मेँ सुरेश आर्य भट्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय हरित क्रांति सेना ऐवम् राष्ट्रीय किसान आंदोलन (*सेह संयोजक ) आपके लिए विशेष जानकारी गऊ का हमारे जीवन मेँ क्या लाभ है ,और आयुर्वेदिक औषधियों मेँ एवं औषदीयों के निर्माण मेँ गाये से प्राप्त पदार्थों का क्या लाभ है इन सबकी जानकारी के समक्ष लाया हूँ !
गऊ हमारी माता है हिन्दू धर्म के अनुसार गऊ को का दर्ज दिया गया है ,क्योंकि माता की तरह गाये का हमारे पालन पोषण में बहुत बड़ा योगदान है !गऊ की समझदारी जयदतर सभी लोग जानते है क्योंकि बच्चे भी गऊ के आगे पीछे खेलते कूदते रहते है !अक्सर देखा गया है की अगर गऊ का पैर गलती से किसी इन्शान या बच्चे पर रखा जाता है तो तुरंत बिना देरी किये अपना पांव उठा लेती है गऊ का दूध बच्चों के लिए विशेष हितकर माना जाता है .,जो निरोग तो होता ही है अपितु औषधि के रूप में भी काम आता है ! गऊ का पर्त्येक पदार्थ दवा के रूप में काम आता है !गऊ का दूध ही नहीं बल्कि गऊ मूत्र भी नाना पर्कार की आयुर्वेदिक औषधीय निर्माण में कार्य करता है ,एवं अशाध्य से अशाध्या रोगों के उपचार का काम भी गऊ मूत्र करता है ,शास्त्रों में भी गऊ मूत्र में चमत्कारी गन बताये गए है !गऊ के घी,दूध ,दही ,मूत्र ,और गोबर के रस से . पञ्चगव्य निर्माण किया जाता है ,जो की धार्मिक अनुष्ठान के साथ –साथ आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है !
….पञ्चगव्य चिकित्सा………………
१. पञ्चगव्य निर्माण की वेदों में इस प्रकार वर्णन
मिलता है । एक वर्णन के अनुसार ,गौदूग्ध ,गौदधि ,और
गौघृत ,को समान मात्रा में मिला लें इसमें गौमूत्र दूध
की कुछ मात्रा का चौथाई और गोबर का रस गोमूत्र
कुल मात्रा का आधा मिला दें । इस प्रकार पंचगव्य
तैयार कर लिया जाता है । उदाहरण के लिए २००ग्राम
दूध ,२०० ग्राम दही ,२०० घी ,में ५० ग्राम गौमूत्र अर्क
तथा २५ ग्राम ताज़े गोबर का रस मिलाने से पञ्चगव्य
तैयार होता है ।
२. स्वर्ण क्षार बनाने की विधि — गौमूत्र को तेज़
आँच पर पका लें ,जो झाग उबलते निकले ,उसे
किसी पात्र की सहायता से तब तक निकालते रहे जब
तक झाग निकलना बंद न हो । फिर आँच से गौमूत्र
उतारकर उसे ठण्डा कर ले इसमे तलछट के रूप में
यूरिया नीचे बैठ जाता है और झाग के रूप में
अमोनिया बाहर हो जाता है ।अब शेष शोधित
गौमूत्र ही स्वर्ण क्षार कहा जाता है ।
३. गोमूत्र सेवन विधि — देशी गाय गौमूत्र ही सेवन
योग्य होता है ।प्रतिदिन जंगल में चरने वाली गाय
का मूत्र अच्छा होता है गाय गर्भवती न
हो अथवा रोगी न हो ।एक वर्ष
की बछिया का सर्वोत्तम होता है । गोमूत्र का पान
करना, मालिश,पट्टी रखना,एनिमा और गर्म करके सेंक
करना प्रमुख है । पीने हेतु ताज़ा और मालिश हेतु दो से
सात दिन पुराना गोमुत्र अच्छा रहता है ।
