शिखा शर्मा , चंडीगढ़ : ऐसे दिन भी देखने को बाकी रह गए थे कि सांस लेने के लिए हवा बंद बोतल में मिलेगी. जी बिल्कुल, अब कुछ ऐसा ही हो रहा है. अब सांस लेने के लिए ताज़ी हवा बंद बोतलों में बिक रही है. वो दिन गए जब जहां चाहा वहां सांस ले ली. अब कहीं जाना हो तो अपने मोबाईल, पर्स और अन्य चीजों के साथ हवा बंद बोतल भी साथ लेकर जाना पड़ सकता है. बिना सांस के तो हम जिंदा भी नहीं रह सकते न. अब तक तो पानी को लेकर हाहाकार मच रहा था लेकिन बिना पानी के कुछ दिन तक जिंदा रहा जा सकता है. ज्यादा से ज्यादा खुद को नियंत्रित किया तो लगभग 1 सप्ताह बिन पानी गुजार सकते है लेकिन सांस लिए बगैर कैसे रहेंगे? जरा सोचिये, तेज धूप पड़ रही है एक हाथ में पानी की बोतल और दूसरे हाथ में सांस लेने के लिए हवा वाली बोतल?
एक जानी मानी अख़बार ने अपने प्रथम पृष्ठ पर इस खबर को स्थान देकर लिखा है कि भारत में सांस लेने के लिए हवा बंद कैन में बिकनी शुरू हो रही है. इतना ही नहीं प्रत्येक सांस के लिए ली गई हवा का शुल्क देना होगा. तो ये मान लिया जाए कि मुफ्त में हवा खाने के दिन जा रहे है. पानी की बोतलों की तरह अब सांस लेने के लिए पैसे देने पड़ेंगे. इस समय सांस लेने के लिए ताज़ी हवा की सबसे ज्यादा जरूरत मेट्रोपोलिटन शहरों को है. कम पेड़, बेतहाशा ट्रैफिक और बढ़ती आबादी. ये सब असीमित होता जा रहा है और ताज़ी, स्वच्छ हवा सीमित होती जा रही है. सांस लेने के लिए हवा बंद बोतल के बारे में सुनने के बाद एक पुरानी याद ताज़ा हो गई. तक़रीबन 10 साल पहले मेरी मां ने कहा था जिस तरह से पेड़ों का स्तर गिर रहा है वो दिन दूर नहीं जब सांस लेने के लिए हवा के पैसे चुकता करने पड़ेंगे. वे ज्यादा शिक्षित तो नहीं है लेकिन हां शायद तेजी से बदलते माहौल को समझ चुकी थी.
खैर, अब जानना यह होगा कि बेशकीमती जीवन के लिए हवा की बंद बोतल कितने रूपए में मिलेगी. फिलहाल भारत में हर एक सांस के लिए 12.50 रूपए का मूल्य देना होगा. कनाडा की स्टार्टअप कम्पनी विटेलिटी एयर भारत में ताज़ी हवा की बिक्री शुरू करने जा रही है. शायद ही किसी को इस बात की जानकारी हो लेकिन इस कम्पनी ने पिछले वर्ष से ही हवा बंद बोतल बेचनी शुरू कर दी थी. कम्पनी का कहना है कि बीजिंग और शंघाई जैसे शहरों में ये बोतलें हाथोंहाथ बिक गई और अब तक 12,000 कैन सेल कर चुकी है. इसका सबसे बड़ा कारण रहा पिछले साल गर्मियों में कनाडा के जंगलों में आग लगना. आग लगने के बाद वहां सांस लेने में तकलीफ होने लगी जिसके बाद कम्पनी ने सांस लेने के लिए हवा बंद बोतल बनाने की कवायत शुरू की. जरा गौर फरमाईये, हमारे देश में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. जंगल जल रहे है. पेड़ कट रहे है. आबादी बढ़ रही है. ऐसे में हालात उसी दिशा की तरफ जा रहे है जहां सांस लेने के लिए हवा बंद बोतल साथ लेकर चलना पड़ेगा.
एक दिलचस्प बात और है. इन बोतलों में अलग-अलग फ्लेवर की हवा है. हालांकि कम्पनी के संस्थापक मोसेस लेम ने ये खुलासा नहीं किया कि किस तरह से हवा को अलग-अलग फ्लेवर में परिवर्तित किया जा रहा है और ताज़ी हवा बोतलों में कैसे भर रहे है, लेकिन इतना जरुर बताया कि इन कैन में कनाडा के पहाड़ों की ताज़ी हवा भरी है. हवा भरने के लिए वैक्यूम तकनीक का इस्तेमाल किया है और 40 घंटों में 1,15,000 लीटर हवा भरी जा रही है जबकि मास्क पहनकर इन कैन के जरिए सांस ली जा सकती है. कम्पनी के अनुसार, आठ लीटर की दो कैन 2800 रूपए में पड़ेगी.
अब प्रश्न ये है कि अगर एक सांस की कीमत 12.50 रूपए है तो दिन में तो हम अनगिनत सांसें लेते है. अब स्वयं ही अनुमान लगाएं कि कितनी देर में कितनी हवा खर्च होगी और कितने रुपयों में कितनी सांसें चलेगी. यह सोचकर कुछ गंभीर स्थिति तो सामने आई होगी? जिस देश में गरीबी जैसा मुद्दा अब तक नहीं सुलझा. हजारों की संख्या में लोग इसलिए दम तोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें कई दिनों तक खाना नसीब नहीं होता. उस देश में वे हवा खरीदने के लिए पैसे कहाँ से लाएंगे. अगर समय रहते तेजी से घटते पर्यावरण स्तर को नहीं रोका तो वह दिन भी दूर नहीं कि समाचार पत्रों और टीवी चैनलों पर महंगाई, पेट्रोल, डीजल जैसे ये भी दिखाया जाएगा कि सांस की कैन की कीमत रात 12 बजे से बढाई जाएगी. इस परेशानी से निकलने के लिए केवल एक विकल्प शेष है. अधिक से अधिक पेड़ लगाओ. पेड़ों की कटाई रोको, नहीं तो न केवल खाना-पीना बल्कि सांस लेना भी मूल्यवान हो जाएगा. जिस तरह से कनाडा की कम्पनी भारत में दस्तक दे रही है वो दिन दूर नहीं कि भारत में भी इस तरह का व्यापार खूब दौड़ेगा. गांवों और पहाड़ों से हवा भरकर शहरों में बेचीं जाएगी और इस बात से कोई अनभिज्ञ नहीं है कि प्रोडक्ट बनाने वाली कम्पनी से उपभोक्ता तक पहुंचने में प्रोडक्ट की क्या कीमत और स्थिति हो जाती है. मुझे लगता है अभी भी कुछ समय बचा है. जीवन को बचाने और भविष्य को उज्जवल बनाने का. पेड़ लगाओ और पर्यावरण बचाओ एक मात्र विकल्प है ऐसे हालात का सामना न करने के लिए.
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