चण्डीगढ, 2 फरवरी। देश की प्रति के लिए एकत्व का भाव जगाना जरूरी है। एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सपना भी तभी साकार होगा। भारत की विशेषता है कि इस देश को एक कोण से नहीं देखा जा सकता क्योंकि इसमें विविधता है। लेकिन विविधता में भी एकत्व है। ये उद्गार हरियाणा के राज्यपाल प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी ने आज कलाग्राम में ‘आदि महोत्सव’ के शुभारम्भ अवसर पर अपने सम्बोधन में कही। महोत्सव का आयोजन भारत के जनजातीय कार्य मंत्रालय और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ द्वारा किया गया है। इसमें देश के 25 राज्यों के आदिवासी शिल्पकार और कलाकार भाग ले रहे हैं।
राज्यपाल ने आगे कहा कि भारत के तीन रूप हैं-आदिवासी भारत, ग्रामीण भारत और नगरीय भारत। भारत की प्रगति के लिए इन तीनों प्रकार के भारत को समुचित अवसर प्रदान करने होंगे। विभिन्न राज्यों से आए आदिवासी शिल्पकारों और कलाकार बंधुओं का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को जानने के लिए सम्पूर्ण भारत में जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि केवल भौतिक विकास को जानना भी काफी नहीं हैै। रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और मीरा की भक्ति को जाने बिना भी भारत को पहचान नहीं सकते।
राज्यपाल ने आदिवासी महोत्सवों का नगरों में आयोजन करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ की सराहना की। उन्होंने रिबन काटकर, और नगाड़ा बजाकर महोत्सव का शुभारम्भ किया। इससे पहले राज्यपाल ने मेले का भ्रमण कर इसमें आदिवासियों के हाथों से बने सुन्दर उत्पादों को देखा।
राज्यपाल का स्वागत करते हुए भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ के प्रबंध निदेशक श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा कि आदिवासी महोत्सवों का उद्देश्य आदिवासियों की कला को बाजार से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि इनकी मेहनत से बनाए गए उत्पादों को बिचैलिए मामूली कीमत पर खरीदकर बाजार में बड़ा लाभ कमाते रहे हैं। इसलिए आदिवासी भाईयों को सीधे ही बाजार से जोड़कर इनकी आय को सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें विपणन की आधुनिक तकनीक का उपयोग भी किया जा रहा है।
उद्घाटन समारोह में हिमाचल प्रदेश व लदाख के आदिवासी कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। पंजाब के कलाकारों ने गिद्दा और हरियाणा से महाबीर गुड्डू एंड पार्टी ने भी शिव-स्तुति व नृत्य द्वारा खूब रंग जमाया।
इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल के सचिव श्री जे0एम0 बालामुरूगन भी उपस्थित थे।