क्यों होते हैं कोर्ट केस ?
मुकद्मा कब दायर करें कब नहीं ?
केस होने पर क्या करें उपाय ?
मदन गुप्ता ‘सपाटू’, ज्योतिषविद्
आज के युग में मुकदमा करना या अपने पर हो जाना जीवन का एक अंग बन गया है। आप लाख न चाहें तो भी कोर्ट कचहरी का मुंह देखना पड़ जाता है। राह चलते दुर्धटना हो जाए या फिर कन्ज्यूरम फोरम की शरण लेनी पड़ जाए या पुलिस द्घारा किसी कारण प्रताडि़त होना पड़े, मुकद्मे की स्थिति से बच पाना कई बार असंभव हो जाता है।
कब होते हैं कोर्ट केस ?
अधिकतर देखा गया है कि कोर्ट केस में शनि, राहू ,मंगल, राहू दोष, कालसर्प दोष, साढ़ेसाती, शनि की ढैयया आदि की विशेष भूमिका रहती है। कुंडली का छठा भाव शत्रु व मुकदमों का परिचय देता है तो 8 वां उसके उलझाव का तथा 12 वां सजा का। इनका परस्पर संबंध बन जाने पर अचानक जातक मुश्किल में फंस जाता है और कई बार बेकसूर सजा मिलती है। हर जातक की कुंडली इस तरह के योग दर्शाती है। एक जेल अधीक्षक कई बार उसी जेल का कैदी बन जाता है। इसे ग्रहों का खेल कहते हैं।
कब करें कोर्ट केस ?
ज्योतिष में ऐसे कई मुहूर्त ,कई योग हैं जिनके आधार पर वैधानिक कार्यवाही का यदि निर्णय लिया जाए तो वांछित परिणाम अवश्य मिलते हैं। इन योगों में तिथि, दिवस, नक्षत्र, लग्न आदि का विचार किया जाता है।
मंगलवार को नया मुकदमा दायर नहीं करना चाहिये। इस दिन आरंभ किया गया ऐसा कृत्य असफलता का मुंह दिखाता है। शनिवार को किया गया केस बहुत लंबा ख्ंिाच जाता है। अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती ,अनुराधा, एवं धनिष्ठा नक्षत्र इस काम के लिये सफलता कारक होते हैं।
प्रशन कुंडली की भूमिका
केस फाइल करने से पूर्व यदि प्रशन कुंडली बना ली जाए तो आप ज्योतिषीय सूत्रों की सहायता से बहुत कुछ जान सकते हैं। मुकदमे के संदर्भ में लग्न को प्रशनकर्ता माना जाता है और सप्तम स्थान को विरोधी पक्ष । चतुर्थ को निर्णय भाव और दशम को जज या निर्णायक स्थान माना जाता है। छठा घर गुप्त शत्रु या मुकद्मे का खाना है।
पहले भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों तो विरोधी को क्षीण बनाते हैं। यदि तीन शुभ ग्रह लग्न में इकट्ठे बैठे हों तो विजय निश्चित रहती है। तीन अशुभ भी यदि लग्न में आ जाएं तो विरोधी को करारी हार का सामना करना पड़ता है। पहले घर में अशुभ और सातवें में अशुभ ग्रह होने जरुरी हैं। गुरु त्रिकोण में विजयश्री दिलाता है। प्रशन लग्न से, प्रथम , सातवें तथा दसवें भाव में पड़े अच्छे सितारे जीत के सूचक हैं। यदि नवें स्थान में शनि या मंगल आ जाएं तो पराजय का मुंह देखना पड़ता है। पहले और सातवें धर के स्वामी एक भाव में नहीं होने चाहिए। गुरु पंाचवें ,नवें या प्रथम भाव में हो और छठे में कोई अशुभ ग्रह न हो तो सफलता आस पास ही रहती है।
केन्द्र में अच्छे ग्रह-शुक्र, बुध, चन्द्र या गुरु हों तो शत प्रतिशत विजय होती है। ये सभी यदि नर राशि में हों तो मुकदमे पर किया गया खर्च वापस मिल जाने की संभावना रहता है।
प्रशन लग्न व चन्द्र यदि चर राशि अर्थात मूवेबल साईन में हों तो समझिये कि अगली डेट पड़ेगी । दशम भाव में अशुभ ग्रह दर्शाता हैे कि अगली पेशी पर भी फैसला नहीं हो पाएगा।
मुकदमा दायर करने से पहले प्रशन कुंडली बना कर ग्रहों की विभिन्न स्थितियां देखी जा सकती हैं और ठीक समय की प्रतीक्षा करनी चाहिये। अच्छे मुहूर्त पर किये गए कार्य का परिणाम भी सुखद रहता है। उपरोक्त योगों में से यदि 60 प्रतिशत योग मिल भी मिल जाएं तो न्यायालय का द्वार खटखटाने में घबराना नहीं चाहिए, सफलता लगभग निश्चित ही रहती है। लगभग इसलिए कहा क्योंकि व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की हालत क्या है, दशा कौन सी चल रही है, वर्ष फल क्या कहता है और गोचर ग्रह कहां हैं$$$$$$$इन बातों पर भी काफी कुछ निर्भर करता है।
इसके अलावा विरोधी की कुंडली, दोनों पक्षों के वकीलों के सितारे कैसे हैं इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। न्यायालय में क्या पहन कर जाएं, किस समय घर से निकलें, क्या खाएं और जेब में क्या रख कर जाएं , ज्योतिष इस संदर्भ में बहुत सहायक होता है ।
ज्योतिष की एक अन्य शाखा , कृष्णमूर्ति पद्घति जिसे के$पी$ सिस्टम भी कहा जाता है, से भी प्रशन का सही उत्तर प्राप्त हो जाता है कि मुकदमे में विजय होगी या तारीख पर तारीख पड़ती रहेगी। जन्म पत्री या प्रशन कुंडली यह भी इंगित करती है कि आपसी समझौते से केस निपटेगा या न्याय प्रक्रिया से ? या केस में सजा होगी या बरी हो जाएंगे।
उपाय
बहुत से पारंपरिक, आंचलिक एवं लाल किताब के उपाय हैं जिनका उपयोग कर के हम दैनिक जन जीवन में विशेषत: मुकदमे बाजी में अपना पक्ष सुदृढ़ कर सकते हैं और विजय श्री प्राप्त कर सकते हैं ।
दक्षिणामुखी हो लाल वस्त्र पहन,मूंगे की माला से 3 माला रोज करें।
मंत्र: क्रीं क्रीं क्रीं ह्ीं ह्ीं हूं हूं दक्षिणे कालिके
क्रीं क्रीं ह्ीं ह्ीं हूं हंू सवाहा !!
