अंकित भोला , उत्तराखंड : इतहास गवाह है की जब-जब हिन्दू बटा है तब-तब हिन्दू कटा है। महाभारत के युग से आज ताक ऐसा ही हुआ है।महाभारत के युग में हिन्दू-हिन्दू से लड़ा था सिर्फ सत्ता के लिए लेकिन इसका परिणाम सिर्फ हमारे हिन्दू बहियों का लहू बहा।तब कौरव और पांडव ने युद्ध किया और एक दुसरे का लहू बहाया परन्तु तब के दौर में कोउ बाहरी खतरा जैसे कट्टर जिहादी सोच,जबरन धर्म परिवर्तन आदि कुरीतिय नहीं थी। परन्तु आज का दौर वो दौर नहीं है। आज के दौर में अगर आपका धर्म बलशाली है थो आप भी बलशाली है और धर्म को बलशाली करने के लिए हमे एकजुट होना होगा।
हिन्दू धर्म की सबसे बड़ी कमी रही है की हमरे धर्म में संकट के समय हमारे अपने ही साथी हमे पीठ दिखा कर भाग जाते है। उधारण के तौर पर हम इतिहास जे कुछ व्यक्तियों को ही ले लेते है। जब महुममद गौरी 1176 में पहेली भारत आया तब उसने सबसे पहेले मुलतल पर कब्ज़ा किया फिर उसने उच्च कब्जाया,३ वर्ष बाद उसने गुजरात पर धावा बोल कर गुजरात भी कब्ज़ा लिया।गुजरात कब्जाने के बाद उसने अजमेर दिल्ली की ओर रुख की।गोरी ने दिल्ली में अक्रमण करना शुरु कर दिया। वहा के रजा पृथ्वी राज चौहान ने उसे १७ बार हरा दिया और हर बार जीवन दान देकर छोड दिया।तिरान के अंतिम युद्ध में जब पृथ्वी राज और गौरी आमने सामने आये तब पृथ्वीराज अपने साथी राजपूतो के आसरे थे परन्तु साथी राजपूतो ने उनके साथ विश्वाश्घात किया। इसी वजा से पृथ्वीराज हार गए। अगर उनके मामा जैचंद ने उनका साथ दिया होता तो आज मुसल्मान भारत में कदम नहीं रख सजते थे,अगर उस समय उनके साथी राजपूत ने गौरी के खिलाफ होकर एक साथ गौरी का सामना करते रहो हम 500 वर्ष तक मुगलों के गुलाम ना होते और ना ही भारत में मुसलमान होते।
कहेते है की बटवारा एक समुदाय या इनसान को निर्बल कर देता है।सामान्य स्तिथी हिन्दुओ के साथ है।कोई कहेत है में चटर्जी हु कोई कहेता है में बनर्जी हु। कोई कहेता है में पंजाबी हु तो कोई कहेते है में मराठी। कोई येह नहीं कहेता की हम हिन्दू है।यही कारण है की दुसरे समुदाये के लोग इस बात का फायदा उठा लेते है और उन लोगो को हिन्दू विरोधी गतिविधिया करने का अवसर मिल जाता है।
1947 में जब भारत पाकिस्तान का बटवारा हुआ था तब हमारे हिन्दू भाइयो को पाकिस्तान से मुसलमानों ने मार मार कर निकाल दिया था और जो हिन्दू वह बचे थे उने भी या थो मार दिया गया या फिर उनका जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया गया। बटवारे के समय पाकिस्तान में 22% हिन्दू थे मगर आज पाकिस्तान में मात्र 2% हिन्दू है और जो हिन्दू वह है उने बहुत सकती से रक्खा जाता है। वे लोग जजिया देते है,घर से बहार निकालने के लिए उन्हें अधिकारियों की अनुमति लेती पड़ती है। फिर हम हिन्दू उन लोगी के साथ नर्म व्यहार क्यों अपनाते है?क्यों उन्हें भारत में आज़ादी दी जाती है?कारण है की हम हिन्दू एकता से नहीं रहेते।हम हिन्दू बटे हुए है इसीलिए हमारा फायदा उठाया जाता है।हर कोई हमारी मजाक उड़ता है और हमे तुच्छ समझता है।
एक बात हम हिन्दुओ के दीमाग में है जिससे ‘धर्मनिरपेक्षता’ कहा जाता है।धर्मनिरपेक्षता समाज का एक ऐसा कीटाणु है जो हर हिन्दू के दिमाग में विश्राम कर रहा है।हम हिन्दुओ को येहे समझना की जब तक हम बटते रहेंगे तब तक हम कटते रहेंगे।25 वर्ष पहेले हमारे एक ना होने के कारण से हमारे 5 लाख कश्मीरी पंडित भाइयो को उनके ही घरो से निकाल दिया गया था।जो नहीं निकले वे मरे गए। हमारी इसी धर्मनिरपेक्ष सोच ने हमे लिप्त होने की अवस्थ में ला कर रख दिया है। आज पूरी दुनिया में ईसाई देश सबसे अधिक है दुसरे स्थान पर इस्लामिक देश है और हिन्दुओ का एक भी देश नहीं।ये दर्शाता है की बटे होने से हम हिन्दू कितने कमज़ोर पड़ चुके है।
यु तो हम कहेते है ‘गर्व से कहो हम हिन्दू है’ परन्तु जब इस हिन्दू धर्म की रक्षा की बात आती है तब हम सब अलग हो जाते है।क्या यही हमारा हिन्दू धर्म है?आज हमे एक होने की बहुत अवशाकता है।एक रहेगे थो हमारा अस्तित्व बरक़रार रहेगा अर्थात हमारा अस्तित्व पुरे विशव से मिटा दिया जाएगा। कही मुसलमान मिटा देंगे तो कही ईसाई।