पंचकूला, 12 अप्रैल। कृशि एवं पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं द्वारा 13 अप्रैल से षुरू किए जा रहे राश्ट्रव्यापी भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान के तहत कल हरियाणा भर में 425 से ज्यादा स्थानों पर भूमि पूजन कार्यक्रम आयोजित किए गये हैं। हरियाणा में यह अभियान 10 से 30 मई तक चलेगा।
भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान में हरियाणा के संयोजक एवं प्रसिद्ध कृशि वैज्ञानिक डाॅ0 ओमपाल ने आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया िकइस अभियान के तहत पूरे प्रदेष के गाँवो से खेतों की मिट्टी इकट्ठी कर 425 स्थानों पर भूमि पूजन किया जायेगा तथा जमीन के सुपोषण एवं संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया जायेगा। तीन महीने तक चलने वाला यह व्यापक जन अभियान 24 जुलाई को सम्पन्न होगा।
उन्होंने बताया कि यह जनअभियान पिछले 4 साल से किए जा रहे व्यापक विचार विमर्ष का परिणाम है। किसानों के साथ-साथ कृशि वैज्ञानिकों ने गहन विचार विमर्ष के बाद इस जनअभियान की रूपरेखा तैयार की है। इस अभियान के संचालन की जिम्मेदारी 33 धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं ने अपने कंधों पर ली है।
प्रेस कांफ्रेस में बेस्ट आर्गेनिक किसान राजकुमार आर्य भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि कल देषभर में भूमि पूजन के कार्यक्रमो में संकल्प लिया जायेगा कि हमारी जमीन का सुपोशण करना केवल किसानों की ही जिम्मेदारी नहीं है अपितु यह सभी देषवासियों का सामूहिक उत्तरदायित्व है। इसलिए यह अभियान गाँवो के साथ-साथ षहरों में भी आयोजित किया जा रहा है। अभियान के प्रथम चरण में भूमि सुपोशण को प्रत्यक्ष साकार करने वाले प्रगतिषील किसानों को सम्मानित करना, भूमि सुपोशण की विभिन्न पद्धतियों के प्रयोग को आम व्यक्तियों के सामने लाना, जो किसान इस दिषा में आगे बढ़ना चाहेंगे उनको प्रोत्साहित करना, षहरी इलाकों में हाउसिंग कालोनियों में जैविक-अजैविक अपषिश्ट को अलग रखना एवं कालोनी के जैविक अपषिश्ट से कैपोस्ट (जैविक खाद) बनाना है। इसके अलावा खेतीबाड़ी से जुड़े सेमीनारों, कार्यषालाओं, किसान प्रषिक्षण एवं खेतीबाड़ी प्रदर्षनियों का आयोजन भी इस जन अभियान के तहत व्यापक स्तर पर किया जायेगा।
डाॅ0 ओमपाल ने बताया कि किसानों का अनुभव कहता है कि आधुनिक समय में हमने लगातार भूमि का षोशण किया है और इस कारण भूमि की उपजाऊ क्षमता लगातार घट रही है। आर्गेनिक कार्बन की मात्रा भी निरंतर घट रही है, इस कारण कृशि उत्पादन भी कम हो रहा है। भूमि की जलधारण क्षमता और जलस्तर अधिकांष स्थानों पर घट रहा है। इस भयावह स्थिति में कुपोशित भूमि के कारण आम आदमी भी बहुत से जानलेवा रोगों का षिकार हो रहा है। अब वक्त आ गया है कि भूमि सुपोशण की इस अनदेखी को बंद किया जाये तथा भूमि हमारी माँ है इस भूमि से जमीन की देखभाल षुरू की जाये।
इस अभियान को चलाने के लिए एवं राश्ट्र स्तरीय मार्ग दर्षन मंडल बनाया गया है और अभियान की राश्ट्रीय समिति में ऐसे किसान षामिल हैं जो भारतीय किसान वितन एवं सुपोशण कल्पना को प्रत्यक्ष धरातल पर उतारने में सक्षम हैं। इसके लिए सभी प्रांतों में भी संचालन समितियां गठित की गयी हैं। श्री जयराम पाटीदार राश्ट्रीय समिति के संयोजक बनाये गये हैं।
अभियान में गायत्री परिशर,, पतंजलि योगपीठ, रामकृश्ण मिषन, इस्कान, श्री सिद्धगिरि पीठ, ईषा फाउंडेषन, श्री रामचंद्रमिषन, जीयर ट्रस्ट, दारूल संगम, भारतीय किसान संघ, स्वदेषी जागरण मंच, सरकार भारती, वनवासी कल्याण आश्रम, दीनदयाल षोध संस्थान, अक्षय कृशि परिशर,, विद्या भारती, विष्व हिन्दू परिशद, गौ विज्ञान अनुसंधान केन्द्र, कृशि प्रयोग परिशर, एकलव्य फाउंडेषन, गंगा सेवा समिति, यूथकार नेषन इत्यादि षामिल हैं।