मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिशाचार्य ,चंडीगढ़ : कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू संस्कृति में बहुत षुभ व फलदायी माना गया है और इस दिन व्रत रखने व गंगा स्नान से अत्यंत लाभ प्राप्त होते हैं। इस दिन एक समय भोजन करना चाहिए तथा दान करना चाहिए। सायंकाल चंद्र को अघ्र्य अवष्य देना चाहिए।
आज के दिन ही भगवान षिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था ,अतः इसे त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। राक्षस से मुक्ति पाने के बाद गंगा तट पर असंख्य दीप जलाए गए थे , उसी उपलक्ष्य में गंगा स्नान करना तथा दीप जलाने की प्रथा चली आ रही है। भगवान षिव की आराधना और लक्ष्मी पूजन का आज विषेश महत्व है।
गुरु नानक जयंती भी आज ही है।
25 नवंबर की प्रातः पूर्णिमा 7 .10 पर आरंभ हो जाएगी और 26 तारीख की प्रातः 4.15 तक रहेगी।
विभिन्न राषि वाले कार्तिक पूर्णिमा पर क्या करें ?
1.मेश: गंगा स्नान करें तो लाभ होगा अन्यथा घर में स्नान करते समय गंगा जल डाल लें । चावल दान करें।
2.बृश: पीपल पर जल अर्पित करें। दूध दान करें
3.मिथुनः षिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाएं। खीर का दान करें।
4.कर्कः महालक्ष्मी का पूजन करें। नेत्रहीनों को दूध दें।
5.सिंहः षिवलिंग पर नारियल चढ़ाएं। घी दान करें।
6.कन्याः कन्या पूजन करें। किसी निर्धन कन्या के विवाह हेतु श्रृंगार सामग्री दें।
7.तुलाः अषोक वृक्ष पर जल चढ़ाएं मीठे दुग्ध पदार्थोंं का दान करें।
8.बृष्चिकः लक्ष्मी जी की मूर्ति पर चमेली का तेल, कपूर, सुगंधित अगरबत्ती चढ़ाएं । हलवा बांटें।
9.धनुः श्री सूक्त का पाठ करें। दूध दान करें।
10.मकरः पूजा स्थान पर चांदी का चैरस टुकड़ा रखें । चंद्र को अघ्र्य दें।
11. कुंभः पीपल पर काले तिल डाल कर जल दें। स्टील के बर्तन दान करें।
12.मीनः माता के मंदिर में 9 प्रकार के फल व 9 प्रकार के फूल चढ़ाएं। मीठा दान करें।