रामगोपाल : बैसाखी के पवित्र पर्व तथा राष्ट्र रक्षक व् धर्म पालक खालसा सिरजना दिवस पर हार्दिक शुभकामनाये ।
318 वर्ष पहले आज के दिन पंजाब के श्री आनंदपुर साहेब में देश भर से आये एक लाख से भी अधिक श्रद्धालुओ के सामने ” खालसा पंथ ” की सिर्जना दसवे गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह महाराज ने की ।
इस पंथ में हिन्दू समाज के चारो वर्णों से तथा भारत की चारो दिशाओ से प्रतिनिधित्व हुआ । ” सकल जगत में खालसा पन्थ गाजे , जगे धर्म हिन्दू सकल भंड भाजे ” के उद्घोष से प्रारम्भ हुए इस पंथ ने सारे देश में भक्ति के साथ साथ शक्ति की उपासना प्रारम्भ कर दी ।
धीरे धीरे इस साधना के बलिदान और संघर्ष के परिणाम स्वरूप 800 वर्षो से चले आ रहे उस मुगल राज को पराजित होना पड़ा जिस राज के अत्याचारो से द्रवित होकर श्री गुरु नानक देव जी ने भगवान को उलाहना देते हुए कहा था ” ऐति मार पई कुरलाने तै की दर्द ना आया ” ।
भक्ति के माध्यम से समाज जागरण और समाज संगठन कर अपने राष्ट्र को गुलामी की जंजीरो से मुक्त कराने का यह उदाहरण दुनिया में आज भी लोगो को प्रेरणा देता है । हम उनके वंशज है यह गर्व करे और उनके पद चिन्हों पर चलकर अपने राष्ट्र को पुनः परम वैभव पर ले जाने का पुरुषार्थ प्रारम्भ करे ।