चंडीगढ : भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और मेहरम पब्लिकेशंस द्वारा संयुक्त रूप से किसान निर्माता संगठन (एफपीओ) विषय पर केंद्रित 11वीं प्रोग्रेसिव फार्मर मीटर का आयोजन सोमवार को सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के मुख्यालय में किया गया।
हरियाणा सरकार के बागवानी निदेशक डा. अर्जुन सिंह सैनी ने इस अवसर पर कहा कि हरियाणा में बिचौलियों की भूमिका समाप्त करने और किसानों की आय को दो गुना करने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा फसल समूह विकास कार्यक्रम शुरू किया गया है। इन क्लस्टर केंद्रों पर उर्वरक, दवाइयां और बीज प्रदान करने के साथ ही किसानों के उत्पाद की ग्रेडिंग और पैकेजिंग की सुविधा होगी। फसल समूह विकास कार्यक्रम बागवानी किसानों के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के तहत, राज्य के 340 गांवों में 140 क्लस्टर की स्थापना की गई है। इन समूहों में प्रत्येक में एक क्लस्टर केंद्र की स्थापना की जाएगी। इन समूहों मे फसल बेचना किसान के लिए लाभकारी साबित होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने उत्पाद का विपणन करना चाहिए। अंत उपयोगकर्ताओं को सीधे बेचकर, किसान अधिक आय हासिल कर सकता है और इससे अंतिम उपयोगकर्ताओं को भी लाभ होगा क्योंकि उन्हें ताजा सब्जियां और फल मिलेंगे।
पंजाब सरकार के बागवानी निदेशक पुष्पेंद्र सिंह औलख ने प्रगतिशील किसानों को संबोधित करते हुए कृषि विविधीकरण में बागवानी के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने किसानों से पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को अपनाने का आग्रह किया। डा. औलख ने बागवानी विभाग की विकास योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार मक्की जैसी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागू करने की दिशा में बढ़ रही है ताकि किसानों को अपने उपज में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। भूमिगत जल तालिका में गिरावत को देखते हुए राज्य के भविष्य को बचाने के लिए किसानों को उनकी जिम्मेदारी समझनी होगी। राज्य में राज्य के 146 ब्लॉकों में से 105 ब्लॉक बेहद नीचे भू-जल वाले ब्लॉक की श्रेणी में हैं। ड्रिप व स्ट्रिंकलर सिंचाई विधियों का प्रयोग करके स्थिति में सुधार करने की दिशा में किसान सहायता कर सकते हैं।
उन्होंने प्रगतिशील किसानों के लिए इस तरह के एक बड़े मंच को पेश करने के लिए सीआईआई के प्रयास की सराहना की। उत्पादन की बढ़ती लागत के दौर में किसानों को अपनी भूमि को फसल विविधीकरण के तहत समर्पित करना शुरू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पैकेजिंग और अच्छे कृषि उत्पादों के प्रत्यक्ष विपणन के माध्यम से फसलों का उचित और बढ़ा मूल्य प्राप्त करना चाहिए।
पंजाब सरकार के डेयरी डेवलपमेंट निदेशक इंद्रजीत सिंह ने कहा कि किसान निर्माता संगठन (एफपीओ) एक तरफ व्यक्तिगत प्रोड्यूसर्स / किसानों और दूसरी ओर खरीददार या सर्विस प्रोवाईडर के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं। एफपीओ कई छोटे-छोटे उत्पादक / किसानों की व्यावसायिक गतिविधियों को एक साथ लाते हैं और उनकी संयुक्त व्यावसायिक गतिविधियों के स्तर में वृद्धि करते हैं।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. मनजीत सिंह कांग ने कहा कि 50,000 से अधिक समर्पित कृषि वैज्ञानिक क्षेत्रीय समस्याओं से निपटने और तकनीकी समाधान विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि इन वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सभी तकनीक सभी किसानों तक नहीं पहुंच सकी हैं। अनुसंधान संस्थानों से किसानों के दरवाजे से प्रौद्योगिकियों का किसानों तक स्थानांतरण बहुत महत्वपूर्ण है। कृषि विस्तार सरकार के विकास कार्यक्रमों के लाभों के बारे में किसानों को सूचित करता है।
सीआईआई पंजाब स्टेट काउंसिल के चेयरमैन गुरुमीत सिंह भाटिया ने कहा कि किसान निर्माता संगठनों के पीछे की अवधारणा यह है कि किसान जो उत्पादक हैं समूह बना सकते हैं और भारतीय कम्पनियों अधिनियम के तहत खुद को पंजीकृत कर सकते हैं। इसका उद्देश्य किसानों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और उभरते बाजार के अवसरों में लाभ में वृद्धि का मौका देना है। वर्ष 2014 को किसान निर्माता संगठनों के वर्ष के रूप में देखा गया और धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से अब इस अवधारणा को अपनाया जाने लगा है। एफपीओ के प्रमुख कार्यों में बीज, उर्वरक और मशीनरी की आपूर्ति, प्रशिक्षण और नेटवर्किंग तथा वित्तीय और तकनीकी सलाह शामिल होगी। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि एफपीओ की ताकत का फायदा उठाने के लिए यह सबसे अच्छा समय है। इससे किसान आत्मनिर्भर हो जाएगा और उनकी आय को दोगुना करने के सरकार की योजना को पूरा करने में योगदान दे सकता है। अन्य प्रख्यात वक्ताओं ने भी इस विषय पर पक्ष रखा।