शिखा शर्मा, चंडीगढ़ : राजनीति का अर्थ है समाज के हर वर्ग के नागरिक को एक समान राज करवाना और देश को विकसित व उन्नति की उंचाईयों तक पहुंचाना. संविधान में लिखा गया है कि भारत एक लोकतांत्रिक राज्य है जहां जनता द्वारा सरकार चुनी जाती है . लोकतांत्रिक का सीधा सरल तात्पर्य लोगों का शासन यानी जनता द्वारा अपना शासक स्वयं चुनना.
आज जो राजनीति कर रहे है उसको राजनीति नहीं “कुनीति” कहा जाता है, जिसमे ना देश का हित होता है और ना किसी वर्ग का! यहाँ बस लुट की प्रतिस्पर्धा होती है! जो जितना बड़ा घोटाला करता है वह उतना ही सम्मानित होता है!
राजनेता अपने मुनाफे के लिए जी भर के घोटाले कर रहे है . हर तरफ से लुट घसोट की राजनीति हो रही है . कहां से कितना मोटा मुनाफा मिलेगा इसी प्रतिस्पर्धा में जुटे हुए है. सत्ता सुख पाने के लिए प्रचार के नए नए पैंतरे अपनाते है. सिर्फ इसलिए नहीं कि जनहित हो बल्कि इसलिए ताकि सत्ता की कुर्सी मिलने पर शक्ति प्रबल हो और अपनी मनमानी कर लूट घसोट कर सकें.
इनके मुनाफे का काला चिठ्ठा खोलने वाले भी राजनीति के दलदल में फंसे हुए है. हांक -फांक कर अगर किसी अधिकारी के पास इनके घोटालों की सूचि मिल जाती है तब या तो उनका तबादला करवा दिया जाता है या फिर रुपयों का बंडल उनके मुंह में डाल कर उनकी जुबान बंद करवा दी जाती है .
राजनीति की ऐसी व्यवस्था को देख अब हर एक राजनीति में उतर गया है. अलग अलग पार्टियाँ बना कर देश को रौंधने में लगे हुए है. ये पार्टियां बस अपने-अपने वोट बनाने में लगी हुई है. 5 वर्ष के कार्यकाल में शुरू के एक वर्ष तक जनता के साथ रूबरू होकर स्वयं को उसका सेवक दर्शाती है फिर 2 साल तक अपने एश्वर्य में विलप्त हो जाती है. जब दोबारा सत्ता में आने का समय आता है तब प्रचार के विभिन्न पैंतरों से जनता को अपना सेवक बताकर वोट बटोरने में लग जाती है. ऐसे नेताओं के भाषणों में भी दरिद्रता छलकती है. विपक्ष पार्टी को घोटालेबाज, कमजोर और नाकारा बताकर जनता से सहानुभूति सींचते है और फिर उसी के नक्शेक़दमों पर चलते है. ऐसे नकारात्मक भाषणों से वे देश के लिए बंटाधार में अहम भूमिका निभा रहे है. ऐसे भाषण देने से देश एक जुट नही हो रहा बल्कि छोटे छोटे मुद्दों को बढावा देकर खुद ही देश को खोखला बनाया जा रहा है .
देश विभिन्न पार्टियों में बंट चुका है . जनता भिन्न-भिन्न धर्मों में बंट चुकी है . देश की उन्नति कैसे होगी जब उन्हीं के द्वारा इस तरह से नकरात्मकता फैलाई जा रही है जिन्हें देश के हित में अपना योगदान देना चाहिए. यह कुनीति ख़त्म करने का प्रयास हम सभी को करना चाहिए. इसके लिए जरुरी है कि आप अपने को भ्रष्ट नेताओं से दूर करें और खुला विरोध करें . ईमानदार नेता का समर्थन करें क्योंकि ईमानदार नेता को देश-हित का पाठ पढ़ाया जा सकता है लेकिन जो सत्ता में सिर्फ सत्ताधारी बनने के लिए आया हो उसको कोई पाठ नहीं पढ़ाया जा सकता है.