सामाजिक कार्यकर्त्ता नूतन ठाकुर द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में दायर पीआईएल जिसमे एसपी गोंडा नवनीत राणा सहित अन्य पुलिस अफसरों के मनमाने तबादलों को चुनौती दी है, की सुनवाई कल 12 फ़रवरी 2013 को संभावित है.
ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा है कि रिट याचिका 310/1996 (प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार) में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने 26 दिसंबर 2010 को शासनादेश जारी कर थानाध्यक्ष से ले कर फील्ड ड्यूटी में लगे सीओ, एडिशनल एसपी, एसपी, डीआजी और आईजी तक सभी अधिकारियों का न्यूनतम कार्यकाल दो वर्ष कर दिया था. कोई अधिकारी दो साल से पहले पांच कारणों से हटाया जा सकता है- विभागीय जांच, न्यायालय द्वारा सजा, भ्रष्टाचार के आरोप, अयोग्यता और व्यापक जनहित. ऐसे सभी मामलों में तबादले का स्पष्ट कारण लिखित रूप से अनिवार्यतः अंकित किया जाएगा.
ठाकुर ने कहा है कि वर्तमान में इस शासनादेश का खुला उल्लंघन किया जा रहा है और राणा सहित तमाम मामलों में बिना कारण बताए मनमाने तबादले किये जा रहे हैं.
अतः ठाकुर ने प्रार्थना की है कि 26 दिसंबर 2010 के बाद के सभी ऐसे तबादलों की समीक्षा की जाए और राणा सहित जितने भी अधिकारियों के तबादले इस नियम के विपरीत किये गए हैं, उन्हें निरस्त किये जाएँ.