शिखा शर्मा , चंडीगढ़ : वाहन हमारी जिन्दगी का एक अहम् हिस्सा बन गया है. आज के दौर में इसके बिना एक जगह से दूसरी जगह जाना मुश्किल ही नहीं असम्भव हो गया है. भागदौड भरी जिंदगी के लिए ये गाडियां किसी वरदान से कम नहीं है जो सरपट दौड़कर देशभर की दूरी कुछ घंटों में तय करा देती है. गांव से शहर तक जाने वाली सड़कों पर भी वाहनों की आवाजाही की प्रतिशतता बढ़ गई है. गांवों में दिन प्रतिदिन गाड़ियों में इजाफा हो रहा है. इसके विपरीत मेट्रोपोलिटन शहरों में गाड़ियों का बढ़ता जाल सड़कों पर देखा जा सकता है. जितना सड़कों पर गाड़ियों का जाल बिछ रहा है उतने ही नियम कानून बनाए गए है लेकिन कभी-कभार नियम भी खोखले पड़ जाते है और वाहन चालक भी जान से हाथ धो बैठता है.
काम की व्यस्तता और फिर जल्दी अपने गंतव्य तक पहुंचने के चक्कर में अब तक अनगिनत लोग जान गंवा चुके हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन 400 लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते है. ये आवश्यक ही नहीं की ये आंकड़ा सिर्फ उन लोगों का है जिन्होंने ट्रैफिक नियम तोड़े, सीट बेल्ट का उपयोग नहीं किया या फिर नशे में धुत होकर गाड़ी चलाई. इनमें कुछ ऐसे भी लोग है जिन्हें नौकरीपेशे के चलते रात को गाड़ी चलानी पड़ती है. हालांकि रात में कम ट्रैफिक होने के कारण गाड़ी चलाना काफी राहतदय माना जाता है लेकिन दिन की अपेक्षा रात को ड्राईविंग करना सबसे ज्यादा भयावह है. रात में सामने से आने वाली गाड़ी की तेज रौशनी ड्राइवर्स की आँखों पर पड़ती है. इस तेज रौशनी से आंखें एकदम दुन्धिया जाती है जिससे अब तक हजारों की संख्या में अपनी जान खो चुके है. इस तरह की दुर्घटनाएं अधिकतर पहाड़ी इलाकों, फ्लाईओवेर्स और सिंगल ट्रैक पर रात को ही होती है.
चंडीगढ़ से 20 किलोमीटर की दूरी में पड़ते डेराबस्सी में फ्लाईओवर का निर्माण जल्द ही शुरू किया जा रहा है. फ्लाईओवर को दोनों छोर से जोड़ने वाली अप्रोच रोड्स के 490 मीटर क्षेत्र में एंटी ग्लेयर प्लास्टिक के बोर्ड लगाए जा रहे हैं. एक-एक मीटर के फासले पर लगाए जा रहे कुल 440 बोर्ड्स के दोनों तरफ रिफ्लेक्टर्स लगाए गए हैं. इन रिफ्लेक्टर्स बोर्ड्स का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होगा जिन्हें अधिकतर रात के समय गाड़ी चलानी पड़ती है. ये बोर्ड आमने-सामने आने वाले वाहनों की तेज रोशनी से ड्राइवर्स को बचाएंगे. इनसे सामने से आ रहे वाहन की तेज रौशनी ड्राइवर की आंखों में नहीं पड़ेगी, जो हादसों का कारण बनती है. ये एंटी ग्लेयर प्लास्टिक के बोर्ड पूरे पंजाब में पहली बार डेराबस्सी में ही लगाए गए हैं. हरियाणा राज्य में केवल करनाल के पास पड़ते घरौंडा में लगे हैं.
बेशक सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ट्रैफिक नियम बनाए है लेकिन ये सभी नियम उस समय बेजान हो जाते है जब रात को सामने से आने वाली गाड़ी की तेज रौशनी ड्राइवर्स पर पड़ती है और वे दुर्घटना का शिकार हो जाते है. अगर एक्सीडेंट प्रोन एरिया (दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र) में इसी तरह एंटी ग्लेयर प्लास्टिक के बोर्ड लगाए जाए तो रात में होनी वाली अधिकतर दुर्घटनाएं कम हो सकती है और उन ड्राइवर्स के लिए जीवनदान साबित होंगी जिन्हें अधिकतर रात के समय गाड़ी चलानी पड़ती है.