दिल्ली दानव सी लगती है, जन्नत लगे कराची है,
जिनकी कलम तवायफ़ बनकर दरबारों में नाची है…!!! .
डेढ़ साल में जिनको लगने लगा देश दंगाई है,
पहली बार देश के अंदर नफरत सी दिखलायी है…!!! .
पहली बार दिखी हैं लाशें पहली बार बवाल हुए,
पहली बार मरा है मोमिन पहली बार सवाल हुए…!!!
नेहरू से नरसिम्हा तक भारत में शांति अनूठी थी,
पहली बार खुली हैं आँखे, अब तक शायद फूटी थीं…!!!
एक नयनतारा है जिसके नैना आज उदास हुए,
जिसके मामा लाल जवाहर, जिसके रुतबे ख़ास हुए…!!!
पच्चासी में पुरस्कार मिलते ही अम्बर में झूल गयी,
रकम दबा सरकारी, चौरासी के दंगे भूल गयी…!!!
भुल्लर बड़े भुलक्कड़ निकले, व्यस्त रहे रंगरलियों में,
मरते कश्मीरी पंडित नज़र न आये काश्मीर की गलियों में…!!!
अब अशोक जी शोक करे हैं, बिसहाडा के पंगो पर,
आँखे इनकी नही खुली थी भागलपुर के दंगो पर…!!!
आज दादरी की घटना पर सब के सब ही रोये हैं,
जली गोधरा ट्रेन मगर तब चादर ताने सोये हैं…!!!
छाती सारे पीट रहे हैं अखलाकों की चोटों पर,
कायर बनकर मौन रहे जो दाऊद के विस्फोटों पर…!!!
ना तो कवि, ना कथाकार, ना कोई शायर लगते हैं,
मुझको ये आनंद भवन के नौकर चाकर लगते हैं…!!! .
दिनकर, प्रेमचंद, भूषण की जो चरणों की धूल नहीं,
इनको कह दूं कलमकार, कर सकता ऐसी भूल नहीं…!!!
चाटुकार, मौका परस्त हैं, कलम गहे खलनायक हैं,
सरस्वती के पुत्र नही हैं, साहित्यिक नालायक हैं…!!!!!!!
Sir …. sab kah diya ….. veer ras prdhan hai … maine ise khoob ladi mardani
. Subhadra kumari chauhan ki kavita ke andaz me pada….. …. shabad shabad drpan hai….