प्रारम्भिक जानकारी- पॉली हाउस या संरक्षित खेती एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से वाहरी वातावरण के प्रतिकूल होने पर भी इसके अंदर फसलों / बेमौसमी नर्सरी एवं सब्जी को आसानी से उगाया जा सकता है । यह तकनीक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में एक असरकारक सिद्ध हुई है।
यह एक संरक्षित खेती है जिसमें सब्जियों में , शिमला मिर्च, खीरा, टमाटर, गोभी, आदि तथा फूलों की खेती में जरबेरा, कारनेशन, गुलाब, आदि को पॉली हाउस में उगाया जाता है। घटती जोत और अधिक मुनाफे के कारण भी किसान इस प्रकार की खेती का रुख कर रहे है।
पॉली हाउस खेती शुरू करने के लिए प्रशिक्षण लेना आवशयक है इसके लिए उद्यान विभाग या नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क किया जा सकता है। सफल किसान जिसने पॉली हाउस लगाया है और खेती कर रहा है, उससे भी इस खेती के बारे में जाना जा सकता है।
पॉली हाउस निर्माण में रखी जाने वाली सावधानियां ।
पौली हाउस बनाने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां कम हवा चलती हो दिन भर धूप रहती हो तथा सिंचाई की उचित व्यवस्था हो। पौली हाउस की दिशा पूर्व पश्चिम होनी चाहिए ताकि सूर्य का प्रकाश पौधों को दिन भर अधिक समय तक मिलता रहे। पॉली हाउस के पास बड़ा पेड़ या छाया नही रहनी चाहिए।
पॉली हाउस जमीन से कुछ ऊंचाई पर उठा होना चाहिए ताकि नमी या पानी न रुके जमीन की ढाल ऐसी होनी चाहिए कि सतह का पानी पॉली हाउस से दूर रहें अन्यथा फसल में रोग आने की संभावना बढ़ जाती है।
पॉली हाउस ऐसे क्षेत्र में होना चाहिए जहां बाजार से कम दूरी, यातायात के साधन आदि की सुविधा रहे।
पौली हाउस में दोहरा दरवाजा, पर्याप्त साइड व टोप वेटिंलेसन,टपक विधि द्वारा सिंचाई, सैड नेट एवं कीट अवरोघी नाइलौन की जाली अवश्य लगाएं।
पॉली हाउस के फायदे –
पाली हाउस के अन्दर के वातावरण को बिना किसी उच्च तकनीक के नियंत्रित करते हुए इसके अन्दर एक वर्ष में तीन से चार बार सब्जी की फसलें उगा सकते हैं।
सब्जियों को विपरीत मौसम जैसे पाला कोहरा ओला ,अधिक बर्षा व अधिक ठंड से बचाव किया जा सकता है।
बे मौसमी सब्जी उत्पादन कर अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं।
उच्च गुणवत्ता का उत्पादन प्राप्त होता है जिसका बाजार में अधिक मूल्य मिलता है।
सामान्य खेती की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र फल में उत्पादकता में 3-4 गुना वृद्धि होती है।
बीमारी व कीटों का फसल पर कम प्रकोप रहता है।
पॉली हाउस में वर्ष भर उत्पादन लिया जा सकता है।
पौली हाउस में उच्च तकनीक अपना कर टमाटर व सिमला मिर्च से लगातार 7 – 9 माह तक लगातार उत्पादन लिया जा सकता है।
सब्जियों का चुनाव-
पॉली हाउस में बेमौसमी उत्पादन के लिए वही सब्जियाँ उपयुक्त होती हैं जिनकी बाजार में माँग अधिक हो और वे अच्छी कीमत पर बिक सकें।