-$या पूर्वामुखी बैठ,लाल वस्त्र पहन 21 माला 7 दिन करें ।
मंत्र:शूलेन पाहि नो देवि पाहिखड्गेन चाम्बिके !
घण्टा स्वनेन न: पाहि चापज्यानि: स्वनेन च!!
-$ या यह प्रयोग भी कर सकते हैं:
दक्षिणामुख हो,लाल वस्त्र पहन,3 माला रोज करें ।मंत्र: ओम् क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये विजयसिद्घिं शत्रुनाशाय फट्!!
– $ चाहें तो यह मंत्र भी कर लें : मूंगे की माला से लाल वस्त्र पहन, एक माला करें । मंत्र:- ओम् ऐं ह्ीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै !!
इसके अतिरिक्त ये प्रयोग भी विजय दिलाने में सहायक रहते हैं-
ऽ – कोर्ट जाते समय पहले बच्चे का पहला कपड़ा ले जाने से विजय की संभावना काफी रहती है।
ऽ – मुकदमे में जाते समय बिल्ली की असली ज़ेर भी साथ रखने से लाभ होता है।
ऽ – – इस मंत्र को भेाजपत्र पर लिखें,41 दिन इस का जाप करें,पीले कपड़ेे में बांध के उपर वाली
जेब में रखें ।-ओम हृीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं सतम्भय जिहवा कीलय बुद्घि नाशय
हृीं ओम नम:
ऽ – अपने वजन का दसवां भाग बादाम चलते पानी में डालें-शनिवार
ऽ – आम के वृक्ष के नीचे अद्र्घरात्रि के समय 7 शनिवार नारियल दबाएं।
ऽ – बेरी की जड़ + 7 लघु नारियल,सवा किलो चावल , सफेद कपड़े में बांध के 7 श्ुाक्र्र्रवार बहाएं।
ऽ – अपने भार के बराबर कच्चे कोयले चलते जल में शनिवार प्रवाहित करें।
ऽ – 9 गोमती चक्र हमसे अभिमंत्रित करवा के कोर्ट जाते समय घर की दहलीज पर रखें।
दायां पैर उस पर रख के जाएं।
ऽ – लाल या केसरिया रुमाल पाकेट में रख कर जाएं।
ऽ – अपने पर्स में इनमें से कोई एक चीज रख कर अदालत जाएं- हल्दी की गांठ, काले चने के
5 दाने या लाल रिबन से बंधे 3 दालचीनी के साबुत टुकड़े।
ऽ – यदि मुकदमे की आशंका हो तो जेब में लोहे की लाल गोली रखें।
ऽ -जेल या थाने में एक समय खाना खाएं या मंगा के खालें।
ऽ -स्टील का छल्ला बाएं हाथ की सबसे छोटी उंगली में बुधवार पहनें!
ऽ – अपने भार के बराबर या 12 किलो कच्चा कोयला,शनिवार चलते जल में डालें ।
ऽ – सफेद गुंजा के 11 दाने पाकेट में रख के जाएं।
ऽ – बगला मुखी का पाठ करवाएं।
ऽ – अपने वजन का दसवां भाग बादाम चलते पानी में डालें-शनिवार
ऽ – आम के वृक्ष के नीचे अद्र्घरात्रि के समय 7 शनिवार नारियल दबाएं-
ऽ – बेरी की जड़ + 7 लधु नारियल+सवा किलो चावल , सफेद कपड़े में बांध के 7 श्ुाक्र्र्रवार बहाएं।
ऽ – अपने भार के बराबर या 12 किलो कच्चे कोयले चलते जल में शनिवार प्रवाहित करें।
ऽ – आक के रस में ,हल्दी, चंदन ,कुमकुम और केसर का मिश्रण बनाएं। कोर्ट जाते समय इसका तिलक लगा कर जाएं।
ऽ उपरोक्त उपाय अनुभूत हैं परंतु हमेशा एक सुयोग्य विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें ।