मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषविद्, चंडीगढ़; सूर्य व चंद्र ग्र्रहण खगोलविदों, वैज्ञानिकों , ज्योतिषियों तथा एक आम आदमी के लिए भी उत्सुकता का विशय सदियों से रहे हैं। भारत की गलियों में तो ग्रहण के समय ही मांगने वाले ‘ ग्रहण का दान दो जी’ की आवाजें लगाने लगते हैं जो एक आम आदमी के ग्रहण ज्ञान का सबूत है। वैज्ञानिक इसे एक अन्वेषण व अनुसंधान के तौर पर देखते हैं और ज्योतिषी इससेे आम लोगों के जीवन पर होने वाले प्रभावों को रेखांकित करता है। ज्योतिष शास्त्र भी खगोलीय घटनाओं की व्याख्या करता है।
जब आकाश में सूर्य और चंदमा अपनी अपनी गति से घूमते रहते हैं तो कई बार दोनों धरती की एक सीध में पड़ जाते हैं जिससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य का वह भाग धरती वासियों को काला सा दिखने लगता है और इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। ऐसा केवल अमावस्या के दिन ही संभव हो सकता है और चंद्र ग्रहण केवल पूर्णिमा पर ही लग सकता है।
2016 में मुख्य तौर पर केवल दो ग्रहण ही लगेंगे। इस वर्ष का प्रथम खग्रास सूर्य ग्रहण 9 मार्च,बुधवार को तथा दूसरा कंकण सूर्य ग्रहण पहली सितंबर, गुरुवार को होगा।
9 मार्च, फाल्गुन अमावस ,बुधवार की प्रातः 04-49 पर सूर्य ग्रहण आरंभ होगा और 10 बजकर 05 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इस ग्रहण का सूतक 8 मार्च की सायं, 16-49 पर आरंभ हो जाएगा। यह ग्रहण पंजाब, कश्मीर, राजस्थान ,गुजरात तथा महाराष्ट्र् के केवल पश्चिमी भागों में ही दिखाई देंगे। भारत के अलावा यह दक्षिणी -पूर्वी एशिया, दक्षिणी कोरिया, जापान, सिंगापुर,मलेशिया तथा आस्ट्र्ेलिया में दिखेगा।
यह ग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र तथा कुंभ राशि में लग रहा है। कुंभ राशि वाले इस अवसर पर विषेश पूजा अर्चना तथा दानादि कर सकते हैं। जिनका कालसर्प दोश है , उनके लिए शिवरात्रि या ग्रहणों पर महामृत्युंज्य का पाठ व नाग – नागिन का जोड़ा शिवलिंग पर चढ़ाना विशेष फलदायी रहता है।
शंका निवारण- वैज्ञानिकों तथा ज्योतिष षास्त्र को बकवास कहने वालों को जवाब
बहुत से लोग ग्रहण को मात्र एक खगोलीय घटना ही मानते हैं और इसमें किसी भी प्रकार की सावधानी बरतने को अंधविषवास या दकियानूसी करार देते हैं। यह उनकी मान्यता हो सकती है। परंतु वैज्ञानिक दृश्टि से भी ग्रहण के समय विकीरण के कारण आखों, रक्त संचार, रक्त चाप और खाद्य पदार्थों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। सूर्य ग्रहण के समय वैज्ञानिक ,सूर्य को नंगी आखों से न देखने की सलाह क्यों देते हैं यदि यह केवल मात्र खगोलीय घटना ही है। भारत की हर परंपरा के पीछे वैज्ञानिक कारण रहे हैं। आज वैज्ञानिक सुपर कंप्यूटर के माध्यम से ग्रहण लगने और समाप्त होने का समय बताते हैं जबकि महाभारत काल में तो हमारे वैज्ञानिक ऋषि मुनियों एवं गणितज्ञों ने त्रिकोणमीति अर्थात ट्र्ग्निोमिट्र्ी जो भारत की देन है, की सहायता से 5000 साल पहले ही बता दिया था कि महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगेगा। इसी घटना का लाभ उठाते हुए महाभारत के दौरान अंधकार छाते ही धोखे से जयद्रथ का वध करवा दिया गया था। पूर्ण सूर्य ग्रहण लगने से जब भरी दोपहरी में अंधकार छा जाता हैे तो पक्षी भी अपने घोंसलों में लौट आते हैं। यह पिछले सूर्य ग्रहण के समय लोग देख चुके हैं और पूरे विश्व के वैज्ञानिक भी । तो ग्रहण का प्रभाव हर जीव जन्तु, मनुश्य, तथा अन्य ग्रहों पर पड़ता है। गुरुत्वाकर्षण घटने या बढ़ने से धरती पर भूकंप आने की संभावना ग्रहण के 41 दिन पहले या बाद तक रहती है।
प्श्चिमी देश के लोग समय समय पर ऐसी अवैज्ञानिक बातें फैलाते रहते हैं जैसे गत वर्ष दुनिया समाप्त होने की अफवाह उड़ा दी या किसी धूमकेतु गिरने की। भारतीय ज्योतिष तो प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी सदियों से देता आ रहा है जब पश्चिम को यही कन्फयूजन था कि धरती गोल है या चपटी और भारत में ग्रहों , नक्षत्रों , राशियों की जानकारी आदिकाल से प्रचलित हैं।
स्दियों से हमारे हृदय प्रदेश काशी और कुरुक्षेत्र में ग्रहण को एक पर्व की तरह मनाया जाता है।
कौन सी राशि होगी प्रभावित ? क्या करें दान ?
यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है। अतः इस राशि व नक्षत्र वालों के अलावा गर्भवती महिलाओं को विषेश ध्यान रखना चाहिए। यथाषक्ति जाप , पाठ व दानादि से इसका अषुभ प्रभाव क्षीण किया जा सकता है। यह ग्रहण मेश, कर्क, वृष्चिक, धनु, राशि के लिए उत्तम तथा शेष राशि वालों के लिए मध्यम रहेगा। कुंभ राशि के लिए बहुत अच्छा नहीं रहेगा।
क्या होगा इस ग्रहण का भारत पर प्रभाव ?
स्ूार्य ग्रहण बुधवार को लगने से व्यापार में वृद्धि होगी परंतु मंहगाई साथ साथ और बढ़ेगी। सोने व पीतल तथा पीले रंग की वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि होगी। सरकार की आलोचना बजट के कारण और बढ़ेगी। चूंकि कुंभ राशि का स्वामी शनि है और शनि अभी मंगल के साथ होंगे । दूसरे सूर्य की राशि में गुरु – राहु का चांडाल योग भी चल रहा है और 9 मार्च को कुंभ राशि में 5 ग्रह केतु,सूर्य, चंद्रमा, बुध व षुक्र एक साथ बैठ कर तक्षक कालसर्प योग भी बना रहे हैं। इन सभी योगों के कारण देश में जन आंदोलन, जनाक्रेाश , हिंसा, सरकार के लिए परेशानी, गुप्त शत्रुओं से भय, वायु दुर्घटनाओं तथा 41 दिन के भीतर एक बड़े भूकंप की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
ग्रहण में क्या करें क्या नहीं ?
सूतक तथा ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श, अनावश्यक खाना पीना, संसर्ग आदि से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाएं अधिक श्रम न करें । मान्यता है कि गर्भस्थ शिशु या ग्रहण काल में गर्भवती होने से जन्म लेने वाली संतान पर शारीरिक प्रभाव पड़ता है। सामान्य रहें। ग्रहण काल में सूर्य को सीधे न देखा जाए। खुले में खाद्य सामग्री न रखें। संक्रमण व विकीरणों से बचने के लिए तुलसी का प्रयोग करें। ग्रहण लगने से पहले और दो दिन बाद तक के संक्रमण काल में कोई शुभ अथवा अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य, विवाह ,निर्माण,नए व्यवसाय का आरंभ , सगाई, लंबी अवधि का निवेश, मकान का सौदा या एडवांस, आंदोलन, धरना- प्रदर्शन आदि नहीं करना चाहिए क्योंकि उनके सफल होने में संदेह रहता है।
क्या करें दान?
ग्रहण समाप्ति पर दान करना चाहिए। ओम् नमो भगवते वासुदेवाय का मंत्र जाप करंे ।
कुंभ राषि वाले लोग तथा अन्य भी इच्छानुसार , ग्रहण समाप्ति पर स्नान करके मंदिर में , गाय को या मांगने वालों को गुड़ , चने की दाल,चावल वस्त्र और दूध दान कर सकते हैं। इसके अलावा सात अनाज के दान का भी महत्व है। सात अनाज में शास्त्रानुसार कनक, चावल, मक्की, चने, जौ ,ज्वार तथा बाजरा होने चाहिए। इसमें दालें नहीं होनी चाहिए। जिनकी साढ़सती चल रही हो जैसे तुला ,बृष्चिक व धनु व राशि वाले जातक अपने वज़न के बराबर तुलादान कर सकते हैं। या 12 किलो ऐसा अनाज अलग अलग लिफाफों में डालकर दान दे सकते हैं। कालसर्प दोष के जातक , विशेष जाप, महामृत्युंज्य मंत्र तथा राहू – केतु के मंत्र जप सकते हैं। चांदी के नाग नागिन शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं या प्रवाहित कर सकते हैं।
ग्रहण पर कौन से मंत्र पढ़ सकते हैं और कौन से उपाय करें ?
ऽ व्यापार नहीं चल रहा है तो गल्ले या तिजोरी में दक्षिणावर्त शंख, 7 लघु नारियल, 7 गोमती चक्र रखें।
ऽ रोग निवारण के लिए, ग्रहण काल में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए, महामृत्युंजय यंत्र का अभिशेक करें ।
ऽ रोग निवृति हेतु, कांसे की कटोरी में पिघला देसी घी भरें, एक रुपया या सामथ्र्यानुसार ,चांदी या सोने का सिक्का या टुकड़ा डालें । इसमें रोगी अपनी परछाई देखे और किसी को दान कर दें।
ऽ असाध्य रोग के लिए , ग्रहण पर तुला दान सबसे अच्छा माना गया है।
ऽ धन प्राप्ति के लिए, श्री यंत्र या कुबेर यंत्र पूजा स्थान पर अभिमंत्रित करवा के रखें और श्री सूक्त पढ़े।
ऽ ग्रहण काल में कालसर्प योग या राहू दोश की शांति किसी सुयोग्य कर्मकांडी द्वारा करवाएं।
ऽ ग्रहण समाप्ति पर अपने पहने कपड़े उतार कर, 7 अनाज शरीर से 7 बार उल्टा घुमा कर अपंग, कुष्ठ रोगी या दान के सुपात्र ,दान- ग्रहणकर्ता को देने से कष्ट दूर होते हैं।
इन मंत्रों की 11 जाप मालाएं करें । ये वही मंत्र हैं जो तथाकथित आधुनिक स्वामी अपने बड़े बड़े समागमों में बीज मंत्र के नाम पर बड़े रहस्यमय होकर आपको पासवर्ड के नाम पर लाखों रुपये खर्चवा कर अपनी महत्ता बताते हैं । आप ये मंत्र विभिन्न ग्रहणों, होली, दीवाली, नवरात्रि आदि के विशिष्ट अवसरों पर स्वयं भी कर सकते हैं।
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