धर्म के बाद से पीना शुरू करेंऔर 7 दिनों तक प्रयोग करें।
5 पीपल के सूखे फलों का चूर्णं बनाकर रख लें।मासिक धर्म के बाद 5-10 ग्राम चूर्णं खाकर ऊपर सेकच्चा दूध पिएं। यह प्रयोग नियमित रूप से 14 दिन तक करें।
6 मासिक धर्म के बाद से एक सप्ताह तक 2 ग्राम नागकेसर के चूर्णं को दूध के साथ सेवन करें। आपको फाएदा होगा।
7 5 ग्राम त्रिफलाधृत सुबह शाम सेवन करने से गर्भाशय की शुद्धि होती है। जिससे महिला गर्भधारण करने के योग्य हो जाती है।
गर्भधारण हेतू कुछ उपाय
8 तीन ग्राम गोरोचन, 10 ग्राम असगंध, 20 ग्राम गजपीपरी तीनों को बारीक पीसकर चूर्णं बनाएं। फिर पीरिएड के चौथे दिनसे निरंतर पांच दिनों तक इसे दूध के साथ पिएं।
9 महिलाओं को शतावरी चूर्णं घी – दूध में मिलाकर खिलाने से गर्भाशय की सारीविकृतियां दूर हो जाएंगीं और वे गर्भधारण के योग्य होगी।
10. 10 ग्राम पीपल की ताज़ी कोंपलजटा जौकुट करके 500 मि.ली. दूध में पकाएं। जब वहमात्र 200 मि.ली. बचे तो उतारकर छान लें। फिर इसमेंचीनी और शहद मिलाकर पीरिएड होने के 5वें या 6ठे दिन से खाना शुरू कर दें। यह बहुत अच्छी औषधि मानी जाती है |