अमित शर्मा , राजौरी : यह झांकी आप को कही और देखने को नहीं मिल सकती ,राजौरी शहर के इलावा और देश के किसी भी कोने में नहीं निकलती भैरव देव की झांकी, देश का एक मात्र क्षेत्र राजौरी जहाँ निकलती है झांकी भेरो देवी की होली पर्व पर भैरव देव की झांकी के साथ होली महोत्सव आरंभ, लोग भैरव देव से प्रसाद के तौर पर खाते चिमटे की मार, बच्चों को नजर से बचाने के लिए भी लगवाते हैं टीका काले रंग का लेप व्यक्ति के शरीर पर कर उसे नगर में धुमाने की चल रही पुरानी परमपरा होली महोत्सव के दौरान हर वर्ष देश के एक मात्र राजौरी नगर में बाबा भैरव नाथ जी की वार्षिक झांकी श्रद्धापूर्वक ढंग से निकाली जाती है।
बुजुर्गों के अनुसार दो सौ साल पहले अज्ञात जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गया था राजौरी , राजौरी को जानलेवा बीमारी से मुक्त करने के लिए बैरागी संत ने बाबा भैरव नाथ की झांकी निकालने के लिए किया था ।
जम्मू के जिला राजौरी नगर में भैरव देव की झांकी के साथ होली महोत्सव आरंभ हो जाता है यह पुराणी परम्परा है , राजौरी शहर के मुख्य बाजार से भैरव देव की झांकी निकाली जाती है इस दौरान प्रशासन द्वारा सुरक्षा के काफी पुख्ता प्रबंध किए जाते है, पुराने बुजुर्गो द्वारा बताया जाता है कि कई दशक पहले राजौरी एक राजवाड़ा हुआ करता था, उस समय यहां पर काले बुखार की बीमारी फैली और कई लोगों की मौत हो गई, उस दौरान एक साधू घूमता हुआ यहां पर पहुंच गया व लोग साधु के पास गए व कहा कि यहां पर काले बुखार से कई लोगों की मौत हो गई है, साधु से लोगों ने कहा कि किसी व्यक्ति के शरीर पर काले रंग का लेप करके उसे नगर में घुमाया जाए इससे यह बीमारी खत्म हो जाएगी। तब से होली के दिनों में यहां पर भैरव देव की झांकी निकालने की प्रथा शुरू हुई जो आज भी जारी है। होली के दिनों में मंगलवार को छोड़कर अन्य सभी दिन यहां पर भैरव देव की झांकी को निकाला जाता है, इस झांकी में व्यक्ति को काले रंग का लेप करके पहले उसे दस से अधिक ढोलों की थाप पर नचाया जाता है भैरव का रूप का धारण किए व्यक्ति के हाथ में लोहे का चिमटा होता है कहते है कि जिस किसी को भी भैरव देव से मार पड़ जाए उसे जीवन में कभी भी बुखार नहीं आता है लोग भैरव देव से प्रसाद के तौर भी मार खाते है और लोग अपने छोटे बच्चों को नजर से बचाने के लिए भैरव देव से टीका भी लगवाते है , राजौरी मुख्य बाजार में भैरव देव की सनातन धर्म सभा से आरंभ होती है और विभिन्न बाजारों व गलियों से होकर वापस सभा में आकर संपन्न हो जाती है, भैरव झांकी में हिंदू, मुस्लिम, सिख , ईसाई ( सर्वधर्म ) के लोग उत्साह के साथ भाग लेते है
हर साल इंतजार होता है राजौरी की होली का सभी को क्यों की राजौरी में इस त्यौहार को एक अलग अंदाज़ में मनाया जाता है.. विश्वाश कहो या अंध विश्वाश मगर जो भी सच है और सब से अलग है…
होली के दिनों में राजौरी कस्बे में भैरव देव की झांकी निकालनी की दशकों पुरानी परंपरा चली आ रही है। भैरव देव की झांकी को देखने के लिए लोग काफी दूर दूर से होली के दिन राजौरी पहुंचते है, कहते है कि जो भी भैरव देव के चिमटे से मार खाता है उसे जीवन में कभी भी बुखार नहीं आता है। इस बात को अन्द्विश्वश कहे यह विश्वाश पर यह बात सत्य है और इस में कोई शक नहीं है, राजौरी के लोगो का यह भी कहने है की जब माता वैष्णो ने भेरो का वद किया तब उस का कुछ अंग राजौरी में भी गीरा जिस कारण यह पर इस त्यौहार को मान्य जाता है इस त्यौहार को ले कर हर किसी का अलग ही कहने है पर जो कुछ भी हो पर राजौरी में और सिर्फ राजौरी में ही इस तहरा की भेरो की जानकी देखने को मिलती है और इस को देखने के लिया लोग दुसरे राज्य से भी आता है इस जानकी को राजौरी में 6 दिन निकला जाता है सिर्फ होली की दिनों में भेरो के हाथो लोग अपने बच्चो को टिका भी लगते है उन का माना है की बच्चो को इस के लगाने से उन को नज़र नहीं लगती इस जानकी को राजौरी बाज़ार से निकला जाता है और पुरे नगर का चाकर लगा कर इस को फिर बंद कर दिया जाता है ….
राजौरी में भरो देव की जानकी के दोरान सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए जाते है क्यों की हर मज़ब के लोग इस में शिमल होते है और कई बार राजौरी में इन लोगो में पंगा { हाथ पाई } भी हो जाती है राजौरी में भरो की जानकी होलिओ में पांच छे दिन निकलती है इतना ही नहीं इस झांकी को देखने के लिया राजौरी जम्मू कश्मीर पंजाब डेल्ही व दुसरे राज्य से भी लोग यहाँ पर आते है ..
राजौरी में सभी धर्मो के लोग मिल कर भेरो बाबा की झांकी निकलते है भैरो बाबा अपने भगतो को दर्शन देते है लोगो की बीड भी भैरो बाबा के दर्शनों के लिए उत्सहित रहती है सदियो से चली आ रही प्रथा को आज भी भैरो मण्डली ने जीवित रखा है भैरो बाबा का रूप लिये अरुण कुमार ने हमसे बताया की और कहा की मुझे बस भैरो बाबा का अश्रीवाद मिला और मेरे दिल ने कहा की मुझ्र इस झांकी में भैरो बाबा का किदार करना है और में पिछले दो से तिन सालो से इस किदार को निब रहा हु उस ने हमे बात करते हुए कहा की में लोगो ने अपील करता हु की वो इस झांकी को देखने ज़रूर आए और मुझे अपना शहयोग दे
वाही भैरव कमेटी के प्रधान विशाल दुत्ता ने कहा की में राजौरी के लोगो के साथ साथ पुलिस का भी शुक्रिया करता हु जो सुरक्षा का कड़ा परवंद करते है उन्होंने कहा की राजौरी शहर की इस प्रथा को हम लोगो ने जीवित बनाया हुआ है उन्होंने कहा की भैरो झांकी की प्रथा राजौरी शहर मे कब से है इस का किसी को पता नहीं पर पुराने बजुर्ग लोग कहते है की दो से तिन सो साल से भी पुराणी है वही उन्होंने जिला सर्कार और मीडिया का भी शुक्रिया किया