प्रदेश में अब न तो नये निजी इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने और न ही वर्तमान इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीट बढ़ाने की अनुमति दी जायेगी। तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने यह बात ‘ मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग-चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ’ परिचर्चा में कही। श्री गुप्ता ने कहा कि अन्य राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेजों में 5 साल की प्रवेश की स्थिति के आंकड़े एकत्रित किये जायें।
श्री गुप्ता ने कहा कि सर्वे करवाकर पता किया जाये कि किस ब्राँच की उपयोगिता अधिक है। अनुपयोगी ब्राँचों को बंद कर उद्योगों की मॉग अनुरूप नई ब्राँच खोली जायें। उन्होंने कहा कि जिन इंजीनियरिंग कॉलेजों में बिलकुल प्रवेश नहीं हुए उन्हें पॉलीटेक्निक, आईटीआई अथवा वी.टी.पी.सेन्टर खोलने पर विचार करना चाहिये। श्री गुप्ता ने कहा कि मॉउथ पब्लिसिटी तभी अच्छी होगी, जब कॉलेज मे पढ़ाई अच्छी होगी। संस्था की पहचान के लिए मॉउथ पब्लिसिटी जरूरी है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने कहा कि निजी कॉलेज के मालिक खुद आपस में सीट कम करने के संबंध में विचार करें। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें पूरा सहयोग करेगी। श्री गुप्ता ने कहा कि परिचर्चा में जो भी महत्वपूर्ण सुझाव आयेंगे, उन पर तत्परता से अमल किया जायेगा।
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री ए.के. पाण्डे ने परिचर्चा के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। संचालक, तकनीकी शिक्षा डॉ. आशीष डोंगरे ने प्रदेश में इंजीनियरिंग एवं अन्य व्यावसायिक संस्थाओं की प्रवेश की स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 11 इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी प्रवेश नहीं हुआ। इस वर्ष लगभग 52 प्रतिशत सीट रिक्त हैं। प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति के ओ.एस.डी. डॉ. सुनील कुमार और निजी विश्वविद्यालायों एवं महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।