मदन गुप्ता सपाटू , ज्योतिर्विद् : राखी का त्योहार श्रावण पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो 29 अगस्त, षनिवार को दोपहर एक बजकर 50 मिनट के बाद मनाना षुभ एवं ज्योतिशीय दृश्टि से षास्त्रसम्मत रहेेगा। यह अवधि रविवार को सायंकाल 16-17 तक रहेगी।यदि बहुत आवष्यक हो कहीं कार्यवष बाहर जाना पड़ जाए या कोई आपात स्थिति हो ,तो प्रातः 10 बज कर 14 मिनट से लेकर 11 बजकर 16 मिनट तक भी भद्रा पुच्छ काल में राखी बांधी जा सकती है परंतु 11.16 से दोपहर एक बजकर 50 मिनट तक – भद्रा मुखकाल होने से ऐसा षुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इसके अलावा मध्यानोत्र 14.15 से लेकर 17.25 तक अमृत का चैघडि़या भी है। अतः कुल मिला कर षुभ समय दोपहर 13ः50 से सायं 17ः25 के मध्य रक्षाबंधन का पवित्र कार्य किया जा सकता है।
उत्तर भारत में परम्परागत तौर पर सुबह ही राखी बांध दी जाती है। परंतु जो लोग ,ज्योतिश एवं मुहूर्त में विषवास रखते हैं, उन्हें इस बार , उपरोक्त मुहूर्त में ही रक्षाबन्धन मनाना चाहिए।
भाई-बहन को स्नेह, प्रेम ,कर्तव्य एवं दायित्व में बांधने वाला राखी का पर्व जब भाई का मुंह मीठा करा के और कलाई पर धागा बांध कर मनाया जाता है तो रिष्तों की खुषबू सदा के लिए बनी रहती है और संबंधों की डोर में मिठास का एहसास आजीवन परिलक्षित होता रहता है। फिर इन संबंधों को ताजा करने का अवसर आता है भईया दूज पर । राखी पर बहन ,भाई के घर राखी बांधने जाती है और भैया दूज पर भाई ,बहन के घर तिलक करवाने जाता है। ये दोनों त्योहार ,भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं जो आधुनिक युग में और भी महत्वपूर्ण एवं आवष्यक हो गए हैं जब भाई और बहन, पैतृक संपत्ति जैसे विवादों या अन्य कारणों से अदालत के चककर काटते नजर आते हैं।
बहनें भाई को लाल रोली या केसर या कुमकुम से तिलक करें , ज्योति से आरती उतारते हुए उसकी दीर्घायु की कामना करे और मिठाई खिलाए। भाई उपहार स्वरुप बहन को षगुन या उपहार अवष्य दे।
पुरोहित अपने जजमानों के रक्षा सूत्र बांधते हैं और उनके पालन पोशण का वचन लेते हैं। पुरोहित वर्ग को कलाई पर रक्षासूत्र की मौली के तीन लपेटे देते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए-
! येन वद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः!
तेन त्वामबुध्नामि रक्षे मा चल मा चल !!
गृह सुरक्षा हेतु करें उपाय
वास्तु षास्त्र के अनुसार यदि मौली को गंगा जल से पवित्र करके गायत्री मंत्र की एक माला करके अपने प्रवेष द्वार पर तीन गांठों सहित बांधें तो घर की सुरक्षा पुख़्ता हो जाती है और चोरी, दरिद्रता तथा अन्य अनिश्ट से बचाव रहता है।
रुठे भाई को मनाने के लिए
यदि आपका भाई किसी कारणवष रुश्ट है तो षुभ मुहूर्त पर एक पीढ़ी पर साफ लाल कपड़ा बिछाएं। भ््रााता श्री की फोटो रखें। एक लाल वस्त्र में सवा किलो जौ, 125 ग्राम चने की दाल, 21 बताषे, 21 हरी इलायची, 21 हरी किषमिष,125 ग्राम मिश्री, 5 कपूर की टिक्कियां ,11 रुपये के सिक्के रखें और पोटली बांध लें । मन ही मन भाई की दीर्घायु की प्रार्थना करते तथा मन मुटाव समाप्त हो जाने कामना करते हुए पोटली को 11 बार फोटो पर उल्टा घुमाते हुए, पोटली को षिव मंदिर में रख आएं। भाई दूज पर आपका भाई स्वयं टीका लगाने आ जाएगा।
कौन से रंग का तिलक और राखी हो अपने भ्राता श्री के लिए ?
