चंडीगढ़ : हम सभी तुलसी का प्रयोग निरंतर अपने घरों में करते रहते हैं एवं कई परिवार अभी भी तुलसी की पूजा करते हैं और उसे अपने आंगन में बहुत सम्मान पूर्वक लगाते हैं । आज भी शायद हमारे गावों में कोई ही घर ऐसा होगा जहां हर घर में तुलसी का पौधा ना लगा हो, शहरों में भी तुलसी का प्रयोग काफी किया जाता है परंतु कई बार यह पाया गया है कि तुलसी कुछ घर छोड़ कर ही लगी होती हे और जरूरत पढने पर लोग उस घर से तुलसी मांग कर लाते हैं ।
तुलसी के गुणों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए वीर भारत संगठन ने चंडीगढ़ मैं एक अभियान चलाने का संकल्प लिया हे, जिसके अंतर्ग्रत वीर भारत संगठन हर घर में तुलसी के औषधीय गुणों को बताएगा एवं घर घर जाकर लोगो को तुलसी का पोधा प्रदान करेगा । इस अभियान को वीर भारत संगठन ने “हर घर तुलसी अभियान” का नाम दिया हे, इस अभियान में लोगो को यह भी बताया जायेगा की आज का विज्ञानं तुलसी के विषय में क्या कहता हे ।
वीर भारत संगठन के अधिकारियो ने बताया की हमने संकल्प लिया है की आरंभ में हम चंडीगढ़ के हर घर में तुलसी का पोधा लगवाने का प्रयास करेंगे जिसके लिए इन्होने अलग अलग टोलियाँ बना ली हैं । इस संकल्प के चलते हर रविवार को प्रातः चंडीगढ़ के विभिन्न विभिन्न सेक्टरों में तुलसी के पौधों का वितरण तुलसी सम्बंधित पत्रक भी वितरित किये जायेंगे जिसमे तुलसी के औषधीय गुणों को जन जनतक पहुँचाया जायेगा , चंडीगढ़ में “हर घर तुलसी अभियान” की सफलता के बाद अभियान को अन्य शहरों में भी चलाया जायेगा ।
क्यों है तुलसी गुणकारी ???
• भारतीय चिकित्सा विधान में सबसे प्राचीन और मान्य ग्रन्थ “चरक संहिता” में तुलसी के गुणों का वर्णन एकत्रित दोषों को दूर करके सर का भारीपन, मस्तक शूल, पीनस, आधा सीसी, कृमि, मृगी, सूँघने की शक्ति नष्ट होने , वात-कृमि तथा दुर्गन्ध नाशक है। पसली का दर्द, अरुचि, खाँसी, श्वांस, हिचकी आदि को ठीक कर देता है। यह हृदय के लिए हितकर, उष्ण तथा अग्निदीपक है एवं कुष्ट-मूत्र विकार, रक्त विकार, पार्श्वशूल को नष्ट करने वाली है।यथा- तुलसी कानन चैव गृहे यास्यावतिष्ठ्ते,
तदगृहं तीर्थभूतं हि नायान्ति ममकिंकरा ।
आधुनिक शोध
• अमरीका के मैस्साच्युसेट्स संस्थान सहित विश्व के अनेक शोध संस्थानों के अलावा अमरीका के नेशनल कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैंसर एवं एड्स के उपचार में कारगर भारतीय जड़ी-बूटियों को व्यापक पैमाने पर परखा जा रहा है।
• आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों पर पूरे विश्व का रुझान इनके दुष्प्रभाव मुक्त होने की विशेषता के कारण बढ़ता जा रहा है। एक अध्ययन से यह बात स्पष्ट हो गई है कि अब तुलसी के पत्तों से तैयार किए गए पेस्ट का इस्तेमाल कैंसर से पीडित रोगियों के इलाज में किया जाएगा। दरअसल वैज्ञानिकों को “रेडिएशन-थैरेपी” में तुलसी के पेस्ट के जरिए विकिरण के प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल हुई है। यह निष्कर्ष पिछले दस वर्षों के दौरान भारत में ही मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कालेज में चूहों पर किए गए परीक्षणों के आधार पर निकाला गया ।
