गुरुकुल में चल रहे शिविर का चौथा दिन, समापन समारोह कल आचार्य देवव्रत जी होंगे मुख्य अतिथि
कुरुक्षेत्र, 9 जून 2016: गुरुकुल में चल रहे 5 दिवसीय आर्य वीरांगना योग एवं चरित्र निर्माण शिविर के चौथे दिन आर्य वीरांगनाओं का यज्ञापवीत-संस्कार हुआ। जानकारी देते हुए वेद प्रचार विभाग के अधिष्ठाता भोपाल सिंह आर्य ने बताया कि शिविर अध्यक्ष नन्दकिशोर आर्य ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हवन सम्पन्न होने के उपरान्त सभी आर्य वीरांगनाओं को यज्ञोपवीत धारण करवाया। यज्ञोपवीत धारण करने और उससे सम्बन्धित आवश्यक नियमों का उल्लेख करते हुए पं. रामनिवास गुणग्राहक ने बताया कि यज्ञोवपीत के तीन धागे हमें तीन ऋण होने का आभास कराते हैं। इनमें पहला ऋण ऋषि ऋण कहलाता है, दूसरा ऋण माता-पिता अर्थात् पितृ ऋण तथा तीसरा देव ऋण होता है। ऋषि ऋण का अर्थ है कि जो ज्ञान हमने प्राप्त किया है, उसका अधिक से अधिक विस्तार करें। पितृ ऋण का अर्थ है कि हम अपने माता-पिता, गुरुओं और बुगुर्जों की सेवा करें तथा उनकी आज्ञा का पालन करें। देव ऋण से मतलब है कि हम नित्य प्रति यज्ञ करंे क्योंकि यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है और यज्ञ पृथ्वी का सर्वश्रेष्ठ कर्म है।
शिविर में करनाल से पधारी सुनीता नरवाल ने आर्य वीरांगनाओं को बौद्धिक देते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में नारी-शक्ति की भूमिका बेटियों को सामाजिक व पारिवारिक सुरक्षा दिलाकर ही कन्या भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराईयों को समाप्त कर सकते हैं। बेटियां स्वयं को शारीरिक व मानसिक रुप से स्वस्थ करके ही आगे संस्कारित संतति समाज को दे सकती हैं। उन्होंने सभी आर्य वीरांगनाओं को जीवन में लक्ष्य निर्धारित करके उसके अनुसार पूर्ण परिश्रम करने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर गुरुकुल के भजनोपदेशक महाशय जयपाल आर्य, जगदीश आर्य ने ‘‘आज कुछ सुनाने को जी चाहता है…’’ मर्मस्पर्शी गीत सुनाकर वातावरण को कुछ पलों के लिए गंभीर बना दिया।
प्रातःकाल व्यायाम के समय सभी आर्य वीरांगनाआंे को मुख्य व्यायाम शिक्षक समरपाल आर्य के नेतृत्व में शिक्षिका नेहा, अंजू, अनु, रेनू, शिवानी, सुजाता, नेहा, विशाखा, सरिता, सरोज, एकता, योगेश, राखी आर्या ने प्राणायाम व योगासन का प्रशिक्षण दिया। वहीं व्यायाम शिक्षक सचिन आर्य आर्य वीरांगनाओं को मानव स्तूप निर्माण तथा चन्द्रपाल आर्य ने डम्बल का प्रशिक्षण दिया। शुक्रवार, 10 जून 2016, को इस शिविर का समापन होगा जिसमें गुरुकुल के संरक्षक एवं हिमाचल प्रदेश के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी, सह-प्राचार्य शमशेर सिंह, मुख्य संरक्षक संजीव आर्य, संतोष आर्या, सचिन आर्य, जयराम आर्य आदि उपस्थित रहे।