कृष्णा शुक्ला : अजमेर से 15 किमी की दूरी पर अरावली श्रेणी के घाटी मे हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल पुष्कर है यहाँ पर कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है , यहाँ आने के लिए अजमेर से सीधे बस या ट्रेन से आ सकते है, पुष्कर के उद्भाव का वर्णन पद्म पुराण मे मिलता है कहा जाता है कि ब्रह्मा ने यहा आकर यज्ञ किया था
कहाँ जाता है कि यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी ने माँ सरस्वती जी को बुलाया मगर माँ सरस्वती जी ने कुछ समय मांगा, मगर यज्ञ मुहुर्त मे बिलम्ब के कारण ब्रह्मा जी ने एक ग्वालन को पत्नी बनाकर यज्ञ प्रारंभ कर दिया माँ सरस्वती जी जब आयी और अपने स्थान पर नारी देख ब्रह्मा जी को श्राप दे दी की आपका विश्व मे कही पूजा नही होगी मगर देवताओं के अनुनय बिनय के कारण माँ सरस्वती जी ने पुष्कर मे ही पूजा होने को कहाँ तब से पुष्कर मे ही ब्रह्मा जी की पूजा होने लगी
हिंदूओ के प्रमुख तीर्थ स्थानों मे पुष्कर ही एक ऐसी जगह है जहां ब्रह्मा जी का मंदिर स्थापित है ,यहाँ ब्रह्मा जी के अतिरिक्त सावित्री माताजी बद्रीनारायण ,वाराह जी औऱ शिव आत्मेश्वर के मंदिर है
इस पुण्य तीर्थ का उल्लेख रामायण के सर्ग 62 श्लोक 28 मे विश्वामित्र के यहां तप करने की बात कही गयी है सर्ग 63 श्लोक 15 के अनुसार अप्सरा मेनका यहां के पावन जल मे स्नान करने आई थी और विश्वामित्र जी की तपस्या भंग की थी
भारत मे देखा जाए तो सभी पौराणिक स्थलो से ज्यादा पुष्कर को महत्व दिया जाता है और पर्यटक भी यहाँ ज्यादा संख्या मे आते है जिसमें बिदेशी सैलानियों की संख्या कही ज्यादा होती है बिदेशी पुष्कर को खास पसंद करते है,
इस मेले मे लाखो संत महात्मा पर्यटक आकर पवित्र झील मे स्नान कर खुद को पवित्र करते है और सभी मंदिरों मे दर्शन कर अपने एवं अपने परिवार के सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करते है
राजस्थान सरकार इस मेले के लिए 15 दिन पूर्व से तैयारी करने लगती है जगह जगह लोगों के रहने की ब्यवस्था सड़कों की मरम्मत वाहनों की ब्यवस्था उपलब्ध कराता है साथ ही स्थानीय प्रशासन भी मेले मे हर जरूरत की चीजों की पूर्ति करता है साथ ही मनोरंजन के लिए तरह तरह के कला एवं संस्कृति के साथ साथ राजस्थानी नृत्यो पर बिशेष कार्यक्रम का आयोजन करता है ,
यहा पर तरह तरह के अच्छी नस्ल के पशुओं को मेले मे क्रय-बिक्रय के साथ उनके कार्यक्रम को भी आयोजित करता है जिसमे ऊटो की दौड़ प्रसिद्ध है ,साथ ही श्रेष्ठ नस्ल की पशुओं को पुरस्कृत भी किया जाता है ,
पुष्कर मेले मे कई संस्कृतियों का मिलन सा देखने को मिलता है एक तरफ जहाँ मेले मे देश बिदेश से साधु संत एवं पर्यटक इस मेले को देखने आते है वही आस-पास के तमाम इलाकों से आदिवासी एवं क्षेत्रीय नागरिक अपने -2 पशुओ को लेकर मेले मे सामिल होते है
मेला मैदान एक विशाल रेत के मैदान मे आयोजित होता है ,चारो तरफ दुकानें, खाने-पीने के स्टाल ,सर्कस ,झूले और तरह -तरह के मनोरंजन की चीजे देखने को मिलती है यहां रेगिस्तान का ऊट से खास रिस्ता होने के कारण ऊँट बहुतायत संख्या मे मिलते है ,
(कृष्णा शुक्ला, अध्यक्ष, गो-गोपाल लीला धाम गोशाला शिव शक्ति धाम भेड़ा घाट जबलपुर एवं
सामाजिक परिवर्तन फाउंडेशन नवी मुम्बई)