बच्चों को पाँच तथा बड़ों को रोग के अनुसार १० से
३० ग्राम तक दिन में दो बार देना आवश्यक है ।
सेवनकाल में मिर्च -मसाले ,गरिष्ठ भोजन ,तम्बाकू
तथा मादक पदार्थों का त्याग करना आवश्यक है ।
सेवन करने हेतु सफ़ेद सुती कपड़े की आठ परत में
छानना चाहिए ।
४. पित्तविकार में गाय का घी सिर पर मलने से लाभ
होता है । तथा हरड़ चूर्ण एक चम्मच भोजन के बाद
पानी के साथ लेने से तुरन्त लाभ होता है ।
५. सर्पदंश में १० से १०० ग्राम घी पिलाकर उपर से गर्म
पानी पिलाये उल्टी,दस्त होने पर विषदोष दूर
हो जायेगा । और गौमूत्र अर्क ,गाय के ताज़े गोबर
का पिलाने से लाभ होता है ।
६. क़ब्ज़ में पेट साफ़ करने के लिए गौमूत्र छानकर
पिलाए । गौमूत्र जितना अधिक छानेंगे उतना अधिक
रेचक बनेगा ,हरड़ चूर्ण एक चम्मच ,भोजन के बाद
पानी के साथ लें ।और क़ब्ज़ दूर हो जायेगा ।
७. पेशाब के रूकने पर यवक्षार में दो तोला गौमूत्र
डालकर पिलाये । पुनर्नवा अर्क सुबह – शाम दो चम्मच
पानी के साथ लेने से लाभ होता है ।
८. सफ़ेद दाग बाबरी के बीज को गौघृत मे घीसकर
शाम को दाग पर लगाये ,और सुबह गौमूत्र से धो दे ।और
किसी भी प्रकार के चर्म रोग मे
काली जीरी को गौमूत्र मे गूथँ कर शरीर पर लगाये ।
९. क्षयरोग में शतावरी खाने वाली गाय का दूध
पीयें ,और बछिया के मूत्र को पीने से टीबी रोग जड़ से
समाप्त होता है ।
१०. बालों को सुन्दर रखने के लिए बालों को नियमित
रूप से धोने से बाल चमकदार सुन्दर दिखने लगते है और
यदि गौमूत्र से बने शैम्पु से बालों को धोने से बाल
झड़ना बंद होते है तथा बाल काले घने होते है और
बालों का टूटना बंद हो जाता है ।और
बालों का दो मूहाँ होना बंद हो जाता है ।! गौ कथा गाय के गोबर की महत्ता !! !! गौ कथा गाय के गोबर की महत्ता !! आजकल माताओं , बुजुगों मैं घुटने के जोड़ो का दर्द की बहुत शिकायत होती हैं उनके दो उपाय हैं : १. १० साल पुराना भारतीय नश्ल की गाय का घी लाओ। और अपने घुटनों के जोड़ो पर मालिश करो। एक बार करने से ३५% फर्क पड़ जायेंगा। ४ – ५ दिन कर लो पूर्ण आराम मिल जायेगा ये गोऋषि संत गोपाल दास जी का कहना है । पर घी १० साल पुराना होना चाहिए। २. बछिया का गोबर लो और अपने घुटने के जोड़ पर पूरा प्लास्टर कर लो। तुरंत जोड़ो का दर्द समाप्त हो जायेगा। एक बार पूज्य गोपाल मणि जी महाराज उत्तराखंड देव भूमि के गौऋषि गौ चराने के लिए जंगल मैं गए थे। वहां दो गाये लड़ पड़ी और एक व्यक्ति को बीच – बचाव में घुटने मैं चोट लग गई। उसी समय वहां पर एक बछिया ने गोबर किया था , महाराज जी ने वो गोबर उठाया और उस व्यक्ति के घटने पर पूरा प्लास्टर कर दिया। १० मिनट मैं वो व्यक्ति खड़ा हो गया और उसने पूरा दिन गाये भी चराई।गाये चरते – चरते कई प्रकार की जड़ी – बूटिया भी खा जाती है इसीलिए गाये के दूध, मूत्र और गोबर में ,औषधीय तत्व आ जाते है !