• इण्डियन ड्रग्स पत्रिका (अगस्त 1977) के अनुसार यह कीटनाशक है, कीट प्रतिकारक तथा प्रचण्ड जीवाणुनाशक (Anti Bacterial ) है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है।
• ‘एण्टीवायटिक्स एण्ड कीमोथेरेपी’ पत्रिका के अनुसार तुलसी का ईथर निष्कर्ष टी.वी. के जीवाणु माइक्रोवैक्टीरियम ट्यूवर-कुलोसिस का बढ़ना रोक देता है। तुलसी की टीबी नाशक क्षमता विलक्षण है इस जीवाणु के ‘ह्यूमन स्ट्रेन की वृद्धि’ को भी यह औषधि रोकती है।
• ‘वेल्थ ऑफ इण्डिया’ के अनुसार तुलसी का स्वरस तथा निष्कर्ष कई अन्य जीवाणुओं के विरुद्ध भी सक्रिय पाया गया है। इनमें प्रमुख हैं – स्टेफिलोकोकस आंरियस, साल्मोनेला टाइफोसा और एक्केरेशिया कोलाई। इसकी जीवाणु नाशी क्षमता कार्बोलिक अम्ल से 6 गुना अधिक है। नवीनतम शोधों में तुलसी की जीवाणुनाशी सक्रियता अन्यान्य जीवाणुओं के विरुद्ध भी सिद्ध की गई है।
होम्योपैथिक मत
• सिर में दर्द, स्मरण शक्ति में कमी, बच्चों का चिड़चिड़ापन, आँखों की लाली, एलर्जी के कारण छीकें आना, नाक बहना, मुँह में छाले, गले में दर्द, पेशाब में जलन, दमा तथा जीर्ण ज्वर जैसे बहुत प्रकार के लक्षणों में तुलसी को होम्योपैथी में स्थान दिया गया है।
यूनानी मत
• इसके अनुसार तुलसी हृदयोत्तेजक, बलवर्धक तथा यकृत आमाशय बलदायक है। यह हृदय को बल देने वाली होने के कारण अनेक प्रकार के शोथ-विकारजन्य रोगों में आराम देती है। यह शिरःशूल की श्रेष्ठ औषधि है। पत्ते सूँघने से मूर्छा दूर होती है तथा चबाने से दुर्गन्ध। रस कान में टपकाने से कर्णशूल शान्त होता है।
धार्मिक मान्यताएँ
• तुलसी के संसर्ग से वायु सुवासित व शुद्ध रहती है। मृत्यु के समय तुलसी मिश्रित गंगाजल पिलाया जाता है जिससे आत्मा पवित्र होकर सुख-शांति से परलोक को प्राप्त हो। इसके स्वास्थ्य संबंधी गुणों के कारण लोग श्रद्धापूर्वक तुलसी की अर्चना करते हैं, कार्तिक मास में तुलसी की आरती एवं परिकर्मा के साथ-साथ उसका विवाह किया जाता है।
• तुलसी को संस्कृत भाषा में ग्राम्या व सुलभा कहा गया है। इसका कारण यह है कि यह सभी गाँवों में सुगमतापूर्वक उगाई जा सकती है और सर्वत्र सुलभ है I तुलसी को दैवी गुणों से अभिपूरित मानते हुए इसके विषय में अध्यात्म ग्रंथों में काफ़ी कुछ लिखा गया है। तुलसी औषधियों का खान हैं। इस कारण तुलसी को अथर्ववेद में महाऔषधि की संज्ञा दी गई हैं।
• ऐसा विश्वास है कि तुलसी की जड़ में सभी तीर्थ, मध्य में सभी देवि-देवियाँ और ऊपरी शाखाओं में सभी वेद स्थित हैं।देवपूजा और श्राद्धकर्म में तुलसी आवश्यक है। तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है।
• प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से ‘‘तुलसी’’ की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मदेव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। लंका में विभीषण के घर तुलसी का पौधा देखकर हनुमान अति हर्षित हुये थे। इसकी महिमा के वर्णन में कहा गया है :-
नामायुध अंकित गृह शोभा वरिन न जाई।
नव तुलसी के वृन्द तहंदेखि हरषि कपिराई ।।
सामान्य प्रयोग
गले और साँस की समस्या
1. खाँसी अथवा गला बैठने पर तुलसी की जड़ सुपारी की तरह चूसी जाती है।
2. श्वांस रोगों में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ सुपारी की तरह मुँह में रखने से आराम मिलता है।
