पंडित चंद्रभूषण शास्त्री : संवत 2073 जेष्ठ कृष्ण पक्ष बुधवार रेवती नाम नक्षत्र आयुष्मान योग बव नामकरण 1 जून 2016 बुधवार अपरा एकादशी व्रत अपरा एकादशी को भद्रकाली एकादशी भी कहते हैं ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहते हैं अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भगवान की पूजा करने से कीर्ति यश धन की वृद्धि होती है भूत-प्रेत योनियों से मुक्ति मिलती है जहां तक व्रत की विधि विधान का सवाल है फलाहार का प्रश्न है सभी एकादशी में एक समान है इतना सुनने के बाद युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि हे प्रभु ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम क्या है और उसका माहत्यम्या क्या है आप मुझे सुनाइए भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे राजन युधिष्ठर एकादशी का नाम अपरा है यहां एकादशी संसार में यश कीर्ति प्राप्त होती है अपरा एकादशी व्रत के प्रभाव से ब्रम्हहत्या भूत प्रेत परनिंदा आदि पापों से मुक्ति मिलती है जो फल पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा माघ पूर्णिमा वैशाख पूर्णिमा गंगा स्नान संगम में स्नान मकर संक्रांति का स्नान केदारनाथ यात्रा बद्रीनाथ यात्रा सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्वर्ण दान हाथी घोड़ा दान करने से मिलता है वह पुण्य अपरा एकादशी के व्रत करने से प्राप्त होता हे राजन यह कथा मैने जन कल्याण के लिए आपको सुनाई है इस कथा को सुनने से पुण्य मिलता है मनुष्य समस्त पापों से छूट जाता है एकादशी के दिन खाना नही खाना चाहिए फलहार और भगवान का पूजन करना चाहिए रात्रि में भगवान के सामने विश्राम करना चाहिए द्वदशी के दिन प्रात काल उठकर स्नान करके और भगवान का पूजन करने के पश्चात दान करना चाहिए तत्पश्चात भोजन प्रसाद के रूप में लेना चाहिए जो भक्त एकादशी का व्रत बिधी विधान से करता है उसको भगवान वैकुंठ लोक को प्राप्ती कराते हैं और यहां पर अनेक प्रकार की उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जातीे हैं एकादशी माहत्यम्य की जय