संजय पराते , छत्तीसगढ़ : जैसी कि आशंका थी, छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के विखंडन के बाद राज्य में बिजली दरों में बहुत तेजी के साथ वृद्धि होगी, सही साबित हुआ है | जिस राज्य में सरकार ने दो तिहाई परिवारों को गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) के कार्ड डे रखे हों, उस राज्य में घरेलु उपभोक्ताओं के लिये बिजली दरों में 67 से 100 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित करना क्रूर मजाक ही है | भरपूर मेहनत और खून पसीना बहाने के बाद असमय हुई बारिश से जिन किसानों की फसल बर्बाद हो गई है और जो अब नून भात खाकर ज़िंदा रहने की लड़ाई लड़ने जा रहे हैं, उन किसानों के खेतों के लिये बिजली दरों में 140 प्रतिशत की वृद्धि करने का अर्थ ही है, उनके अस्तित्व के खिलाफ सरकार द्वारा अमानवीय युद्ध की घोषणा करना | और ऐसा भाजपा की वह सरकार कर रही है जो केन्द्रनीत महंगाई तथा उसकी कृषि नीतियों के खिलाफ आक्रामक तेवर को दिखाती है ,लेकिन अपने राज्य में ठीक वही करती है , जो केंद्र के स्तर पर कांग्रेस-नीत गठबंधन कर रहा है | राजनैतिक बेईमानी का इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि जिस सरकार के राज्य में उद्योगपति हर साल 1000 करोड़ रुपये से उपर की बिजली चोरी करते हैं , सभी सरकारी विभागों और निजी उद्योगों पर हजारों करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है , जहाँ ओपन एक्सेस घोटाले में हजारों करोड़ रुपये पूंजीपतियों और विद्युत मंडल के अधिकारियों की जेब में गए हों और विद्युत मंडल को चूना लगा हो , वह सरकार चोरी रोकने और बकाया वसूल करने तथा घोटाले की रकम दोषियों से वसूल करने के बजाय , कथित तौर पर 1854 करोड़ रुपये के राजस्व की कमी (घाटा नहीं) का रोना रोकर अपने निकम्मेपन की गाज किसानों और गरीब मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं पर गिरा रही है |
छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल के फायदे को एक लाइन में इस तरह कहा जा सकता है कि अब तीन कंपनियों के रहनुमाओं के पास भ्रष्टाचार की गंगा में नहाने के अवसर हैं , तीनों कंपनियों को लाभ में भी रहना है और यह आम जनता की जेब पर डाका डालकर ही होना है |यही कारण है कि विखंडन के पहले विद्युत की जो औसत दर २.98 प्रति यूनिट थी , पांच सालों में बढ़कर 4.38 रुपये हो गई है , याने 47 प्रतिशत की वृद्धि और कोढ़ में खाज यह कि उपभोक्ता को इस बिल पर ऊर्जा उपकर, शिक्षा उपकर, विद्युत शुल्क (ड्यूटी) आदि और चुकाना है, सो अलग | जैसा कि है , आजकल की सरकारें रसूखदारों पर मेहरबान और गरीबों तःता मध्यमवर्ग पर तलवारें भांजने वाली होती हैं , छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार उससे अलग नहीं है | प्रस्तावित टेरिफ में पूर्व की तुलना में मीटरयुक्त बीपीएल उपभोक्ताओं के लिये बिजली दरों में वृद्धि 67 प्रतिशत है | पहले उसे एकल बत्ती के लिये बिना मीटर 50 रुपये प्रतिमाह अदा करना पड़ता था | अब वह सरकार की इस राहत का हकदार नहीं है |
सरकार की राहत का हकदार उपभोक्ताओं का वह वर्ग भी नहीं है , जो ईमानदारी से ऊर्जा संरक्षण के नारे पर अमल करता है और बिजली बचाना अपना कर्तव्य समझता है | स्स्सरकार की राहत के हकदार वे भी नहीं हैं जो उनकी न्यूनतम मानवीय जरूरतों के लिये भी बिजली का उतना उपभोग नहीं कर पाते हैं , जितना कि संपन्न घरों के पेट्स को गर्म रखने के लिये किया जाता है | जो लोग 200 यूनिट तक बिजली जलाते हैं , उनके लिये दरों में 100 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित है | जो 500यूनिट बिजली जलाते हैं , उनके लिये वृद्धि 92 प्रतिशत है | उच्च आय वर्ग के उपभोक्ता , जो बिजली की चकाचौंध करके अपना स्टेट्स मेंटेन करते हैं याने 700 यूनिट से ज्यादा बिजली जलाने वालों के लिये प्रस्तावित वृद्धि मात्र 40 प्रतिशत है |
रमन सरकार अपनी अनेक सफलताओं में से एक दावे को बार बार दोहराती है कि छत्तीसगढ़ बिजली कटौती से मुक्त प्रदेश है | यद्यपि , केवल शहरी क्षेत्र में ही यह दावा खरा है , ग्रामीण क्षेत्र में अघोषित कटौती कभी भी बंद नहीं हुई | शहरी क्षेत्र में दी जा रही अबाध बिजली की पूरी कीमत भाजपा सरकार मध्यम और गरीब तबके से किस कुटिलता के साथ वसूल कर रही है , उसकी बानगी वह स्लेब पैटर्न है , जो छत्तीसगढ़ के अलावा पूरे देश में कहीं नहीं है | यहाँ तक कि कर्नाटक , गुजरात , मध्यप्रदेश जैसे भाजपा शासित प्रदेशों में भी नहीं | पिछले पांच सालों से सरकार ने विद्युत दरों को 0-200 यूनिट , 0-500 यूनिट , 0-700 यूनिट तथा 0-700 यूनिट से अधिक के स्लेबों में बाँट कर रखा है , याने एक यूनिट भी अधिक जलाने पर उपभोक्ता को कुल यूनिटों पर अगले स्लेब की दरों पर भुगतान करना होता है |
प्रचलित और प्रस्तावित
टेरिफ पर बिजली बिल
यूनिट रुपये रुपये
200 320 640
201 382 734
500 950 1825
501 1228 2004
700 1715 2800
701 2100 2945
पिछले पांच वर्षों से प्रदेश की आम जनता इस अतार्किक स्लेब पैटर्न की शिकार है , जहाँ एक यूनिट ज्यादा बिजली खपत के कारण अगले स्लेब में पहुँचने से ही बिजली बिल में सैकड़ों रुपये का उछाल आ जाता है | उदाहरण के लिये , जहाँ 200 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ता को वर्तमान टेरिफ पर 320 रुपया देना पड़ता है , प्रस्तावित टेरिफ में उसे 640 रुपये तथा एक यूनिट बिजली अधिक होने पर याने 201 यूनिट होने पर 734 रुपये देने होंगे | यह स्लेब पैटर्न और राज्य में प्रस्तावित बढ़ा हुआ टेरिफ गरीब और मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं का गला काटने के सिवा कुछ भी नहीं है | राज्य में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ही है , जो भाजपा के साथ गलबहियां डाल कर चलती है , उससे जनता के पक्ष में खड़े होने की उम्मीद करना ही बेकार है |
AP NE JO JANKARI DI HAI USKO PRINT OUT KARKE HUM SURKSHIT RKH LIYA APKA HARDIK DHANYBAAD……UR TRUELY WELWISHER:
RK VIKRAMA SHARMA VIKRANT
BUREAU CHIEF
JOURNALISTODAY JTN
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THE INDIA POST
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छत्तीसगढ़ की सच्चाई पर एक सुन्दर लेख |