सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के निदेशक उमा शंकर की जन्मतिथि से सम्बंधित मूल आवेदनपत्र तथा व्यक्तिगत पत्रावली गायब करा कर उनकी जन्मतिथि 25 अक्टूबर 1951 से छह साल घटाकर 25 अक्टूबर 1957 किये जाने के बारे में एफआईआर दर्ज करने के लिए आज थाना गोमती नगर, लखनऊ में प्रार्थनापत्र दिया.
उमा शंकर ने लगभग 58 साल की नौकरी के बाद 18 मार्च 2008 को अपनी जन्मतिथि बदले जाने हेतु आवेदन दिया. उन्ही के प्रार्थनापत्र को स्वीकार करते हुए शासन द्वारा 16 जून 2009 को उनकी जन्मतिथि छह वर्ष कम कर दी गयी. इस सम्बन्ध में हरि शंकर पाण्डेय, विशेष सचिव, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग द्वारा की गयी जांच में सारे तथ्य सामने आये. पाण्डेय ने 30 अक्टूबर 2012 को संजीव दूबे, प्रमुख सचिव, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को प्रस्तुत नौ पृष्ठों की जांच आख्या में लिखा कि उमा शंकर ने अपने निहित स्वार्थों की पूर्ती हेतु छह वर्ष का अनुचित सेवाकाल बढाए जाने हेतु की आपराधिक मंशा से शहजादे लाल, संयुक्त सचिव, हरेन्द्र वीर सिंह, विशेष सचिव आदि के साथ दुरभिसंधि कर यह आपराधिक कृत्य किया.
जांच में यह बात भी आई कि पूर्व में कम से कम दो बार 14 दिसंबर 2001 और 04 जनवरी 1995 को विभाग के अभियंताओं की अंतिम ज्येष्ठता सूची बनी थी और उसके लिए आपत्तियां मांगी गयी थीं. उमा शंकर ने इनमे कभी भी कोई आपत्ति नहीं की थी. 28 मई 1974 के एक शासनादेश में कहा गया है कि जन्मतिथि सम्बन्धी आयु को सही करने के बारे में कोई आवेदनपत्र किन्ही भी परिस्थितियों में ग्रहण नहीं किया. लेकिन उमा शंकर के मामले में विभाग के अधिकारियों ने आवेदनपत्र ग्रहण भी किया और विधिविरुद्ध तरीके से उसे स्वीकार भी कर लिया.
नूतन ने इन तथ्यों के आधार पर इन अधिकारियों द्वारा जन्मतिथि सम्बन्धी अभिलेखों में अनुचित फेरबदल करने एवं फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने, उमा शंकर के मूल आवेदनपत्र तथा व्यक्तिगत पत्रावली एवं अभिलेखों को गायब कराने, धोखाधड़ी से जन्मतिथि परिवर्तित कर छह वर्षों का अनुचित सेवाकाल का लाभ देने के बारे में एफआईआर कर विवेचना करने हेतु आवेदनपत्र दिया है. अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं किया गया है.