चंद्रेश भावसार : भूमि में पाये जाने वाले केंचुए मनुष्य के लिए बहुपयोगी होते हैं। मनुष्य के लिए इनका महत्व सर्वप्रथम सन् 1881 में विश्व विख्यात जीव वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन ने अपने 40 वर्षों के अध्ययन के बाद बताया। इसके बाद हुए अध्ययनों से केंचुओं की उपयोगिता उससे भी अधिक साबित हो चुकी है जितनी कि डार्विन ने कभी कल्पना की थी। भूमि में पाये जाने वाले केंचुए खेत में पढ़े हुए पेड़-पौधों के अवशेष एवं कार्बनिक पदार्थों को खा कर छोटी-छोटी गोलियों के रूप में परिवर्तित कर देते हैं जो पौधों के लिए देशी खाद का काम करती है। इसके अलावा केंचुए खेत में ट्रैक्टर से भी अच्छी जुताई कर देते हैं जो पौधों को बिना नुकसान पहुँचाए अन्य विधियों से सम्भव नहीं हो पाती। केंचुओं द्वारा भूमि की उर्वरता (Fertility) उत्पादकता (Productivity) और भूमि के भौतिक, रासायनिक व जैविक गुणों को लम्बे समय तक अनुकूल बनाये रखने में मदद मिलती है।
यही केंचुआ बरसात के दिनों में हमारे खेतों में नजर आता है लेकिन फसल लेने के चक्कर में हम उस खेत में डीएपी और यूरिया डालते हैं जिससे यह केंचुआ मर जाता है या जमीन की गहराइयों में चला जाता है केंचुआ जमीन के अंदर 15 फीट तक जीवित रह सकता है और कृषि के लिए हमें भूमि चाहिए ऊपर की एक से डेढ़ फीट यदि इस भाग में केंचुआ नहीं होगा तो हमारे फसल को जैविक खाद नहीं मिल पाएगा
इसी समस्या से छुटकारा पाने हेतु कई गो वैज्ञानिक वैदिक ऋषि मुनियों ने हजारों सालों से जीवामृत नामक एक औषधि बनाई है
जीवामृत क्या कार्य करता है ❓
जीवामृत का छिड़काव खेतों में जमीन के नीचे गए हुए केचुआ को खेत में बुलाकर हमारे खेत को पुनः उपजाऊ बनाने का एक अमृत है जिन किसानों ने लगातार कई वर्षों से जीवामृत एवं जैविक खाद का प्रयोग किया है उनके खेतों का पीएच मान बहुत बड़ा है और बिना डीएपी यूरिया के अच्छी ,उचित एवं उच्च मूल्य पर अपनी फसल को बेचा है
कैसे बनाएं जीवामृत
इसके लिए आपको चाहिए
1 एक ड्रम 50 लीटर पानी
2 गाय के दूध की छाछ 5 लिटर
3 गोमूत्र 3 लीटर
4 गुड 2 kg
5 बेसन 1 kg
6 पीपल या बरगद के पेड़ के जड़ के पास की मिट्टी 2kg
5 गाय का गोबर 5 kg
इन सभी वस्तुओं को ड्रम के अंदर मिलाने के बाद छांव में रख दे सुबह शाम बड़ी लकड़ी से इसे हिलाना है इस मिश्रण को 7 दिन तक रखे रखना है यह तैयार हो गया आपका जीवामृत
खेत में कैसे प्रयोग करें जीवामृत का
एक बीघा खेत हेतु
तैयार जीवामृत में से 5 लीटर जीवामृत लेना है जिसे 200 लीटर पानी में मिला देना 200 लीटर पानी में 2 किलो गुड व छाछ 5 litre मिलाकर 5 दिन तक छांव में रखना है इसे जब भी आप फसल में पानी दे सिंचाई के पश्चात इस तैयार जीवामृत को पंप या किसी अन्य उपकरण से खेत में छिड़काव करना है
एक फसल में कितनी बार करें छिड़काव
जब जब भी आप खेतों में पानी दे उसके पश्चात बनाया हुआ 200 लीटर जीवामृत का आप छिड़काव करें चाहे आप फसल के दौरान 3 बार या 4 बार पानी दें हर बार जीवामृत का प्रयोग करना है
हर बार के लिए कहां से लाएं जीवामृत ❓
पहली बार जो आपने 50 लीटर जीवामृत बनाया है उसमें से 5 लीटर जीवामृत (जामण) के रूप में रहने देना है इसी से ही हर बार खेत में छिड़काव हेतु 200 लीटर जीवामृत बनाकर छिड़काव करना है
सावधानी
खेत में देसी खाद या जैविक खाद डालने के पश्चात जब जब भी जीवामृत का प्रयोग करें किसी भी समय उस फसल में डीएपी एवं यूरिया का प्रयोग नहीं करना है यही से शुरुआत हो जाती है आपके बहुत सारे पैसों की बचत की
एक बार यह प्रयोग करके देखें आपके फसल के दाम भी बाजार मूल्य से डेढ़ गुना प्राप्त होंगे
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