आज ही रंगों का चुनाव कर लें बांधने और बंधवाने वाले भाई- बहन ।
मेश राषिः मंगल कामना करते हुए कुमकुम का तिलक लगाएं और लाल रंग की डोरी बांधें।संपूर्ण वर्श स्वस्थ रहेंगे। बृशभः सिर पर सफेद रुमाल रखें और चांदी की या सिलवर रंग की राखी बांधें।रोली में अक्षत मिला लें । मन षांत और प्रसन्न रहेगा। मिथुनःहरे वस्त्र से भाई का सिर ढांकें, हरे घागे या हरे रंग की राखी आत्मविष्वास उत्पन्न करेगी। कर्कःचंद्रमा जैसे रंग अर्थात सफेद, क्रीम धागों से बनी मोतियों वाली राखी भइया का मन सदा षांत रखेंगी। सिंहः गोल्डन रंग या पीली, नारंगी राखी और माथे पर सिंदूर या केसर का तिलक आपके भाई का भाग्यवर्द्धन करेगा। कन्याः हरा या चांदी जैसा धागा या रक्षासूत्र करेगा भाई की जीवन रक्षा।
तुलाः षुक्र का रंग फिरोज़ी, सफेद, क्रीम का प्रयोग रुमाल, राखी और तिलक में प्रयोग करें, जीवन में सुख समृद्धि बढ़ेगी।बृष्चिकः यदि भाई इस राषि के हैं तो चुनिये लाल गुलाबी और चमकीली राखी या धागा और खिलाएं लाल मिठाई। धनुः गुरु का पीताम्बरी रंग भाई की पढ़ाई में लगाएगा चार चांद। बांधिए उन्हें पीली रेषमी डोरी । मकरः ग्रे या नेवी ब्लू रुमाल से सिर ढकें , नीले रंग के मोतियों वाली राखी बचाएगी बुरी नजर से। कुंभः आस्मानी या नीले रंग की डोरी से बनी राखी या डोरी भाग्यषाली रहेगी। मीनः हल्दी का तिलक , लाल ,पीली या संतरी रंग की राखी या धागा षुभता लाएगा।
पुराणों तथा आधुनिक युग में रक्षा सूत्र
इंद्र की पत्नी ने इंद्र को ही राखी बांधी थी। यम को उनकी बहन यमुना ने । लक्ष्मी जी ने राजा बली को। द्रौपदी ने कृश्ण के हाथ में चोट लगने पर ं साड़ी का पल्लू बांधा था और इस पर्व पर वचन लिया।चीरहरण के समय भगवान कृश्ण ने द्रौपदी की रक्षा की । चित्तौड़ की महारानी करमावती ने हुमायूं को चांदी की राखी भेजी थी। सिकंदर को राजा पुरु की पत्नी ने राखी बांधी थी।सामाजिक संस्थाओं से संबद्ध महिलाएं , पुलिस कर्मियों, सैनिकों ,जवानों और राजनेताओं को आधुनिक युग में बांध रही हैं।
राखी इलैक्ट्र्ानिक हो या डिजाइनर ,या ई मेल हो या डाक द्वारा भेजे गए चार धागे….. मुख्य बात है उसके पीछे परस्पर विष्वास, दायित्व ,कर्तव्य, निश्ठा और स्नेह। इसी प्रकार भाई अपनी बहन को राखी के फलस्वरुप क्या उपहार देता है महत्वपूर्ण है रक्षासूत्र की भावना और उसकी लाज।
इतिहास साक्षी है कि भ्रातृ विरोध ने ही देष को विदेषियों के हाथ सौंप दिया। भक्त प्रहलाद, भक्त ध्रुव की रक्षा के लिए भगवान ने क्या कुछ नहीं किया ! उसी तरह रक्षा सूत्र के बंधन की मर्यादा का निर्वाह करना चाहिए तभी यह परंपरा सार्थक सिद्ध होगी।
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