उन्हीं सब्जियों को लगायें जो ऊंचाई में अधिक बढती हैं।फसलों का चुनाव क्षेत्र की ऊंचाई के आधार पर करें।
पर्वतीय क्षेत्रों में जाड़े में मटर, पछेती फूलगोभी, पातगोभी, फ्रेंचबीन, शिमला मिर्च, टमाटर, मिर्च, मूली, पालक आदि फसलें तथा ग्रीष्म व बरसात में अगेती फूलगोभी, भिण्डी, बैंगन, मिर्च, पातगोभी एवं लौकी वर्गीय सब्जियाँ ली जा सकती हैं।
सावधानियां-
पौली हाउस में जैविक खादों का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। 100 वर्ग मीटर के पाली हाउस में लगभग 5 – 6 कुन्तल गोवर की सडी खाद बीज बुवाई के एक सप्ताह पहले डाल कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए।
प्रत्येक सब्जी में निश्चित तापमान पर बीज का जमाव, वानस्पतिक वृद्धि, फूल व फल लगते हैं इस लिए भिन्न भिन्न सब्जियों में पौलीहाउस के अन्दर का तापमान सब्जियों के अनुकूल रखना पड़ता है।
बीज वुआई/पौध रोपण से पूर्व पौली हाउस की भूमि का रासायनिक उपचार कर शोधन करें। इस कार्य हेतु 1लिटर फार्मेलीन का100 लिटर पानी में घोल बना लें तथा 5 लिटर प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि को तर कर लें। उपचारित स्थान को पालीथीन शीट से 7 – 8 दिनों के लिए ढक लें जिससे फार्मलीन गैस जमीन में चली जाय तथा जमीन में उपस्थित कीट व फफूंद को नष्ट कर दे। इसके बाद पौलीथीन सीट हटाकर गहरी खुदाई कर बीज / पौध लगायें। एक फसल लेने के बाद पूरे पाली हाउस की सफाई ठीक प्रकार से करें व भूमि को उपचारित करें।
साधारण पॉली हाउस में उचित वायु संचार का प्रबन्ध अत्यावश्यक है। ठण्ड के समय रात में खिड़की-दरवाजे बन्द रखे जाते हैं जबकि ग्रीष्म में तापक्रम न बढ़ने देने के लिए सैड नेट का प्रयोग करें साथ ही दिन रात खुला रखने की आवश्यकता पड़ती है। अन्दर का तापमान 30° सेल्सियस से ऊपर न जाने दें।
हानिकारक कीटों को आकृषित करने के लिए पाली हाउस के अन्दर पीले चिपचिपे ट्रेप का प्रयोग करें। पीले चार्ट पेपर को 15×30 सें०मी० के आकार में काटें प्रत्येक ट्रेप पर दोनों तरफ से अरण्डी/सरसों का तेल लगायें इस प्रकार तैयार ट्रेपो को फसल की ऊंचाई से 10 – 15 से मी ऊपर रखें तथा ट्रेप की ऊंचाई पौधों की बढ़वार के साथ बढ़ाते रहें। दस ट्रेप प्रति 100 वर्ग मीटर में प्रयोग करें। यलो ट्रेप बाजार में भी उपलब्ध हो जाते हैं।
पाली हाउस के अन्दर सब्जी उत्पादन में परागण की समस्या रहती है उन्हीं किस्मों का चयन करें जिनकी संस्तुति वैज्ञानिकों द्वारा की गई हो। पौलीहाउस के अन्दर उपस्थिति मधुमक्खियों को अधिक तापमान के व अन्य कारणों से मरने न दें। दिन में कुछ समय के लिए पौधों को हल्का हल्का हिलाते रहें तथा हवा का आवागमन रखें।
फसल चक्र-
विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, अल्मोड़ा में किये गये परीक्षण में टमाटर-टमाटर-पालक,
शिमला मिर्च-टमाटर-पालक एवं विलायती कद्दू- फ्रेंचबीन-टमाटर-पालक फसल-चक्र लाभकारी मिला है।
फोटो श्री मुकेश लाल एवं कुलदीप जी के सौजन्य से-