मनमोहन साबू, जयपुर : ईसाई नववर्ष मनाने से पहले सोचें । हिन्दू के घर संतान पैदा होती है , तो उसका जन्म संस्कार हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है। हिन्दू के घर पूजा होती है , तो हिन्दू पंचांग के अनुसार होती है।
हिन्दू के घर विवाह होता है , तो शुभमुहूर्त , विवाह संस्कार , हिन्दू तिथि और परम्पराओं के अनुसार होता है। हिन्दू के घर मृत्यु होती है , तो मृत्युसंस्कार हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है।
तो फिर हम हिन्दू , ईसाई नववर्ष क्यों मनाते हैं ? सोचो , जागो , अपने आप को पहचानों ।
अंग्रेजों ने षड़यंत्र कर के हिंदू धर्म के समस्त संस्कारों , परम्पराओं , मान्यताओं , श्रेष्ठता को नष्ट करने के लिए , जीवन के हर क्षेत्र में अंग्रेजियत को बढ़ावा दिया । स्वतंत्रता के बाद बनी सरकार के कर्ता धर्ता ने भी , उस अपसंस्कृति को , कृपटपूर्वक बनाए रखा ।
पंचांग के स्थान पर कैलेंडर का प्रचलन भी , ऐसा ही षड़यंत्र है । दैनिक जीवन में पंचांग को अपनाकर , हम हिंदू मान्यताओं को पुर्नस्थापित कर सकते हैं ।
ईसाई नववर्ष मनाने से पहले सोचें । हिन्दू के घर संतान पैदा होती है , तो उसका जन्म संस्कार हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है। हिन्दू के घर पूजा होती है , तो हिन्दू पंचांग के अनुसार होती है। हिन्दू के घर विवाह होता है , तो शुभमुहूर्त , विवाह संस्कार , हिन्दू तिथि और परम्पराओं के अनुसार होता है। हिन्दू के घर मृत्यु होती है , तो मृत्युसंस्कार हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है। तो फिर हम हिन्दू , ईसाई नववर्ष क्यों मनाते हैं ? सोचो , जागो , अपने आप को पहचानों । अंग्रेजों ने षड़यंत्र कर के हिंदू धर्म के समस्त संस्कारों , परम्पराओं , मान्यताओं , श्रेष्ठता को नष्ट करने के लिए , जीवन के हर क्षेत्र में अंग्रेजियत को बढ़ावा दिया ।In India Shaka Era was continually being disappeared. However in 1957 after the independence of India (1947) Prime Minister Jawahar Lal Nehru stated passive Shaka Era with belief that the era is of Indian origin. But, since Shaka Era is also run with Tithis and has 354 days in a year, it was unpractical and could not go long run. Therefore India practiced AD (Isvi Sambat).
Thank you
Dirgha Raj Prasai
Kathmandu