दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर देश का झंडा फहराने का सपना संजोने वाली 9 छात्रा कैडेटों ने आखिर फतह हासिल कर ली। छात्रा कैडेटों के इस अभियान दल को माउंट एवरेस्ट मिशन के लिए कठोर प्रशिक्षण दिया गया था। एवरेस्ट फतह कर दुनिया भर में इन एनसीसी की छात्रा कैडेटों ने देश का नाम रोशन किया है।
देश भर से एनसीसी की 10 छात्रा कैडेटों का चयन एवरेस्ट अभियान के लिए हुआ। जिन्होंने अपनी विभिन्न पर्वतारोहण यात्राओं के बाद माउंट देव-टिब्बा, माउंट त्रिशूल और सियाचीन गलैशियर में महीने भर का प्रशिक्षण प्राप्त किया। गहन प्रशिक्षण के बाद कर्नल गौरव कार्की के नेतृत्व में अभियान दल 31 मार्च, 2016 को काठमांडू पहुंचा और 21 अप्रैल, 2016 को नेपाल में एवरेस्ट के बेस कैंप। इस दल ने एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचने के लिए जीरी से 156 किलोमीटर तक दुर्गम रास्ता तय किया। बेस कैम्प में कई दिनों के कठोर प्रशिक्षण के बाद आखिरकार ये टीम दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने निकल पड़ी।
रास्ता बेहद दुर्गम था लेकिन छात्रा कैडेटों का हौसला डिगा नहीं। सैन्य अधिकारियों का नेतृ्त्व हर पल मानों इनमें ऊर्जा का संचार कर रहा था। पीठ पर रकसैक के साथ, एक-एक कदम रखना बहुत भारी लग रहा था लेकिन कुछ कर गुजरने की चाह और अपनी मंजिल तक पहुंचने का दृढ़ संकल्प इन्हें आगे बढ़ाता रहा।
बर्फीले पहाड़ इतने खतरनाक की अगर थोड़ी सी सावधानी हटती तो सीधे मौत के मुंह मे भी जा सकती थीं। लेकिन बेहतर नेतृत्व इन्हें हर पल एकता के सूत्र में पिरोने के साथ हर मुश्किल को हंसते-हंसते आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहा।
कभी दिन में तो कभी रात में रास्ता तय करना पड़ा। कहीं बिल्कुल सीधी चढाई तो कहीं गहरी खाई। हर कदम खतरों से भरा। लेकिन एनसीसी कैडेटों को रोमांचकारी जीवन जीने के साथ सदैव नेतृत्व की भावना के साथ हर कार्य को अनुशासन में रहकर निभाने का पाठ पढ़ाती है जिसकी वजह से दुनिया की सबसे ऊंची चोटी यानी माउंट एवरेस्ट पर 9 छात्रा कैडेटों ने देश का तिरंगा फहराकर देश और दुनिया में एनसीसी का नाम रोशन किया है।