गौतम गवई, नागपुर : दोस्तों अश्वगंधा आयुर्वेद में एक ऐसी वनस्पति है जिसका नाम बार बार सामने आता है। आखिर किस काम आता है यह पौधा यह आप को आज बताने जा रहे है। अश्वगंधा की जड़ में एक उड़नशील तेल एवं बिथनिओल नमक एक तत्व पाया जाता है। अश्वगंधा वातनाशक, बलवर्धक पाचनशक्ति को बढ़ानेवाला होता है। इस पौधे के अलग अलग रोगों में किस तरह प्रयोग किया जा सकता है हम आज आपको बताएंगे।
अश्वगंधा का चूर्ण देसी गाय के घी में मिलाकर मासिक धर्म के पांचवे दिन से प्रतिदिन 5-6 ग्राम की मात्रा में लगातार 1 महीने तक लेने से महिलाएं गर्भधारण कर लेती है।
जिन लोगो को गठिया रोग है वह लोग अश्वगंधा के 40 ग्राम ताजे पत्ते 250 मिली पानी में उबले और जब पनि 125 मिली तक बच जाये तब उसे उतार ले छानकर कुनकुना पि ले यह प्रयोग लगातार 8 दिन तक करे अवश्य जोड़ो का दर्द दूर होगा।
अगर शरीर कमजोर लगने लगे और आलस्य आजाये तो अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, सफ़ेद तील 40 ग्राम और साबुत उड़द 140 ग्राम लेकर अच्छे से पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजा ताजा 1 ग्राम तक रोजाना सुबह सुबह खाये।
अश्वगंधा, सोंठ, मिश्री और विधारा को बराबर की मात्रा में लेकर बारीक़ चूर्ण बनाकर रख दे। रोज सुबह और शाम 1-1 चम्मच गाय के दूध के साथ सेवन करे इससे शरीर में ताकद आती है और वजन बढ़ने लगता है।
चोपचीनी 4 ग्राम और अश्वगंधा 4 ग्राम दोनों को बारीक़ पीसकर चूर्ण बनाकर रखे और शहद के साथ नियमित सुबह शाम चाटने से रक्त शुद्ध होता है।
अश्वगंधा का चूर्ण 2 ग्राम, धात्री फल का चूर्ण 2 ग्राम और मुलेठी चूर्ण 1 ग्राम रोज सुबह शाम 1-1 चम्मच पानी के साथ सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ जाती है।
अश्वगंधा की जड़ का 2 ग्राम चूर्ण और बड़ी पीपल का चूर्ण 1 ग्राम, गाय का घी 5 ग्राम तथा 10 ग्राम शहद मिलाकर रोजाना सुबह के समय सेवन करने से क्षय रोग (टी.बी.) मीट जाता है।
चेतावनी : गर्भवती महिलाओं के लिए इसका अधिक सेवन करना हानिकारक है।
नोट : अश्वगंधा एक पौधा है जिसे आप अपने घर में भी लगा सकते है। इस का पौधा आप को नर्सरी गार्डन में 40-50 रूपए में मिल जाएगा। मार्केट में अश्वगंधा का तैयार किया चूर्ण उपलब्ध है लेकिन वह ओरिजिनल ही मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।