3. तुलसी की हरी पत्तियों को आग पर सेंक कर नमक के साथ खाने से खांसी तथा गला बैठना ठीक हो जाता है।
4. तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से खांसी जाती है।खांसी-जुकाम में – तुलसी के पत्ते, अदरक और काली मिर्च से तैयार की हुई चाय पीने से तुरंत लाभ पहुंचता है।
5. फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है।
ज्वर से जुड़ी समस्या
1. हल्के ज्वर में कब्ज भी साथ हो तो काली तुलसी का स्वरस (10 ग्राम) एवं गौ घृत (10 ग्राम) दोनों को एक कटोरी में गुनगुना करके इस पूरी मात्रा को दिन में 2 या 3 बार लेने सेकब्ज भी मिटता है, ज्वर भी।
2. तुलसी के पत्ते का रस 1-2 ग्राम रोज पिएं, बुखार नहीं होगा।
3. एक सामान्य नियम सभी प्रकार के ज्वरों के लिए यह है कि बीस तुलसी दल एवं दस काली मिर्च मिलाकर क्वाथ पिलाने से तुरन्त ज्वर उतर जाता है।
4. मोतीझरा (टायफाइड) में 10 तुलसी पत्र 1 माशा जावित्री के साथ पानी में पीसकर शहद के साथ दिन में चार बार देते हैं।
5. तुलसी सौंठ के साथ सेवन करने से लगातार आने वाला बुखार ठीक होता है।
6. यदि तुलसी की 11 पत्तियों का 4 खड़ी कालीमिर्च के साथ सेवन किया जाए तो मलेरिया एवं मियादी बुखार ठीक किए जा सकते हैं।
त्वचा रोग से जुड़ी समस्या
1. इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाइयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है।
2. दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।
3. कुष्ठरोग में – तुलसी की जड़ को पीसकर, सोंठ मिलाकर जल के साथ प्रात: पीने से कुष्ठ रोग निवारण का लाभ मिलता है।
4. कुष्ठ रोग या कोढ में तुलसी की पत्तियां रामबाण सा असर करती हैं। खायें तथा रस प्रभावित स्थान पर मलें भी।
5. तुलसी के पत्तों का रस एक्जिमा पर लगाने, पीने से एक्जिमा में लाभ मिलता है।
पेट के रोग
• तुलसी के चार-पांच ग्राम बीजों का मिश्री युक्त शर्बत पीने से आंव ठीक रहता है। तुलसी के पत्तों को चाय की तरह पानी में उबाल कर पीने से आंव (पेचिश) ठीक होती है।
• अपच में मंजरी को काले नमक के साथ देते हैं।
• बवासीर रोग में तुलसी पत्र स्वरस मुँह से लेने पर तथा स्थानीय लेप रूप में तुरन्त लाभ करता है। अर्श में इसी चूर्ण को दही के साथ भी दिया जाता है।
सिर का दर्द
• सिर के दर्द में प्रातः काल और शाम को एक चौथाई चम्मच भर तुलसी के पत्तों का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ नित्य लेने से 15 दिनों में रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है।
• तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
• मेधावर्धन हेतु तुलसी के पाँच पत्ते जल के साथ प्रतिदिन प्रातः निगलना चाहिए।
• असाध्य शिरोशूल में तुलसी पत्र रस कपूर मिलाकर सिर पर लेप करते हैं, तुरन्त आराम मिलता है।
आंखों की समस्या
• तुलसी का रस आँखों के दर्द, रात्रि अंधता जो सामान्यतः विटामिन ‘ए‘ की कमी से होता है के लिए अत्यंत लाभदायक है।
• आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए।
• श्याम तुलसी (काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है।
• तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है।