लाखोंकोशिशेंनाकाम, बचनहींपायीउसकीजान
सारी दुआएं नाकाम, चली गयी वो बेक़सूर जान
सारी दुआएं नाकाम, देश की बेटी ने किया ज़िन्दगी को आखरी सलाम
ललित मोहन, रुद्रपुर. 16 दिसंबर की रात कुछ दरिंदों के हाथों लुटने और पिटने तथा बेरहमी से सड़क पर फेंक दिए जाने के बाद, पुलिस के द्वारा उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में अस्पताल में भर्ती किये जाने, और 26 दिसंबर तक उसी अस्पताल में मौत से लड़ते हुए जब उसने हार माननी शुरू की, तो उसे 26 दिसंबर की रात सिंगापुर के माउंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में ले जाया गया. हालांकि वहाँ उसने मौत से लड़ाई जारी रखी. लेकिन 28 दिसंबर का दिन जैसे-जैसे बीतने लगा मौत उसके करीब आने लगी. डॉक्टर निराश होने लगे. उसकी सलामती की दुआ में लगे लोग अब भी किसी चमत्कार की उम्मीद में लगे हुए थे. चमत्कार तो मुश्किल से ही होते हैं. इस बार चत्मकार नहीं हो पाया. और 28 दिसंबर को भारतीय समय के अनुसार रात 2:15 बजे बलात्कार पीड़ित लडकी ने दम तोड़ दिया.
29 दिसंबर की सुबह दिल्ली की सडकों पर लोगों की भीड़ उमड़ने का अंदाजा लगाते हुए सरकार ने इण्डिया गेट समेत उसके आस पास के वी आई पी क्षेत्र को छावनी में बदल दिया. जंतर मंतर और रामलीला मैदान के क्षेत्र को प्रदर्शन के लिए मुक्त रखा गया. दिन में 11 बजे से लोग जंतर मंतर पर जुटाने शुरू हो गए कुछ लोगों ने शांत और कुछ लोगों ने गीत गाकर मृत लडकी को श्रद्धांजली दी. अँधेरा होते ही मोमबत्तियां भी जल उठीं. शीला दीक्षित भी श्रद्धांजली देने जंतर मंतर पहुँची परन्तु लोगों ने उनके खिलाफ नारे लगा कर उन्हें वापस जाने पर मंज़बूर कर दिया.
दिल्ली के अलावा मुंबई समेत देश के कई शहरों में लोगों ने एकत्र होकर सभाएं की. मुंबई में फिल्म जगत के कई नामचीन सितारों ने इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया. अपने विचार करते समय कई लोगों की आँखें भर आयीं.
प्राप्त समाचारों के अनुसार पोस्ट मार्टम के बाद 29 दिसंबर की रात शव को लेकर एक विमान सिंगापुर से भारत के लिए रवाना हो गया है. साथ ही मृत अभागिनी जिसे सब देश की बेटी कह रहे हैं, का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किये जाने की संभावना जताई जा रही है.
बलात्कार के बाद दरिन्दगी से की गयी पिटाई की इस घटना ने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया है. जिस तरह देश का युवा बिना किसी राजनीतिक पार्टी या किसी अन्य संगठन के बुलावे के, हर नेता को नज़रंदाज़ कर सीधे राष्ट्रपति भवन के सामने पहुँच गया, उसे देख कर अब तक लोगों को अँधा समझ कर वोट माँगने वाले नेताओं के पाँव के नीचे से ज़मीन खिसकनी शुरू हो गयी होगी. 2014 के चुनाओं और सत्ता सुख के सपनों में खोये नेताओं को अब लगने लगा होगा कि अगर सुधरना शुरू नहीं किया तो आने वाले समय में जनता उन्हें छोड़ने वाली नहीं है.