सोनीपत, 3 जुलाई। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के सचिव डा.आलोक प्रकाश मित्तल ने कहा कि इंजीनियर व तकनीक के क्षेत्र में निरंतर बदलाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि दो दशक पहले फोन पर बात करने के लिए लाइन में लगना पड़ता था, लेकिन तकनीक के कारण वर्तमान समय में मोबाइल हर व्यक्ति की पहुंच में हैं।
डा.मित्तल दीनबन्धु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में एआईसीटीई द्वारा लागू किए गए नवीनतम पाठ्यक्रम को लेकर तीन द्विसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 15-20 वर्ष पूर्व पढाई का माध्यम ब्लैक बोर्ड था। लेकिन इस क्षेत्र में भी नई तकनीक आई हैं। अब हमारे पास अध्यापन की नवीनतम तकनीक आइ गई हैं, जिससे विद्यार्थियों को भी लाभ हो रहा है तथा हमारी कार्यक्षमता के अंदर वृद्धि हो रही है। नवीनतम तकनीक को हमें ग्रहण करना चाहिए।
डा.मित्तल ने कहा कि ने कहा कि फैकल्टी मेम्बर को पुराने अविष्कारों की जगह नये अविष्कारों जैसे स्मार्टबोर्ड, इन्टरनेटआदि का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए।उन्होंने कहा कि क्रेडिट 220 से घटाकर 160 कर दिये गये हैं, जिससे विद्यार्थियों को स्वाध्याय का समय मिल सके । अब विद्यार्थी इन्टरनेट की मदद से काफी हद तक बेसिक जानकारी जुटा लेते हैं इसीलिए क्रेडिट घटाकर विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा समय इन्टरनेट से अपना ज्ञानवर्धन करने के लिए समय मिल सकेगा।
कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि नया पाठ्यक्रम हमारे विद्यार्थियों को वैज्ञानिक चिन्तनवाला बनायेगा।सभी फैक्लटी मेम्बरों को हमारे विद्यार्थियों की वैज्ञानिक सोच एवं सृजनशीलता को बढावा देना चाहिए, जिससे हमारे विद्यार्थी अनुसन्धान को बढाने एवं समाज को अनुसन्धानों से बेहतरी की तरफ ले जा सके। उन्होंने कहा कि नए पाठ्यक्रम को अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा देशव्यापी स्तर स्तर पर लागू किया जा रहा है जिससे तकनीकी शिक्षा का स्तर देश में एकसमान हो सकेगा।
कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि मानव की जिज्ञासा के कारण ही निरंतर विकास हुआ है। अब से लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व मधुमक्खी शहद के लिए जो छत्ता बनाती थी, उसी प्रक्रिया से अब छत्ता बना रही है। लेकिन मानव ने इस क्षेत्र में विकास करते हुए निरंतर बदलाव किया है। कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि वेदांत में स्पष्ट रूप से कार्य कारण संबद्ध बताया गया है। कार्य के पीछे कोई कारण अवश्य होता है। कोई भी कार्य हो तो मानव की जिज्ञासा होती है कि क्यों और कैसे। मानव की इसी जिज्ञासा के कारण निरंतर विकास होता चला गया ।
कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि जब सेब न्यूटन के ऊपर आकर गिरा तो उसके मन में प्रश्न आया कि सेब ऊपर क्यों नहीं गया। वैज्ञानिकों की इस प्रकार की सोच के कारण ही विकास होता चला गया। उन्होंने कहा कि अगली पीढी को ज्ञान देने के लिए हमें अपना मैथड बदलना होगा, ताकि युवाओं को आधुनिक तकनीक का सदुपयोग करते हुए शिक्षा प्रदान कर सके।
विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो.राजकुमार सिंह ने कहा कि डीन एकेडमिक प्रो. राजकुमार ने कहा कि अब अलग-अलग ब्रांचो के छात्र अलग अलग कन्टेन्ट वाले मैथ्स, फिजिक्स आदि विषय पढेंगे। यह सिलेबस उनकी अपनी ब्रांच के अनुकुल होगा। इंजीनियरिंग के अधिष्ठाता प्रो.जे.एस.सैनी ने कहा कि नए पाठ्यक्रम को बेहतर ढंग से लागू करना हमारा दायित्व है। उन्होंने कार्यशाला में आने पर एआईसीटीई के सचिव डा.आलोक प्रकाश मित्तल व कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत व सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यशाला के कार्डीनेटर डा. मनीषकुमारसैनी ने सभी प्रतिभागियों का कार्यशाला में भाग लेने पर हार्दिक धन्यवाद किया। इस अवसर पर प्रो.जे.एस.राणा, प्रो.सुजाता राणा,प्रो. डी.सिंहल, प्रो.मनोज दूहन,प्रो.अनिता सिंग्रोहा,प्रो.एस.के.गुप्ता, प्रो.आर.के.सोनी,प्रो.किरण नेहरा,डा.बी.एस.दहिया, डा.तृप्तलता,डा.सुखदीप सांगवान, डा.सुमन सांगवान, डा.पवन दहिया, डा.दिनेश सिंह व पूनम श्योराण आदि उपस्थित थे।